शरीर से दूर रखे मोबाइल, ब्लूटूथ हेडसेट या मैसेजेस के जरिये करे बातचीत, जाने क्यों होता है मोबाइल ब्लास्ट
दुर्ग। मोबाइल का उपयोग अब आम हो चुका है। वर्तमान में बच्चे-बुढे सभी के हाथ में मोबाइल है। देश में मोबाइल ब्लास्ट होने की घटनाएं लगातार सामने आ रही है। इसमें कई लोगों की जान भी जा चुकी है। मोबाइल भी एक इलेक्ट्रॉनिक यंत्र ही है जो बिजली और तरंगों के उपयोग से कार्य करता है। इस कारण मोबाइल उपयोग के दौरान कई सावधानियां भी लोगों को बरतनी चाहिए। भारत सरकार के टेलीकॉम विभाग भी पूर्व में इसके लिए दिशा निर्देश जारी कर चुका है। आइये जानते हैं कि हमें मोबाइल उपयोग के दौरान किन-किन बातों को ध्यान में रखना चाहिए, ताकि जान माल की नुकसान से स्वयं व दूसरों को बचाया जा सकें।
1. जितना हो सके मोबाइल फोन को शरीर से दूर रखें । फोन को कान पर रखने के बजाय ब्लूटूथ हेडसेट का प्रयोग करें। मोबाइल को स्पीकर मोड में डाल कर चेहरे से दूर रख कर बात करें। रात को सोते समय मोबाइल को तकिये के पास या बिस्तर में साथ लेकर ना सोएं।
2. फोन को कान या सिर से दबाकर प्रयोग न करें क्यों की मोबाइल जितना आपके पास होता है उसके विकरण उतने ही ज़्यादा होते है।
3. मोबाइल पर लम्बी बातें करने से बचें क्योंकि मोबाइल फोन पर लम्बी बातें आपके स्वास्थ्य के लिए अच्छी नहीं है।
4. जितना हो सके संवाद के लिए एसएमएस और वाट्सअप संदेश आदि का उपयोग करें, मोबाइल फोन कॉल का उपयोग कम से कम करें।
5. सिग्नल वीक है तो बात न करें क्याकि मोबाइल फोन का सिग्नल कमजोर होने पर फोन से आने वाले सिग्नल की रेडीएशन और अधिक बढ़ जाती है। इसलिए जहाँ अच्छा सिग्नल मिले उसी स्थान पर स्थिर रह कर बात करें।
6. कॉल कनेक्ट होने पर ही कान पर रखें : जब भी आप किसी को कॉल करते है, आपको स्क्रीन से कॉल के कनेक्ट होने की सूचना मिल जाती है। मोबाइल को कान पर तभी रखें जब आपका कॉल सामने वाले से कनेक्ट हो चुका है, ऐसा करने से आप कम से कम समय मोबाइल को कान पर रखेंगे।
7. लैंडलाइन का उपयोग करें : लैंडलाइन से कॉल करते समय विकरण का कोई खतरा नहीं होता है। इसलिए यदि आपका बहुत ज़्यादा समय कॉल में जाता है तो बेहतर है।
8. शरीर में मेडिकल इंप्लांट से मोबाइल दूर रखें :यदि शरीर में किसी तरह का मेडिकल यंत्र इंप्लांट किया हुआ है, तो मोबाइल को उससे दूर रखें।
9. मोबाइल का एसएआर 1.6 डब्ल्यू/केजी से कम ही हो: स्पेसिफिक एब्सॉर्पशन रेट (एसएआर) मोबाइल से निकालने वाले रेडीएशन का पैमाना होता है। मोबाइल खरीदते समय जाँच लें की एसएआर की मात्रा 1.6 डब्ल्यू/केजी से कम हो।
क्यों होता हे मोबाइल ब्लास्ट
1. चार्जिंग के दौरान कॉलिंग: यह सबसे खतरनाक काम है बावजूद इसके अक्सर हम करते हैं। हालांकि मोबाइल निर्माता इस तरह के तकनीक का प्रयोग करते हैं जिससे? कि चार्जिंग के दौरान भी आप बातें कर सकें लेकिन फिर भी खतरा बना होता है। चार्जिंग के दौरान बात करने से एक तरफ फोन की बैटरी चार्जर हो रही होती है और दूसरी ओर खपथ ऐसे में फोन जल्दी हीट हो जाता है और ब्लास्ट का खतरा बढ़ जाता है।
2. खराब चाजर्र: किसी फोन के निर्माण करने से पहले उसकी कई तरह की परिक्षण की जाती है। फोन के साथ ही चार्जर के लिए भी एक मानक तय होता है। परंतु हम अक्सर पैसे बचाने के लिए अनब्रांडेड चार्जर का उपयोग करते हैं और इससे फोन ब्लास्ट का खतरा काफी बढ़ जाता है। इन चार्जर्स का कोई स्टैंडर्ड नहीं होता है और ये चार्जर तय मानक से ज्यादा पावर सप्लाई करते हैं। ऐसे में फोन फोन ब्लास्ट होने का खतरा बढ़ जाता है।
3. निर्माण में गलती: मोबाइल फोन में लीथियम आयन बैटरी का उपयोग होता है। यह एक पोर्टेबल बैटरी टाइप है जो रिचार्जेबल है। साथ ही हाईकपैसिटी पावर देने में सक्षम है और यह लंबे समय तक चार्ज रह सकता है। ली?थियम आयन बैटरी का निर्माण तीन भाग में होता है। यह कोबाल्ट आॅक्साइड पोजेटिव इलेक्ट्रोड जिन्हें हम कैथोड कहते हैं। इसके अलावा ग्रेफाइड कार्बन नेगेटिव इलेक्ट्रोड जिन्हें एनोड कहा जाता है। इसके अलावा तीसरा भाग इलेक्ट्रोलायट कैमिकल का होता है। कैथोड धनात्मक (पोजेटिव) पावर है जबकि एनोड रिनात्मक (नेगेटिव) पावर है। तकनीकी रूप से ये दोनों कैथोड और एनोड इलेक्ट्रोलायट कैमिकल के अंदर होते हैं। अर्थात एक ही केमिकल के बक्से या थैली में होते हैं लेकिन उन्हें अलग-अलग खाने में रखा जाता है। परंतु हीट, शार्ट सर्किट या फिर निर्माण के दौरान किसी तरह की थोड़ी सी गलती की वजह से भी दोनों आयन एक साथ मिल जाते हैं और बैटरी ब्लास्ट हो जाती है।
4. प्रोसेसर ओवरलोड: किसी भी फोन के निर्माण में इसे कई तरह के प्रोसेस से गुजरना होता है। कंपनियों को यह मालूम होता है कि ज्यादा ऐप खोलने या भारी भरकम ऐप चलाने पर प्रोसेसर ओवर लोड हो सकता है जिससे ओवर हीटींग की समस्या आ सकती है। ऐसे में वे प्रोसेसर को थरमल लॉक फीचर से लैस रखती हैं जिससे यदि फोन ज्यादा हीट हो तो खुद ही आॅफ हो जाए। परंतु कई फोन में ऐसा नहीं होता थरमल लॉक फेल हो जाता है और ओवर हीटिंग की समस्या की वजह से यह ब्लास्ट हो जाता है। थरमल लॉक चार्जिंग के दौरान भी काम करता है। हालांकि सबसे ज्यादा फोन ब्लास्ट चार्जिंग के दौरान ही होते हैं और उसका कारण थरमल लॉक का काम न करना है।
5. सॉफ्टवेयर: हालांकि सॉफ्टवेयर की वजह से फोन ब्लास्ट के कम खबरें सुनने को मिलती है लेकिन फोन को ओवर हीट होने और ब्लास्ट होने के पीछे सॉफ्टवेयर भी एक कारण हो सकता है। अगर सॉफ्टवेयर खराब है तो फोन बहुत जल्दी हीट हो जाएगा हीट खतरनाक स्तर तक जा सकती है।
6. फोन में पानी: भारत में गर्मी बहुत ज्यादा पड़ती है और लोगों को पसीने भी बहुत ज्यादा आते हैं। परंतु मोबाइल पर बात करने के दौरान अक्सर हम नहीं देखते कि फोन में पसीना जा रहा है। परंतु बता दूं कि यह बहुत ही खतरनाक हो सकता है। पानी—पसीना या फिर कोई दूसरा लीक्विड आपके फोन को खराब कर सकता है और इससे फोन ब्लास्ट भी हो सकता है।
7. भार: कई बार हम फोन को अपने पीछले पॉकेट में लेकर बैठ जाते हैं लेकिन यह आपके लिए काफी खतनाक है। अगर फोन की बॉडी या स्क्रीन पर वजन पड़ती है तो वह ब्लास्ट भी हो सकता है।