पति को हर माह गुजारा भत्ता दे पत्नी
बॉम्बे हाईकोर्ट की औरंगाबाद बेंच ने सुनाया फैसला
बॉम्बे हाईकोर्ट की औरंगाबाद बेंच ने एक महिला टीचर को आदेश दिया है कि वह अपने पूर्व पति को हर माह गुजारा भत्ता दे, क्योंकि पति की सेहत ठीक नहीं रहती और माली हालत भी खराब है. दरअसल, नांदेड़ की निचली अदालत ने यह फैसला सुनाया था जिसे उच्च अदालत ने भी बरकरार रखा है. दोनों का विवाह 17 अप्रैल 1992 को हुआ था. पत्नी ने बाद में क्रूरता को आधार बनाते हुए शादी को भंग करने की मांग की और आखिरकार 2015 में नांदेड़ की अदालत ने तलाक को मंजूरी दे दी थी.
इसके बाद पति ने नांदेड़ की निचली अदालत में याचिका दायर कर पत्नी से 15,000 रुपये प्रति माह की दर से स्थायी गुजारा भत्ता देने की मांग की. पति ने तर्क दिया था कि उसके पास आय का कोई साधन नहीं है जबकि पत्नी ने एमए और बीएड तक पढ़ी-लिखी है और और एक स्कूल में काम कर रही है. पति ने दावा किया कि पत्नी को डिग्री दिलावाने के लिए उसने अपनी महत्वाकांक्षाओं को दरकिनार किया और घर से जुड़ी चीजों को मैनेज किया था. यह भी दलील दी गई कि नौकरी करने से पहले भी पत्नी ट्यूशन क्लास ले रही थी और परिवार के लिए आय अर्जित कर रही थी.