रियल लाइफ के बाद रील लाइफ में भी हिरो बने मनोज रोजपूत

गांव के जीरो शहर मा हिरो सिनेमा घरों में 9 फरवरी को होगी रिलीज, हाउथ की मूवी को देगी टक्कर

रियल लाइफ के बाद रील लाइफ में भी हिरो बने मनोज रोजपूत

भिलाई। रियल लाइफ के बाद रील लाइफ में भी मनोज रोजपूत हिरो बन गए है। मनोज राजपूृत फिल्म प्रोडक्शन के बेनर तले एवं कई सुपरहीट छत्तीसगढ़ी फिल्म देने वाले छॉलीवुड के प्रसिद्ध फिल्म डायरेक्टर उत्तम तिवारी के निर्देशन में छत्तीसगढ़ की अब तक सबसे अधिक बजट में बनी छत्तीसगढी फिल्म गांव के जीरो शहर मा हिरो आगामी 9 फरवरी को छत्तीसगढ़ के सिनेमा घरों में प्रर्दिशत होगी। 
इस फिल्म में एक लड़के की कहानी है जो गांव से शहर पहुंचकर कड़ी मेहनत करते हुए कई बाधाओं को पार कर सफलता के मंजिल पर पहंचे। इस फिल्म को मनोज राजपूत के निजी जीवन से भी जोड़कर देखा जा सकता है। सभी को पता है कि मनोज राजपूत एक गांव से जब शहर पहुंचे तो उन्हें भी कड़ी मेहनत करनी पड़ी थी। उस समय उनका आर्थिक स्थिति भी ठीक नहीं थी। कई दुकानों में कार्य करते हुए झाडू पोछा भी लगाए। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। जीवन में जो भी परेशानियां आई उसका डटकर मुकाबला किये। मेहनत करते करते दुर्ग जिले का नामी बिल्डर बने। इसमें भी उन्हें कई बाधाओं का सामना करना पड़ा। लेकिन  मनोज राजूपत हार नहीं माने। परेशानियों का डटकर मुकाबला किये और सफलता को प्राप्त किए। आज उनका नाम छत्तीसगढ़ प्रदेश के जाने माने बिल्डरों में सुमार है।
जानकारी आज एक पत्रवार्ता में मनोज ले आउट के संचालक एवं इस फिल्म के निर्माता एवं हिरो मनोज राजूपूत ने दी। इस अवसर पर फिल्म के डायरेक्टर उत्तम तिवारी, फिल्म की हिरोईन नेहा शुक्ला, सहायक निर्देशक एवं अभिनेता अर्जुन परमार, प्रसिद्ध अभिनेता प्रदीप शर्मा, धर्मेन्द्र चौबे, पप्पू चन्दाकर, संजीव मुखर्जी, फिल्म के संगीतकार सूनील सोनी, फिल्म्स वितरक तरूण सोनी विक्रांत सोनी, व श्याम टॉकीज के संचालक लाभांशतिवारी, छतीसगढी एवं भोजपूरी फिल्मों के एक्टर शमशीर सिवानी, भीखम साहू, सहित छॉलीवुड के कई एक्टर व मनोज ले आउट के के मैनेजर संतोष भार्गव, सुश्री मुक्ता बंसल,रोली चंन्द्राकर, एवं इस फिल्म के एक्जिूक्यिूटिव प्रोडयूसर विक्रम राजपूत सहित सभी स्टाफ विशेष रूप से उपस्थित थे। कार्यक्रम में गणेश वंदना करके इसके पोस्टर व रिलीज तिथि की घोषणा की गई। 
फिल्म के निर्माता व हिरो मनेाज राजपूत ने बताया कि दस सालों से वह प्रापर्टी डिलिंग एवं बिल्डर्स व्यवसाय से जुडे रहे। हमने व हमारी टीम ने गांव के जीरो शहर मा हिरो फिल्म बनाई। इस फिल्म को बनाने को लेकर मैं काफी उत्साहित था, मेरी पूरी एम आर ले आउट की टीम व डायेक्टर सहित इस फिल्म की पूरी यूनिट का बेहतरीन सहयोग रहा। इस पूरे संघर्ष के क्षेत्र व मेहनत में हम नई पहचान की तरफ लेकर जा रहे है। छग में लोग छत्तीसगढ की मूवी क्यों नही देखते और साउथ की मूवी क्यों लोग देखना पसंद करते हैं?
साउथ की मूवी में एक्शन, गाने सहित सभी चीजे उच्च क्वालिटी की होती है। हमारी फिल्म में भी एक्षन व पारिवारिक पृष्ठभूमि के साथ ही एक सूपरहीट फिल्म के लिए जो भी चीजें आवश्यक होती है, वह सब कुछ इस फिल्म में मौजूद है। डर के पीछे जीत होती है, हर व्यक्ति को डर का मुकाबला करना चाहिए। राजनैतिक हो चाहे व्यापार हो लोग दबाव डालते हैं, कई लोग तो दबाव में रास्ते बदल लेते हैं, लेकिन हमें छग में हर क्षेत्र में छग की पहचान बनाकर रखना हैं, चूकि छग के गांव के किसान का बेटा आईएएस व आईपीएस बनता है, मैं भी किसान का बेटा हूं और ग्रामीण परिवेश से आता हूं। मेरे पास कोई कला की जानकारी नही थी, अंदर का भाव था।
अचानक मेरे दिमाग मे आया कि मैं जो जीवन में इतना संघर्ष करके आगे बढा हूं, इस पर फिल्म बन सकती है और लोगों के लिए मोटिवेशन का कार्य कर सकती है, उसके बाद मैं पहले अपने एमआर ले आउट के स्टाफ से चर्चा किया और उसके बाद यहां के प्रसिद्ध डायरेक्टर उत्तम तिवारी से मुलाकात कर अपने जीवन की संघर्ष की कहानी बताया तो वे भी कहने लगे ये तो बहुत अच्छी कहानी होगी और हम लोगों ने मिलकर इस फिल्म को बनाने की योजना बनाई और उसके बाद मैने कहा कि इसका बजट कितना भी जाये उसकी परवाह नही है फिल्म बहुत अच्छी बननी चाहिए। इसलिए छग में पहली बार सबसे उत्तम किस्म के कैमरे फैन्टम सेे इसका फिल्मांकन किया गया है। इस फिल्म में बॉलीवुड एक्टर भगवान तिवारी ने भी जर्बदस्त अभिनय किया है। इस फिल्मे की हिराईन इशिका, नेहा शुक्ला, इसानी घोष है और इसमें फिल्म के हिरो मनोज राजपूत के पिता की भूमिका छॉलीवुड के प्रसिद्ध अभिनेता अर्जुन परमार ने किया है, वहीं धर्मेन्द्र यादव, प्रदीप शर्मा, पप्पू चन्द्राकर, संजीव मुखजी, विक्की वीरा सहित छॉलीवुड के अन्य प्रसिद्ध कलाकारों ने बेहतरीन अभिनय किया है, वहंी इस फिल्म का भी संगीत छॉलीवुड के इकलौते बेस्ट संगीतकार सुनील सोनी ने किया है, जबकि कथा,पटकथा, व कुछ गीत उत्तम तिवारी ने लिखा है। यह फिल्म मनोज राजपूत के जीवन पर बनी है जिसका 60 प्रतिशत कहानी मनोज की जीवन पर आधारित है। श्री राजपूत ने आगे कहा अब मैने छॉलीवुड में कदम रखा है मैं छॉलीवुड को नई उंचाईयों तक काम के जरिये लेकर जाना चाहता हूं।
एक प्रश्न का कि आपका गॉड फादर कौन है का उत्तर देते हुए श्री राजपूत ने कहा कि में अपनी मां हो ही हर चीजे बताता था, मैं अपनी मां को एक दोस्त की तरह हर बाते शेयर करता था, वही मेरा मार्गदर्शन करती थी जबकि मेरी मां कम पढी लिखी था और मेरे पिता अधिक पढे लिखे थे। कभी कभी वह भी निराश होकर कहती थी कि काम बदल दे और हमेशा कहती थी कि बेटा एक दिन तेरा समय आयेगा। कम्पटीशन में बडा हौसला होता है, जीवन में हमेशा फास्ट रहना चाहिए। छग की पहचान को भारत के नक्ष्ेा पर ले जाना चाहता हूं। मेरी इस फिल्म की शूटिंग दुर्ग,भिलाई व छत्तीसगढ के अलावा गोवा, कलकत्ता, व हैदराबाद के रामोजी स्टूडियों में हुई है। एक जूनून था, कि दूर्ग भिलाई ने हमें जो पहचान दी है, उसे हमे लौटाना हैं, और इस पहचान को शहरवासियों को देना चाहता हूं। छॉलीवुड को साउथ व बॉलीवुड व पॉलीवुड की तरह ले जाना चाहता हूं। छत्तसगढी फिल्म को लेकर आज भी अन्य प्रदेशों में निगेटिविटी है कहते हैं कि वहां फिल्म की लागत भी नही निकलती है। हैदराबाद के लोग कहते हैं कि छग में कोई स्कोप नही हैं। लेकिन उस काम को हमारी टीम व हमारी एमआर ले आउट व डायरेक्टर्स की पूरी टीम ने उसे पूरा करके दिखाया। आने वाले समय में मेरी ये फिल्म मराठी, भोजपूरी एवं छत्तीसगढी सहित चार पांच भाषाओं में डब होकर कई प्रदेशों में भी इसे प्रदर्शित करने की तैयारी है। हमारे पूरे इस फिल्म की शूटिंग फैन्टम कैमरा से किया गया जो यहां मिलती ही नही है, उसे मुम्बई से लाया गया था इस कैमरा से छत्तीसगढ के सबसे बडे कैमरामैन तोरण सिंह राजपूत ने फिल्मांकन किया है। छग की पहचान को काम से लोग जानेंगे नाम से नही।
श्री राजपूत ने आगे कहा कि जिस काम में मुझे डर लगता है उसे चैलेज लेकर करता हूं। जब छोटे थे और पढते थे तब गांव में चटाई लेकर व्हीसीआर में धर्मेन्द्र और अमिताभ की फिल्में देखा करते थे, तो उस समय ये सोचते थे कि ये एशन और ये फला सीन कैसे होता है, और आज ये सब मैं स्वयं कर रहा हूं तो अच्छा लग रहा है। शहर के लईका एसी मे रहते है और काजू खाते हैं एनर्जी और दिमाग बढोन के लिए, और गांव के लडके गाजर व बासी खाकर एनर्जेटिक बनता हैं, और शहर के लडकों से अधिक दिमाग रखता है। भगवान के आशीर्वाद और जनता के प्यार से मैं बहुत मजबूत हूं। आज जिस तरह पदमश्री तीजन बाई के नाम से भिर्लाई व छग को जाना जाता है उसी प्रकार छत्तीसगढ की पहचान भी अब छत्तीसगढी फिल्मों व हमारी टीम से हो ये मेरी कोशिश रहेगी। हम शूटिंग के दौरान प्रतिदिन दस से बारह घंटा काम करते थे, फिर भी मैं नही थकता था, और मैं जीवन मे कोई टेंशन नही लेता हूं। मैं व हमारी टीम पूरे एन्जवाय के साथ काम किये और 70 दिन कैसे निकल गया ये पता नही चला। सभी ने बहुत बढिया काम किया है और मेरा मार्गदर्शन करने के साथ ही पूरा सहयोग दिया है।
फिल्म के लागत के सवाल पर कहा कि मैं कमाने के लिए फिल्म नही बनाया हूं मैं कभी भी प्राफिट और लॉस के बारे में नही सोचता हूं। छग को क्या दे सकता हूं। उस पर ध्यान देता हूं। छग के लोगों से पिछले 20 सालों से जो प्यार मिला है उस प्यार को मैं 20 माह में ही लौटाना चाहता हूं। उन्होंने कहा कि अपने जीवन की शुरूआत दुर्ग के इंदिरा मार्केट के सुनिल वाच कंपनी से शुरू किया और वहा अपना काम समझकर झाडू पोछा तक स्वयं लगाया व वहां काम सीखा उस समय 5 सौ रूपये महिना मिलता था लेकिन मै ंसोचता था कि मैं भी कुछ ऐसा करू कि मेरा अपना खुद का कोई करोबार हों, और भीखम साहू के सहयोग से मैं प्लाटिंग के काम में आया और आज सक्सेसफुल रहा व प्रापर्टी के काम में एक नंबर बना और अब फिल्म बनाने का काम कर रहा हूं। शुरूवाती दौर में मैं जब वाच कंपनी में काम करता था तो हर पल को अपनी मां से शेयर करता था, वह कहती थी कि तू मेरा बेटा है तू सब कुछ कर सकता है। मैं आध्यत्म के क्षेत्र में जुडा हुआ हूं, और आध्यात्म में बहुत ताकत होती है। निगेटिविटी होने पर भी घबराता नही हूं। कोई भी व्यापार खत्म नही होता, बस कर्म का बैंक बैलेंस कितना है और अपने कर्म पर भरोसा होना चाहिए। इस काम में कई बार उतार चढाव आये लेकिन हमारी टीम ने सुबह से शाम तक मेहनत कर इस फिल्म के निर्माण को पूरा किया। आगे अगर जनता का प्यार मिला तो और भी फिल्मे बनाउंगा। अब टॉकीजों का दौर कम हो गया है, और मल्टीप्लेक्स का दौर आ गया और जनता चाहेगी तो मैं भी मल्टीप्लेक्टस जरूर बनाउंगा। ईशवर का आशीर्वाद रहना चाहिए बस, आपको कोई बैक नही कर सकता है। उभरते सितारे को लोग दबाते हैं, और सपोर्ट कोई नही करता है। फिल्म के डायरेक्टर उत्तम तिवारी ने इस दौरान बताया कि जब मेरी मनोज राजपूत से मुलाकात हुई और अपने जीवन की कहाने बताये तो मुझे अच्छा लगा और उसको सिनोमेटिक के हिसाब से उसको लिखने लगा और जब हिरो की बात आई तो मनोज
ने कहा कि मैं एक्टिंग में जीरो हूं मुझे कुछ नही आता है, चाहे तो किसी
और को हिरो ले सकते है तो मैने कहा पहले आपको दो तीन महिना ट्रेनिंग देता हूं, नही हो पायेगा तब किसी और को हिरो रखेंगे लेकिन जब इनको ट्रेनिंग दिया तो दो तीन दिन में ही सब कवर करने लगे तो मैने कहा कि आप सब कर लोंगे और आपसे अच्छा इस फिल्म में हिरो के लिए कोई नही है, इसके बाद मनोज ने बहुत मेहनत की और काम किया और फिल्म बहुत अच्छी बनी है और इसके गाने बहुत ही कमाल के है, इसमें का गाना छत्तीसगढिया सबले बढिया जरूर बूम करेगा। इस दौरान इस फिल्म के अभिनेता धर्मेन्द्र चैबे ने भी अपना अनुभव शयर किया। इसका संचालन संतोष भार्गव, सुश्री मुक्ता बंसल,रोली चंन्द्राकर ने किया।
इस दौरान फिल्म के  हिरोइन नेहा शुक्ला ने कहा कि हमारी इस फिल्म में एक्शन है ड्रामा है, कमेडी है, और मैं इसमें हिरोईन है मेरा रोल तब शुरू होता है जब मनोज राजपूत जी शहर पहुंचते है और फिर वो अपना परचम लहराते है।