नए सिरे से हो इंदिरा प्रियदर्शिनी बैंक घोटाले की जांच: हार्टकोर्ट, 28 करोड़ रुपये का था बैंक घोटाला

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने किया ट्वीट 

नए सिरे से हो इंदिरा प्रियदर्शिनी बैंक घोटाले की जांच: हार्टकोर्ट, 28 करोड़ रुपये का था बैंक घोटाला

रायपुर। रायपुर के इंदिरा प्रियदर्शिनी बैंक घोटाले की दोबारा से जांच कराने के लिए होईकोर्ट ने इजाजत दे दी है। 10 साल पहले रायपुर के इंदिरा प्रियदशिर्नी बैंक में करोड़ों का घोटाला हुआ था।
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के इंदिरा प्रियदर्शिनी बैंक घोटाले की नए सिरे से जांच करने की अनुमति हाईकोर्ट ने दी है। सीएम भूपेश बघेल ने भी एक ट्वीट कर इसकी जानकारी दी है। उल्लेखनीय कि लगभग दस साल पहले रायपुर के इंदिरा प्रियदर्शिनी बैंक में करोड़ों का घोटाला सामने आया है। उस दौरान मामले की जांच भी हुई थी। लेकिन अब राज्य सरकार ने उसी मामले की नए सिरे से जांच की अनुमति के लिए हाईकोर्ट में अपील की थी। 
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ट्वीट कर कहा कि माननीय उच्च न्यायालय ने जनता की गाढ़ी कमाई के पैसों के गबन के प्रियदर्शिनी बैंक घोटाले की जांच की अनुमति दे दी है। नार्को टेस्ट में प्रमुख अभियुक्तों में से एक उमेश सिन्हा ने बताया था कि उसने तत्कालीन मुख्यमंत्री रमन सिंह और उनके मंत्रियों अमर अग्रवाल, बृजमोहन अग्रवाल व रामविचार नेताम सहित कई भाजपा नेताओं को करोड़ों रुपए दिए थे। बैंक संचालकों सहित कई अन्य लोगों को भी पैसे दिए गए। भ्रष्टाचार उजागर होना चाहिए। दोषियों को सजा मिलनी ही चाहिए।

आरोपी ने किए थे बड़े-बड़े नामों के खुलासे
जानकारी के लिए बता दें कि पिछली भाजपा सरकार के कायर्काल में जब पुलिस ने इस मामले में चाजर्शीट पेश की थी तो उस समय इंदिरा बैंक के मैनेजर उमेश सिन्हा के नार्को टेस्ट का उसमें जिक्र नहीं था। दरअसल, उमेश सिन्हा ने अपने नार्को टेस्ट में कई बड़े नाम लिए थे। साथ ही कहा था कि इन लोगों को पैसे पहुंचाए गए हैं। करीब 10 साल पहले इसका वीडियो भी वायरल हुआ था। हालांकि, बाद में सिन्हा अपनी बातों से पलट गए थे और कहने लगे कि उन्होंने किसी मंत्री या नेता को पैसा नहीं पहुंचाया है।

28 करोड़ रुपये का था इंदिरा प्रियदशिर्नी बैंक घोटाला
दरअसल, साल 2006 में आर्थिक अनियमितता पाए जाने पर बैंक बंद हुआ था। इंदिरा बैंक में 28 करोड़ का घोटाला सामने आने के बाद सभी खातेदारों में हड़कंप मच गया था। बैंक में करीब 22 हजार खातेदार थे। घोटाला उजागर होने के बाद बैंक ने अपने आप को डिफॉल्टर घोषित कर दिया था और इंश्योरेंस कंपनियों की मदद से खातेदारों को राशि भी लौटाई थी। यह राशि लेकिन काफी कम थी। अभी भी उपभोक्ताओं के करीब 14 करोड़ रुपये लौटाने हैं।