पत्नी की प्रताड़ना से तंग आकर इंजीनियर ने 24 पन्नों का सुसाइड नोट छोड़ लगाई फांसी, खुदकुशी के पहले बनाया 90 मिनट का वीडियो, महिला-पुरुष सभी को देखना चाहिए ये VIDEO 

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बेंगलुरु। उत्तर प्रदेश निवासी एक इंजीनियर ने बेंगलुरु स्थित अपने घर पर फांसी लगाकर जान दे दी है। उसने जान देने से पहले 24 पन्ने का सुसाइड नोट लिखा है। वहीं 90 मिनट के वीडियों में उसने अपने व्यथा बताते हुए कानून व्यवस्था पर बड़ा सवाल उठाया है। इस वीडियों को देख आप भी दर्द महसूस करेंगे। मृतक अतुल सुभाष (34 वर्ष) के भाई की शिकायत पर पुलिस ने पत्नी निकिता सिंघानिया, उनकी मां निशा सिंघानिया, भाई अनुराग सिंघानिया और चाचा सुशील सिंघानिया के खिलाफ बीएनएस की धारा 108 और 3(5) के तहत एफआईआर दर्ज किया है। शादी के दो साल बाद उनकी पत्नी ने उनके खिलाफ दहेज उत्पीड़न, हत्या से लेकर आप्राकृतिक यौन शोषण तक के केस दर्ज करा दिए थे. अतुल सुभाष की मौत के बाद उनका उनका परिवार टूट गया है. उनकी मां, भाई हर किसी का रो-रोकर बुरा हाल है। आत्महत्या करने वाले अतुल सुभाष के भाई ने कहा कि मैं अपने भाई के लिए न्याय चाहता हूं। पुरुषों के लिए भी कानून बनाए जाने चाहिए क्योंकि वे भी कई उत्पीड़नों से पीड़ित हैं। भारत सरकार को यह समझना चाहिए।

जानकारी के अनुसार अतुल सुभाष उत्तर प्रदेश का निवासी था और बेंगलुरु सिटी में महिंद्रा एंड महिंद्रा कंपनी में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) में डीजीएम के पद पर काम करते थे। मृतक ने 24 पेज का सुसाइड नोट और 90 मिनट का वीडियो छोड़ अपनी पत्नी और उसके परिजनों पर उत्पीड़न और उसके खिलाफ झूठे मामले दर्ज करने का आरोप लगाया है।  अतुल के भाई विकास कुमार की शिकायत पर मराठाहल्ली पुलिस ने अतुल की पत्नी निकिता सिंघानिया सहित 4 लोगों के खिलाफ बीएनएस की धारा 108 और 3(5) के तहत एफआईआर दर्ज की है। 

अतुल सुभाष ने सुसाइड नोट में लिखा था, "मैं पैसे देने मना करता हूं और मौत को चुनता हूं. मैं नहीं चाहता हूं कि मेरे पैसे का इस्तेमाल विरोधी मुझे और मेरे परिवार को प्रताड़ित करने के लिए करें. कोर्ट के बाहर ही मेरी अस्थियां गटर में बहा दी जाएं." तुल सुभाष ने आरोप लगाया था कि उनकी पत्नी ने उनके खिलाफ कई मामले दर्ज करा रखे थे. उनकी पत्नी उनसे 3 करोड़ की मांग कर रही थी. आत्महत्या करने के समय अतुल ने जो टीर्शट पहनी हुई थी, उस पर लिखा था 'Justice Is Due'. आत्महत्या करने से पहले अतुल ने डेढ घंटे के वीडियो और 24 पन्नों की चिट्ठी में पत्नी, ससुरालवालों और न्यायिक व्यवस्था को जिम्मेदार कहा है. 2019 में उनकी शादी हुई थी. उन्होंने दावा किया कि शादी के दो साल बाद उनकी पत्नी ने उनके खिलाफ दहेज उत्पीड़न, हत्या से लेकर आप्राकृतिक यौन शोषण तक के केस दर्ज करा दिए थे. उन्होंने आरोप लगाया था कि उनकी पत्नी ने गुजरा भत्ता के किए 3 करोड़ रुपए मांगे थे. उनकी पत्नी ने उनके बेटा का चेहरा तक उन्हें देखने नहीं दिया था. शादी के बाद उनकी पत्नी के पिता की मौत किसी बीमारी से हुई थी, लेकिन ससुरालवालों ने उनके खिलाफ हत्या का मामला दर्ज करा दिया था. उनके अनुसार, फैमिली कोर्ट ने मामला खत्म करने के लिए पांच लाख रुपये मांगे थे. उन्होंने कहा कि 2 साल में उन्हें 120 बार पेशी पर जाना पड़ा था. उन्होंने कहा कि जज के सामने ही उनकी पत्नी ने उनसे कहा था कि सुसाइड क्यों नहीं कर लेते. जिसे सुनकर जज भी ठहाका मारकर हंसने लगी थी. अतुल  के परिजनों ने बताया कि मध्यस्थता कोर्ट के लोग कानून के हिसाब से काम नहीं करते हैं. वो सुप्रीम कोर्ट के नियम को भी नहीं मानते हैं. मेरे बेटे को 40 बार बेंगलुरु से जौनपुर आना पड़ता था। उनकी पत्नी उस पर आए दिन नए-नए आरोप लगाती थी. वो निराश जरूर हुआ होगा, लेकिन उसने कभी हमें ऐसा महसूस होने नहीं दिया. हमें अचानक इस घटना की जानकारी मिली थी. उसने रात को 1 बजे हमारे छोटे बेटे को मेल भेजा था. हमारे बेटे ने जो आरोप लगाए हैं वो 100 प्रतिशत सच हैं. हम बता नहीं सकते हैं कि हमारा बेटा किस तनाव में रहा होगा.

अधिवक्ता विकास पाहवा ने कहा कि यह बहुत गंभीर मामला है और एक आपराधिक वकील होने के नाते मैंने देखा है कि कैसे 498A का दुरुपयोग कानूनी बिरादरी, पुलिस तंत्र, असंतुष्ट महिलाओं, इन सभी मामलों को दर्ज करने वालों द्वारा किया गया है। मैंने पिछले तीन दशकों में इसे अपनी आँखों से देखा है। इस घटना ने विवाद को जन्म दिया है और इस मुद्दे को देश के सभी लोगों के सामने ला दिया है। मुझे लगता है कि अब इस मुद्दे को बहुत गंभीरता से लिया जाना चाहिए क्योंकि 498A के दुरुपयोग पर अंकुश लगाया जाना चाहिए। आखिरकार, इसका हमारे समाज के सामाजिक ताने-बाने पर असर पड़ता है। ऐसे झूठे आरोप हैं जो न केवल पति के खिलाफ बल्कि परिवार के ससुर, सास, ननद और देवर के खिलाफ भी दर्ज किए जाते हैं। उन्हें भी इस तरह के मामलों में फंसाया जाता है और उनमें से अधिकांश झूठे होते हैं। मैं यह नहीं कह रहा हूँ कि वास्तविक मामले नहीं हैं। वास्तविक मामले हैं जिनकी जाँच की जानी चाहिए, लेकिन उनमें से अधिकांश, जो हम देखते हैं, पति को कुछ पैसे के लिए मामले को सुलझाने के लिए राजी करने के लिए दायर किए जाते हैं...तो यह दर्शाता है कि इस कानून का किस तरह से दुरुपयोग किया जा रहा है। मुझे लगता है कि गंभीर कार्रवाई की जानी चाहिए। कांग्रेस सांसद रेणुका चौधरी ने कहा कि यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। देश में ऐसी घटनाएं कभी नहीं होनी चाहिए। अगर आम आदमी को यह उम्मीद ही नहीं है कि उसे कहीं से न्याय मिलेगा, तो यह समाज के लिए बहुत नुकसानदेह है। कार्यान्वयन एजेंसियों को सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। अदालत को स्वतः संज्ञान लेना चाहिए।

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