को ऑपरेटिव बैंक में हेराफेरी कर हड़पे 146 करोड़
रुपए हड़पने किए 18 महीने मेहनत और खर्च किए एक करोड़ रुपए
लखनऊ (एजेंसी)। को ऑपरेटिव बैंक के खाते से 146 करोड़ रुपये हड़पने की साजिश में 18 महीने तैयारी चली। इसके लिए बिल्डर गंगा सागर चौहान, मास्टरमाइंड ध्रुव, रामराज व गिरोह के कुछ अन्य सदस्यों ने मिलकर एक करोड़ रुपये खर्च किए। मुंबई से तीन हैकर हायर किए। 6 डिवाइस और 3 की-लागर सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया गया। इसके बाद तीन बैंक अधिकारियों की मदद से सर्वर को हैक कर रुपये बैंक खातों से उड़ाए गए। यह खुलासा एसटीएफ ने गिरफ्त में पांच आरोपियों से पूछताछ में किया। इस वारदात को अंजाम देने के लिए 25 व्यक्तियों की पांच टीमें बनाई गईं थीं। सभी के काम अलग-अलग बांट दिए गए थे। कार्यवाहक एसएसपी एसटीएफ विशाल विक्रम के मुताबिक हैकरों ने सर्वर को हैक कर, प्रबंधक व कैशियर के लॉग इन आईडी पासवर्ड प्राप्त किया। इसके बाद पूरे कंप्यूटर सिस्टम को रिमोट एक्सिस पर लेकर एनएडी अनुभाग में खुले 7 खातों से आठ बार लेन-देन कर 146 करोड़ के आरटीजीएस करके ठगी का प्रयास किया। इस मामले में पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
एसटीएफ के मुताबिक मास्टरमाइंड ध्रुव श्रीवास्तव ने कुबूल किया कि वह मई 2021 में लखनऊ अपने मित्र ज्ञानदेव पाल के साथ आया था। यहां आकाश से उसकी मुलाकात हुई। आकाश के जरिए ज्ञानदेव व धु्रव एक ठेकेदार से मिले। आकाश ने बताया कि उसके पास एक हैकर है। यदि बैंक के किसी अधिकारी को सेट कर लें तो सिस्टम को रिमोट एक्सिस पर लगभग 300 करोड़ रुपये अपने फर्जी बैंक खातों में ट्रांसफर किए जा सकते हैं। इसके बाद से लोग भूपेंद्र सिंह के माध्यम से उप्र. कोआॅपरेटिव बैंक महमूदाबाद के सहायक प्रबंधक कर्मवीर से मिले। डील तय हुई मुंबई से एक हैकर बुलाया गया। उस हैकर ने डिवाइस तैयार की। जिसे कर्मवीर सिंह व ज्ञानदेव पाल बैंक के सिस्टम में बार-बार लगाते रहे।
एसटीएफ के मुताबिक डिवाइस लगाने का 8 बार प्रयास किया गया पर सफलता नहीं मिली। इसी बीच इनकी मुलाकात लोक भवन में तैनात अनुभाग अधिकारी रामराज से हुई। रामराज की टीमें में ही उमेश गिरी था। उनसे पूर्व प्रबंधक आरएस दुबे से संपर्क किया। 14 अक्तूबर शुक्रवार को आरएस दुबे, रवि वर्मा व ज्ञानदेव पाल शाम 6 बजे के बाद बैंक गए। की-लागर इंसटॉल कर डिवाइस लगाई। दूसरे दिन सुबह पांच टीमों के करीब 25 लोग केडी सिंह बाबू स्टेडियम के पास पहुंचे। वहां से रवि वर्मा और पूर्व प्रबंधक आरएस दुबे बैंक के अंदर गए।
एसटीएफ ने बताया जब बाहर से पैसों को ट्रांजेक्शन होता तो बैंक के अंदर बैठे रवि व आरएस दुबे सिस्टम में लगे डिवाइस व बैंक में लगे डीवीआर को निकाल लेते थे। लेकिन गार्ड ने उनको अंदर टोक दिया। इसके बाद वे वापस आ गए। लंच के बाद ज्ञानदेव पाल, उमेश गिरी, बैंकर व साइबर एक्सपर्ट के साथ मिलकर 146 करोड़ रुपये गंगा सागर सिंह के कंपनियों के अलग-अलग खातों में आरटीजीएस के माध्यम से ट्रांसफर कर दिये।