आज आरटीआई के कानून का दुरूपयोग अधिक और सदुपयोग हो रहा है कम-धनवेन्द्र जायसवाल
प्रेस से मिलिये कार्यक्रम में राज्य सूचना आयोग के आयुक्त ने आरटीआई की बारीकियों से पत्रकारों को कराया अवगत
लापरवाही बरतने वालों पर जुर्माना लगाने वाला छग देश का बना पहला राज्य, दो साल में 55 लाख रूपये लगा चुका हूं पेनाल्टी
भिलाई। स्टील सिटी प्रेस क्लब द्वारा आज प्रेस से मिलिये कार्यर्क्रम का आयोजन होटल आमंत्रण सुपेला में किया गया। इस प्रेस से मिलिए कार्यक्रम में पत्रकारों के मार्गदर्शन के लिए मुख्य अतिथि के रूप में राज्य सूचना आयोग के आयुक्त धनवेंद्र जायसवाल को आमंत्रित किया गया। प्रेस से मिसिलए कार्यक्रम में मुख्य अतिथि श्री जायसवाल ने पत्रकारों को आरटीआई के विषय में जहां बेहद ही महत्वपूर्ण जानकारी दिये। वहीं उन्होंने आरटीआई के संबंध में पत्रकारों द्वारा पूछे गये प्रश्रों का उत्तर भी दिये। इस दौरान धर्मेन्द्र जायसवाल ने बताया कि आरटीआई में किस प्रकार से और कैसे प्रश्रों को लगाना चाहिए जिसकी जानकारी आसानी से समय पर मिल सके। उन्होंने आगे कहा कि आप आवेदन साफ सुथरा और स्पष्ट अक्षरों में दें और आपको किस चीज की जानकारी चाहिए वह स्पष्ट रूप से प्राथमिकता के तौर पर उल्लेखखित हो।
श्री जायसवाल ने बताया कि आरटीआई के अब तक करीब साढे 12 हजार मामले पेंडिग है जिसमें सन 2015 के भी मामले शामिल है। इसके लिए संसाधनों की जरूरत है। कोई भी सरकार हो मैँ दोषारोपण तो नही करना चाहता लेकिन उपर बैठे ब्यूरोक्रेट है वो चाहते है कि कानून बन तो गया है लेकिन इसका इम्प्लीमेंट बेहतर तरीके से ना हो,इसके लिए वे तमाम कोशिशें करते है। आरटीआई को और बेहतर होने की कोशिश करनी चाहिए वह नही हुई। 2019 में पार्लियामेंट में संशोधन आया और आयोग के अधिकारों को और सीमित करने का प्रयास किया गया। जो पहले पांच साल का कार्यकाल होता था अब उसे तीन साल कर दिया गया। अभी की स्थिति ये है कि जब मामले की सुनवाई करते हैं तो जिस जनसूचना अधिकारी के पास आवेदन लगा होता है तब तक तीन चार बार उनका ट्रांसफर हो गया रहता है। मामला इतना अधिक पेेंङ्क्षडग है कि एक एक पेशी आने में 6 महिने लग जाते है। इसलिए इन मामलों की सुनवाई में मैं तेजी लाने की कोशिश करता हूं। मेरे राज्य सूचना आयोग में आने के पहले एक दिन में करीब 17 मामलों पर सुनवाई होती थी लेकिन मै जब ज्वाईनिंग किया तो एक दिन में उसको बढाते हुए लगभग 30 से 35 मामलों की सुनवाई करता हूं ताकि जो मामले पेंडिंग है उसमें तेजी से कमी आई है। पहले जो 5-5 और 7-7 पेशियां लगती थी उसको मैँ 3-3 पेशी में ही पूरा करता हूं। और जो पेशी में नही आता है उसको स्थिति अनुसार जुर्माना लगा देता हूं। पहले ये होता था कि 25-25 हजार रूपये जुर्माना लगता था लेकिन वे जमा नही करते थे और जुर्माना बढता जाता था लेकिन मैं आने के बाद इसको पूरी तरह बदला और जिसको जुर्माना लगा हुआ है जहां से पेमेंट होता है वही लेटर देकर उनके वेतन से कटवा कर चालान बनवा देता हूं, इसके कारण यहां सरकार को कोष भी बढ रहा है। मैं अब तक 55 लाख रूपये आरटीआई में लापरवाही बरतने वालों के खिलाफ पेनाल्टी लगाया हूं। जो संभत: पूरे देश में सूचना आयोग मेें सर्वाधिक हैं। पेंडिग मामलों में कमी लाने मैं आज के तारीख में एक दिन में 65 तक के मामलों की भी सुनवाई कर देता हूं। कई लोग अनुकंपा नियुक्ति के मामले में आरटीआई लगाते है, ऐसे मामलों में सालोंसाल लग जाता है, लोग भटकते रहते हैं कि आखिर उनके नौकरी का मामला कहां रूक गया है, मैं एक अपना सिद्धांत बनाया कि पहले अनुकंपा वाले मामले की प्राथमिकता से सुनवाई करूंगा और उनकी पेशी कम समय के लिए देता हूं और सुनवाई करता हूं। मैं अब तक करीब 18 से 20 ऐसे मामलों की सुनवाई किया जिसमें लगभग उन सभी लोगों को और अनुकंपा नौकरी लग गई, ये मेरे जीवन का सबसे संतोष देने वाला कार्य है। उन्होंने कहा कि पत्रकार आरटीआई का सदुपयोग करें, इससे आपको लेख लिखने या समाचार बनाने में आसानी होगी। पत्रकार समाज सेवा में भी आगे रहते है, वो लोगों की कई प्रकार से मदद करते है, इसलिए पत्रकारों के बारे में लोगों का नजरिया होता है कि पत्रकार को सब चीज की जानकारी होती है, यदि पत्रकार किसी की मदद करने के लिए आगे बढते हैं तो उनको न्याय जल्दी मिलता है। 1991 में राजस्थान की एक संगठन नें एमके एस एस अरूण जोशी और विनय दुबे ने एक आंदोलन चलाया और उन्होंने जानने का अधिकार उसका नाम दिया था। काफी लंबा संघर्ष के बाद 2003 में पहली बार और 2005 में सूचना का अधिकार का कानून पूरी तरह बनकर तैयार हुआ। इसका मुख्य उद्देश्य यही था कि इससे भ्रष्टाचार रूके, पक्षपात न हो, तमाम कार्यों में पारदर्शिता हों और इसकी पूरी जानकारी आम जनता तक पहुंचे। लेकिन ये बहुत ही दुर्भाग्य की बात है कि आज इस कानून का दुरूपयोग बहुत अधिक हो रहा है और सदुपयोग बहुत कम हो रहा है। इसके बावजूद मैं मानता हूं कि यह कानून और सशक्त एवं मजबूत करने की आवश्यकता है और इसे बेहतर बनाने की जरूरत है। आज की स्थिति ये है कि जब हम आरटीआई के लिए किसी दफ्तर में आवेदन लेकर जाते है तो कोई लेने को तैयार नही होता, इसको 30 दिनों में जानकारी देना होता है, इसमें भ्रष्टाचार नही होता है, और उनके पास ये जानकारी है या नही ये कोई बताने को तैयार नही होता। इसका आवेदन लेने और उसके बाद राज्य सूचना आयोग की भूमिका निर्धारित होती है। उसके बाद जो प्रकरण आता है तब पंजीयन,जन सूचना अधिकारी और प्रथम अपीलीय अधिकारी ऐसा करके ये एक लंबी प्रक्रिया हो जाती है जिसके कारण जितना जल्दी इसका निराकरण होना चाहिए वह हो नही पाता। इसके कारण इसमें जो अधिकारियों में सजगता होनी चाहिए वह सजगता दिखाई नही देती। उन्होंने कहा कि पत्रकारों के लिए आरटीआई बहुत बढिया कारगर साबित हो सकता है। जैसे हमें पता हैं कि अगला खूब भ्रष्टाचार किया है, हमारे पास कोई ठोस सबूत नही है, और हम समाचार लगाने के बाद अगला हमें न्यायालय में ले जा सकता है तो हम आरटीआई लगाकर थोड़ा इंतजार करले और उससे ठोस सबूत ले लें उसके बाद ही समाचार प्रकाशित करें।
उन्होंने बताया कि हम सूचना के अधिकार के तहत कही निर्माण कार्य हो रहा है और उसमें हमें भ्रष्टाचार होने की शंका हो तो वे आरटीआई में आवेदन लगाकर मटेरियलों का भी सेम्पल ले सकते है, जो बहुत ही कम लोगों की इसकी जानकारी है। आज शहरी पत्रकारों की अपेक्षा ग्रामीण क्षेत्रों के पत्रकार आरटीआई नियमित लगाते हैं और जानकारी नही मिलने पर आयोग तक भी पहुंचते हैं, ऐसे सर्वाधिक मामले आयोग में ग्रामीण पत्रकारों के भी है वे आरटीआई का लाभ लेकर उसका उपयोग समाचार प्रकाशित करने में लेते हैं।
कार्यक्रम के प्रारंभ में स्टील सिटी प्रेस क्लब के अध्यक्ष आनंद नारायण ओझा ने मुख्य अतिथि धर्मवेेन्द्र जायसवाल का स्वागत किया। स्वागत भाषण क्लब के कोषाध्यक्ष निलेश त्रिपाठी ने दिया। इस दौरान वरिष्ठ पत्रकार एवं स्टील सिटी प्रेस क्लब के संरक्षक शिव श्रीवास्तव, वरिष्ठ पत्रकार आलोक तिवारी, मयंक चतुर्वेदी, श्री गोस्वामी मंचासीन थे। कार्यक्रम के अंत में मुख्य अतिथि श्री जायसवाल का वरिष्ठ पत्रकार विमल शंकर झा ने शॉल व पौधा प्रदान कर सम्मान किया। कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ पत्रकार राघवेन्द्र सिंह ने और आभार व्यक्त क्लब के अध्यक्ष आनंद नारायण ओझा ने किया।
इस अवसर पर स्टील सिटी प्रेस क्लब के महासचिव दिनेश चौहान, क्लब के हाउसिंग सोसाईटी के अध्यक्ष अनिल साखरे,कार्यालय सचिव शमशुद्दीन खान, सुवांकर रॉय, शमशीर सिवानी, विरेन्द्र्र शर्मा, मिथलेश ठाकुर, अनुभूति भाकरे ठाकुर, अनिल गुप्ता,दिनेश पुरवार, अतुल अर्जुन, मुकेश बनवासी, आर पी सिंह, के प्रदीप, खोमेन्द्र सोनकर, गौरव तिवारी,खेमराज, संजय दुबे, संतोष तिवारी, विमल थापा, अश्वनी त्रिपाठी, तन्नू निषाद, कृष्णकांत साहू, निलेश चौबे, सुरेन्द्र जी सहित बडी संख्या में स्टील सिटी प्रेस क्लब के सदस्य उपस्थित थे।