विवाह पश्चात अपने सपनों को पूरा करने के लिए आज भी संघर्षरत हैं महिलाएं-डॉ. सोनाली चक्रवर्ती

स्वयंसिद्धा की स्थापना दिवस पर 100 कलाकारों ने दी प्रभावशाली प्रस्तुति

विवाह पश्चात अपने सपनों को पूरा करने के लिए आज भी संघर्षरत हैं महिलाएं-डॉ. सोनाली चक्रवर्ती

भिलाई। स्वयंसिद्धा-ए मिशन विद विजन छत्तीसगढ़ की अग्रणी महिला संस्था के स्थापना दिवस पर 'भिलाई की बहूÓ एक शाम गृहणियों के नाम का आयोजन एसएनजी ऑडिटोरियम सेक्टर-4 भिलाई में किया गया। मंच पर 100 से ज्यादा कलाकार जिनमें 80 गृहिणियां एवं 20 'कच्ची धूपÓ क्लास के बच्चों ने बेहतरीन प्रस्तुति दी। कार्यक्रम की संकल्पना, संयोजन एवं निर्देशक डॉ.सोनाली चक्रवर्ती की थी।
कार्यक्रम का शुभारंभ स्त्री तुम मुखोटे क्यों रंगती हो नामक  कविता पर मयुरा गुरलवार के मोनोएक्ट से हुआ जिसे बेहद सराहा गया। तत्पश्चात स्वयंसिद्धा का एंथम रिलीज किया गया। जिसके बोल है आधी दुनिया नहीं है हम। स्त्री सशक्तिकरण का गीत पूरे स्त्री समाज के लिए समर्पित किया गया।
कार्यक्रम की मुख्य अतिथि पद्मविभूषण डॉ. तीजन बाई थी। उन्होंने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि जब इस कार्यक्रम का आमंत्रण मिला मुझे लगा महिलाओं का कार्यक्रम है, हल्का-फुल्का नाच गाना होगा। यहां आकर मैंने इतनी सारी स्त्रियों का पूर्ण संयोजन के साथ जो नाटक देखा उसने मुझे इतना प्रसन्न किया कि लगा आज तो यहां पर तीजनबाई ही फीकी पड़ गई। महिलाएं एक दूसरे का साथ दें तो हम कहीं भी पहुंच सकते हैं। सोनाली चक्रवर्ती द्वारा लिखित किताब 'छोटा ख्यालÓ का विमोचन अतिथि गणों द्वारा किया गया। इसमें भावुक कर देने वाला दृश्य उपस्थित हुआ जब सोनाली चक्रवर्ती के प्राइमरी और हाई स्कूल के हिंदी शिक्षिकाओं शशि कला सुपे एवं मनोरमा पाहवा को मंच पर आमंत्रित किया गया।
डॉ.सोनाली चक्रवर्ती ने अपने उद्बोधन में कहा कि हमारे देश में ही नहीं संपूर्ण विश्व में प्रतिभाशाली नारी को स्वीकार करना समाज के लिए आज भी मुश्किल है। वहां हम विवाह पश्चात अपने सपनों को पूरा करने के लिए आज भी संघर्षरत हैं। हमारे समाज में विवाहित स्त्री को यही समझा जाता है कि वह अब बाहर कुछ भी नहीं कर सकती। लेकिन एक उम्र के बाद जब घर परिवार में उनकी जरूरत कम हो जाती है हम तब अपना समय सामाजिक कार्यों को देते हैं।
3 लाइट एंड साउंड शो प्रस्तुत किए गए। सप्र्रवथम युगनिर्माण प्रस्तुत किया गया जिसमें 40 कलाकारों ने भाग लिया जिसमें भारतीय नारी के बदलते स्वरूप और छवि को बखूबी दर्शाया गया महिलाओं ने अपने अभिनय से सब को चमत्कृत कर दिया। ईज़ा पॉल ने दुर्गा और काली के रूप में तांडव प्रस्तुत कर पूरे हॉल को चकित कर दिया। लोगों ने खड़े होकर कलाकार का अभिवादन किया। ऐसे तीखे कटाक्ष से भरी थी 'डायरी बचपन कीÓ नाटक जिसमें बच्चों पर माता-पिता की महत्वाकांक्षाओं का बोझ दर्शाया गया एवं इसे कच्ची धूप के 20 बच्चों ने प्रस्तुत किया। 
कार्यक्रम में शक्तिपद चक्रवर्ती, वरिष्ठ साहित्यकार संतोष झांझी, छत्तीसगढ़ी फिल्मों के सुपरस्टार रजनीश झांझी, ब्रम्हाकुमारी आशा दीदी, वीरेंद्र सतपति, अमिताभ भट्टाचार्य, प्रदीप भट्टाचार्य ,अशोक गुप्ता, संदीप चक्रवर्ति, कोमल बेदी, अनिल बल्लेवार, सत्या पांडे, राजेश जैन सराफ, सुचित्रा शर्मा, अमर शर्मा, विजेंद्र अग्रवाल ,कुहू अग्रवाल, फेमिन मिसेस इंडिया श्वेता पड्डा, अंजना श्रीवास्तव ,पीके श्रीवास्तव, विजय दिल्लीवार, श्वेता उपाध्याय, विनीता गुप्ता, डॉ. हंसा शुक्ला सहित समाज के गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

नाटक से दर्शाया कि बहुओं ने कैसे भिलाई को बनाया लघु भारत 
1955 में भिलई नामक गांव से जब भिलाई इस्पात संयंत्र की स्थापना हुई। उस समय के बाद जब पूरे भारत से बहुएं भिलाई आई और कैसे उन्होंने भिलाई की और एक दूसरे की संस्कृति को अपनाते हुए भिलाई को लघु भारत बनाया। इस पर बेहद मनोरंजक ढंग से डॉ. सोनाली चक्रवती द्वारा लिखित/निर्देशित नाटक प्रस्तुत किया गया। जिसे दर्शकों की भरपूर सराहना प्राप्त हुई। तालियों से हॉल गूंजता रहा। भारत के कई प्रदेशों के लोकगीत पर महिलाओं ने अति आकर्षक नृत्य प्रस्तुत किए। छठ से लेकर उगादि तक, गुड़ी पाड़वा से लेकर दुर्गा पूजा तक जब मंच पर साकार हुए दर्शकों ने दिल से सराहा।

नई कलाकारों ने दी प्रस्तुति
कार्यक्रम के कलाकार में कमल चक्रवर्ती, सोनल कालरा, प्रोमिला खन्ना, मंजू मिश्रा, प्रिया तिवारी, संजीत कौर, रीता वैष्णव,अनिता चक्रवर्ती, गीता चौधरी, देबजानी मजूमदार, रूमा बर्धन, सोमा बोस, रूमा कर, रूमा डे, रेणु शर्मा, रेणु पांडे, सुशीला साहू, लक्ष्मी साहू, वंदना नाडमवार, शीला प्रकाश, बिजया सिंह, राजकुमारी कन्नोजे, पुष्पा, बिंदु नायक, सुदेशना बर्धन, कोमल घोष, डॉ पूर्णिमा लाल, डॉ नीता तिवारी, नीलिमा शुक्ला, स्नेहा तिवारी, मेनका वर्मा, विनीता गुप्ता, शोभा खरालकर, शिल्पा जैन, विद्या भट्टाचार्य, आरती तिवारी, ललिता बाबू, डॉक्टर अल्का दास, अर्चना सेनगुप्ता, सरिता चौबे, एल.अन्नू , बनानी मैती, संगीता जयसवाल, दीपा सिंह, वैशाली कुलकर्णी, सोमाली शर्मा, मधुरिमा रॉय, बिपाशा हालदार, स्मिता चौहान, सरोज टहनगुरिया, राधिका यादव, कृतिका वैष्णव, नीरा लखेरा, सीमा कन्नोजे थे।