आदिवासी पुनरुत्थान के महानायक भगवान बिरसा मुंडा का आज मनाया जा रहा जन्म दिवस

आदिवासी पुनरुत्थान के महानायक भगवान बिरसा मुंडा का आज मनाया जा रहा जन्म दिवस

रायपुर। आदिवासी पुनरुत्थान के महानायक भगवान बिरसा मुंडा का जन्म दिवस है। भगवान बिरसा मुंडा ’’माटी के वीर पदयात्रा’’ आज जशपुर के पुरना नगर मैदान से हुई शुरू। पदयात्रा में केंद्रीय युवा कार्यक्रम, खेल, श्रम एवं रोजगार मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया और मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय 10 हज़ार से अधिक माय भारत युवा स्वयंसेवकों के साथ पदयात्रा कर रहे हैं। माटी के वीर पदयात्रा में उपमुख्यमंत्री अरुण साव, वित्त, आवास एवं पर्यावरण, योजना आर्थिक एवं सांख्यिकी तथा जिले के प्रभारी मंत्री ओ.पी. चौधरी, आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति, पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक विकास विभाग, कृषि विकास एवं कृषि कल्याण तथा जैव प्रौद्योगिक विभाग मंत्री रामविचार नेताम, खेल एवं युवा कल्याण, राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग के मंत्री टंक राम वर्मा, महिला एवं बाल विकास मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े, सांसद राधेश्याम राठिया, सरगुजा क्षेत्र विकास प्राधिकरण की उपाध्यक्ष एवं विधायक गोमती साय, विधायक रायमुनी भगत, विधायक रामकुमार टोप्पो, विधायक सुशांत शुक्ला, राज्य महिला आयोग की सदस्य प्रियम्वदा सिंह जूदेव शामिल हैं।

सभ्यता और संस्कृति की दृष्टि से विश्व मानचित्र पर जगमगाता हुआ देश भारत आदिम जाति बाहुल्य देश है। यहां विविध आदिम जातियों की जनसंख्या दस करोड़ से अधिक है। भारत की कुल जनसंख्या की 8.4 प्रतिशत आबादी आदिम जातियों की है। भारत का हृदय प्रांत छत्तीसगढ़ भी आदिवासी बाहुल्य राज्य है।यहां 43 अनुसूचित जनजातियां एवं उनके 162उपसमूह निवासरत हैं। छत्तीसगढ़ में अनुसूचित जनजातियों का प्रतिशत 30.62 है। जनजातीयों का गौरवशाली इतिहास बताता है कि प्राचीन काल से इस समुदाय ने मां भारती की सुरक्षा में अपना तन- मन- धन सदैव न्योछावर किया है। इस बात के प्रबल साक्षी आदिवासियों के जननायक भगवान बिरसा मुंडा हैं । ब्रिटिश हुकूमत से भारत को स्वतंत्रता दिलाने में आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान, शौर्य,त्याग और बलिदान की गाथा को बिरसा मुंडा के जीवन का एक एक पल व्यक्त करता है। 

भारत के गौरव ऐसे आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों को सम्मानित करने के लिए वर्ष 2021 में केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा 15 नवंबर को 'जनजातीय गौरव दिवस' मनाने की घोषणा की गई, जो कि भगवान बिरसा मुंडा का जन्म दिवस है।सरकार का यह निर्णय जनजाति सेनानियों के सम्मान, जनजाति संस्कृति का संरक्षण, संवर्धन तथा जनजाति जीवन शैली को शहरी नागरिकों को जानने का बृहद अवसर प्रदान करेगा। साथ ही छनकर आएगी यह बात "असभ्य कहता तुझको सभ्य संसार है, उसे मालूम नहीं आदिमजाति ही सच्चा पालनहार है"। 

आदिवासी पुनरुत्थान के महानायक बिरसा मुंडा को भगवान का दर्जा प्राप्त होना अंग्रेजों को खटकने लगा। मिशनरियों के धर्मांतरण के मार्ग पर बिरसा मुंडा सबसे बड़े बाधक बन गए थे। तब षडयंत्र पूर्वक अंग्रेजों ने बिरसा मुंडा को बंदी बना लिया ,यद्यपि उनके विरुद्ध कोई ठोस प्रकरण अंग्रेज नहीं बना पाए। दोष मुक्त होकर उनके कारावास से छूटने और पुनः आंदोलन करने का भय अंग्रेजों के भीतर भरा हुआ था। ऐसी स्थिति में बंदीगृह में बिरसा मुंडा की संदेहास्पद मृत्यु 9 जून 1900 को हो गई। उनकी मृत्यु को लेकर इतिहासकारों के अलग-अलग मत हैं।

करीब 25 वर्ष की अल्पायु में बिरसा मुंडा ने आदिवासी पुनरुत्थान के लिए जो कार्य किया उससे वह अजर अमर हो गए। महान क्रांतिकारी बिरसा मुंडा द्वारा ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ चलाए क्रांति को 'उलगुलान' नाम दिया गया था। उलगुलान अर्थात महाविद्रोह 1895 से लेकर 1900 तक चला था। उनके संघर्षों का ही सुफल रहा कि 1908 में एक कानून बना,जिसके तहत आदिवासियों की जमीन को गैर आदिवासियों के नाम नहीं किया जा सकता। वह कानून आज भी लागू है। आज भी उड़ीसा, झारखंड, बिहार, मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल आदि राज्यों के आदिवासी अंचलों में बिरसा मुंडा भगवान की तरह पूजे जाते हैं। 'अबुआ दिशुम अबुआ राज' अर्थात अपना देश अपना राज की अलख जगाने वाले जनजाति अमर शहीद बिरसा मुंडा को सादर नमन।