भिलाई में कांग्रेस पार्षदों के काम करेंगे विधानसभा चुनाव का फैसला
सड़कों पर बने गड्ढों से परेशान जनता, कांग्रेस परिषद से नाराज
भिलाई (सुवांकर रॉय)। भिलाई नगर व वैशाली नगर विधानसभा के चुनाव का फैसला निगम की परिषद के कार्यों के मूल्यांकन के आधार पर होगा। चुनाव से पहले निगम के कांगे्रस पार्षदों के काम काज को लेकर चर्चा और सुगबुगाहट का दौर शुरू हो गया है। वैशालीनगर सीट भाजपा के नाम है परंतु भिलाई निगम में महापौर नीरज पाल कांगे्रस के हैं। वहीं राज्य की सबसे चर्चित सीटों में शुमार भिलाई नगर की सीट की स्थिति कांगे्रस के लिए प्रतिकूल बनती दिखाई दे रही है। इस सीट से वर्तमान में देवेन्द्र यादव विधायक हैं जो भिलाई निगम के महापौर भी रह चुके हैं।
गौरतलब है कि इस वर्ष के आखरी महिने में विधानसभा का चुनाव होना है और 6 जनवरी के पहले नई सरकार को राज्य में सत्तासीन होना है। विधानसभा चुनाव को लेकर पार्टियों ने अपनी तैयारी जरूर शुरू कर दी है लेकिन वैशालीनगर और भिलाई नगर विधानसभा इन दोनों क्षेत्रों की जनता के दिमाग में कुछ और ही चल रहा है। शहर में कई ऐसे वार्ड हैं जहां पार्षद चुनाव जीतने के बाद वार्डों में किए जाने वाले विकास कार्यों लेकर कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई है। वार्डवासियों की समस्याएं सुनने के लिए भी उनके पास समय नहीं होता। कई कांगे्रसी पार्षद ऐसे हैं जो ठेकेदारी और दलाली में व्यस्त हैं। अपने वार्ड में कम ही नजर आते हैं। नए पुराने सड़क पर जगह-जगह गड्ढे हो गए है। इससे लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। कई वार्ड तो ऐसे है जहां कांगे्रस का पार्षद होते हुए भी जनता परेशान है। नालियों की कई दिनों तक साफ सफाई भी नहीं की जाती है। वार्ड में घुमंतु मवेशी तथा आवारा कुत्तों के कारण लोगों का सड़क पर चलना मुश्किल हो गया है। कुछ माह पहले ही बनाए गए सड़कों पर बड़े-बड़े गड्ढे हो गए है।
किसे वोट दें इसे लेकर गली-मुहल्लों में चर्चाएं शुरू
इस साल के अंतिम माह में विधानसभा चुनाव होना है। किसे वोट दें, किसे न दें इसे लेकर गली-मुहल्लों में आम जनता के बीच चर्चाएं शुरू हो गई है। कई वार्डों के परेशान नागारिक इस बात की फैसला कर चुके हैं कि इस बार किसे वोट देना है। कई पार्षद ऐसे भी है जो लगातार चुनाव जीतते आ रहे हैं, अब ऐसे पार्षदों के बदले नए प्रत्याशी को मौका देने का मन बना लिए हैं। भिलाई नगर और वैशालीनगर विधानसभा में कई ऐसे भी पार्षद हैं जिन्होंने अपने ही वार्ड को दो हिस्से में बांट दिया है। यह कहते हुए कि आपने हमें वोट नहीं दिया है और यही कारण है कि एक ही वार्ड में पार्षद द्वारा लोगों के साथ अलग-अलग बरताव किया जाता है। वार्ड की साफ सफाई और विकास कार्यों में भी यह देखा जा सकता है।