महिलाओं की तुलना में पुरुष नसबंदी ज्यादा सरल एवं सुरक्षित, सुपेला शासकीय अस्पताल में पुरूषों ने कराए नसबंदी
11 दिसंबर को लगेगा शिविर
भिलाई। लाल बहादुर शास्त्री शासकीय अस्पताल सुपेला में सीएमएचओ और डीएचओ के मार्गदर्शन में 5 पुरुषों ने नसबंदी ऑपरेशन करवाए हैं। ऑपरेशन सर्जिकल विशेषज्ञ डॉ. वाईके शर्मा ने किया। इसमें शहरी खण्ड चिकित्सा अधिकारी डॉ पीयम सिंह, हितेंद्र कोसरे, राजेंद्र डाहरे के कुशल नेतृत्व में सेक्टर सुपरवाइजर विजय सेजुले, ललित साव, आरसी मूर्ति, सतविंदर सिंह, रोहित मंडले, अनिल नागदेवे का सहयोग रहा। 11 दिसंबर को पुरुष नसबंदी शिविर रखा गया है।
- आसान है पुरुष नसबंदी का ऑपरेशन, भर्ती होने की जरूरत नहीं
पुरुष नसबंदी और स्त्री नसबंदी में किसी एक को चुनना हो, तो पुरुष नसबंदी को चुनना बेहतर होगा। पुरुष नसबंदी महिलाओं की अपेक्षा 90 फीसदी से भी ज्यादा आसान है। इसमें अस्पताल में भर्ती होने की भी जरूरत नहीं पड़ती। ऑपरेशन के बाद पुरुष चलकर भी घर जाने की हालत में रहता है। पुरुष नसबंदी गर्भ रोकने का एक स्थायी तरीका भी है। इसमें पहले (दोनों तरफ) इंजेक्शन से लोकल एनेस्थिसिया दिया जाता है। उससे कुछ वक्त के लिए उस प्राइवेट पार्ट के इर्द-गिर्द के हिस्से में सेंसेशन नहीं रहता। अंडकोष के दोनों ओर एक-एक सेंटीमीटर का चीरा लगाया जाता है, जिससे सर्जन स्पमेर्टिक कॉर्ड तक पहुंचता है। स्पमेर्टिक कॉर्ड के भीतर स्पर्म नलिका पाई जाती है। स्पर्म नलिका का छोटा-सा हिस्सा (करीब 1 सेंटीमीटर) काट दिया जाता है और काटे हुए दोनों छोरों को बांध दिया जाता है। इस तरह बांधने से स्पर्म को निकलने से रोक दिया जाता है। उसके बाद चीरे पर गलनेवाले टांकों से सिलाई की जाती है। इससे पुरुष की सिर्फ प्रजनन शक्ति को खत्म किया जाता है, उसका पुरुषत्व, जो हॉर्मोन पर आधारित है, वह जस-का-तस रहता है। नसबंदी के बाद पुरुष की सेक्स करने की इच्छा, प्राइवेट पार्ट में तनाव, चरमसीमा का आनंद और वीर्य की मात्रा जितनी पहले थी, उतनी ही रहती है। - महिलाओं की तुलना में पुरुष नसबंदी ज्यादा सरल एवं सुरक्षित
अधिकांशत: पुरुष अभी भी इसे अपनाने में हिचकिचा रहे हैं। क्योंकि कहीं ना कहीं समुदाय में अभी भी पुरुष नसबंदी से संबंधित जानकारी का अभाव है। सिविल सर्जन डा. मीना कुमारी ने बताया कि महिलाओं में नसबंदी की प्रक्रिया पुरुषों की अपेक्षा ज्यादा जटिल होती है। जबकि पुरुष नसबंदी से न ही शारीरिक कमजोरी आती है और ना ही संक्रमण का डर होता है। बल्कि इसके लिए बहुत सामान्य आपरेशन है जिसमें आधे घंटे से भी कम का समय लगता है। यहां तक कि लाभार्थी को अस्पताल में रहने की जरूरत भी नहीं पड़ती तथा वह आपरेशन के आधे घंटे के बाद अपने घर भी जा सकते हैं। उनमें किसी भी प्रकार की शारीरिक बदलाव या दिनचर्या पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है और ना ही नसबंदी से भविष्य में ही किसी तरह की स्वास्थ्य जनित समस्या होती है। जागरूकता व जानकारी के अभाव में आज भी पुरूष नसबंदी कराने से घबराते हैं।