किताबों में बने श्रम कानून का धरातल पर पालन नहीं - मिश्रा
देश व प्रदेश के विकास में योगदान देने वाले मजदूरों का हो रहा शोषण
भिलाई। एचएमएस यूनियन के प्रदेश कार्यवाहक अध्यक्ष एच . एस. मिश्रा ने कहा है कि वर्तमान समय में महंगाई दिन-रात बढ़ रही है, जिससे घर परिवार चलाना मुश्किल है। देश दुनिया में जो भी विकास और काम हो रहा है, उनमें सबसे ज्यादा मेहनत और योगदान मजदूरों का रहा है। उसके बावजूद मजदूरों का ही शोषण हो रहा है। केंद्र सरकार हो या राज्य सरकार, कानून तो किताबों में जरूर बना है लेकिन धरातल में सच्चाई कुछ और है। उन्होंने कहा कि कानून बनाना ही सरकारों की जिम्मेदारी नहीं है, नैतिकता के नाते कानून का पालन कराना भी सरकार की जिम्मेदारी है। सरकारों की विफलता के चलते मजदूरों का अपना संवैधानिक हक व अधिकार नहीं मिल रहा है, जो बहुत दुखद है।
श्री मिश्रा ने बताया कि कंपनी, कारखाना, ठेकेदार व एजेंसियों को कोई भय व परवाह नहीं है। खुलेआम कानून व नियम की धज्जियां उड़ा रहे हैं। अतः सरकार में बैठे प्रतिनिधि व अधिकारियों से आग्रह है कि मजदूर हित को ध्यान में रखते हुए कानून का शत प्रतिशत पालन कराने की जिम्मेदारी लें, क्योंकि सबसे ज्यादा बढ़ चढ़कर कतारों में खड़ा होकर मतदान करने वाले केवल और केवल मजदूर व किसान है। इसलिए नियत व नीति दोनों पर ध्यान देना जरूरी है, कानूनन मजदूरों का मौलिक अधिकार है। उन्होंने बताया न्यूनतम वेतन और अकुशल (USW) 399 अर्ध कुशल (SSW) 418 कुशल कारीगर (SW) 448 उच्च कुशल कारीगर (HSW) 478 प्रतिदिन 8 घंटे के लिए है। 8 घंटे से ज्यादा काम करने पर डबल रेट से ओवरटाइम का पैसा देना है। सालाना बोनस देना है। लगभग एक पेमेंट के बराबर 8.33 और कंपनी को लाभ है तो 20 प्रतिशत भी देने का प्रावधान है। साल में दो बार महंगाई भत्ते का एरियस देना है। एंप्लॉयमेंट कार्ड वेतन पर्ची, हर माह परिचय पत्र, हाजरी कार्ड, जिसमें कंपनी का सील और साइन होना चाहिए। सुरक्षा के उपकरण दस्ताना, गॉगल, जूता, सेफ्टी बेल्ट इत्यादि काम के आधार पर देना चाहिए। पांच साल बाद ग्रेजुएटी का लाभ का नियम भी है।
छुट्टियों की सुविधा, फेस्टिवल, कैजुअल, राष्ट्रीय छुट्टियों की सुविधा, अर्जित अवकाश, एचपीएल मिलनी चाहिए। अगर फैक्ट्री में रेगुलर कर्मचारी है तो सर्विस बुक व लीव कार्ड भी बनना चाहिए। फैक्ट्री कर्मचारी का वेज स्ट्रक्चर होना चाहिए। 3 साल वह 5 साल में प्रमोशन होना चाहिए। पूरी हाजिरी पर पीएफ की कटौती होनी चाहिए लेकिन कुछ कंपनी, ठेकेदार कम हाजिरी बताकर कम पीएफ काटते हैं। कहीं 100 , 200, 300 से ऊपर कर्मचारी है वहां सबका नहीं कुछ खास लोगों का पीएफ कटता है। 10 से ज्यादा कर्मचारी है तो उसका इ एस आई कार्ड होना चाहिए । कुछ ठेकेदार व कंपनी 12 घंटा काम व संडे को 30 31 दिन काम लेते हैं जो न्यूनतम वेतन भी नहीं देते हैं। यह सब सरकार व प्रबंधनों के सामने हो रहा है। जो बीएसपी एनएसपीसीएल में कर्मचारी काम करते हैं उन्हें ए डब्ल्यू ए हाजिरी के आधार पर 26 दिन पर वेतन के साथ 2300 रुपए अलग से देना है।