बैंक मैनेजर को 26 साल बाद मिला न्याय, रिश्वत मामले में हुए दोष मुक्त

बैंक मैनेजर को 26 साल बाद मिला न्याय, रिश्वत मामले में हुए दोष मुक्त

बिलासपुर। एक बैंक के शाखा प्रबंधक को रिश्वत लेने के मामले में 26 साल के बाद न्याय मिला है। हाईकोर्ट ने उसे रिश्वत लेने के आरोप से मुक्त कर दिया है। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा के निर्देश पर हाईकोर्ट में बहुत पुराने मामलों के निराकरण के लिए अभियान चलाया जा रहा है। इसी कड़ी में सन् 1998 का यह मामला सूचीबद्ध किया गया था, जिसकी सुनवाई जस्टिस संजय कुमार जायसवाल की अदालत में हुई।

बता दें कि दुर्ग के जिला उद्योग केंद्र ने दामाखेड़ा के तेजेंदर देव के लिए प्रधानमंत्री रोजगार योजना के तहत 95000 का ऋण स्वीकृत किया था, जो दामाखेड़ा स्थित देना बैंक शाखा से प्रदान किया जाना था। तेजेंदर देव ने सीबीआई को शिकायत की थी कि उससे रिश्वत की मांग की गई है। सीबीआई ने शाखा प्रबंधक विनोद आनंद झा को 7000 रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया। सीबीआई ने जबलपुर की विशेष अदालत में केस डायरी पेश की। कोर्ट ने उसे सजा सुनाई। इस आदेश के खिलाफ बैंक मैनेजर ने हाईकोर्ट में अपील की थी, जिसके बाद उनकी सजा स्थगित कर दी गई थी, पर अंतिम आदेश नहीं हुआ था।

हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान बैंक मैनेजर की ओर से उनके वकील ने बताया कि बैंक ने शिकायतकर्ता के लिए जो 95 हजार रुपए का ऋण स्वीकृत किया था, उसमें खाता खोलने, दस्तावेज तैयार करने और प्रोसेसिंग शुल्क संबंधी 6900 रुपए का खर्च था। यह राशि शिकायतकर्ता ने बैंक मैनेजर को दी थी और उसे रिश्वत में दी गई रकम बताकर सीबीआई से गिरफ्तार कराया। कोर्ट ने शिकायतकर्ता के बयान को विश्वसनीय नहीं पाया और सीबीआई की कार्रवाई तथा जबलपुर की विशेष अदालत के फैसले को निरस्त करते हुए बैंक मैनेजर को दोषमुक्त कर दिया।