दुर्ग जिले में खपाया जा रहा देश में प्रतिबंधित नायलॉन का चाइनीज मांजा

जिंदगी की डोर काटती नायलॉन मांजा के व्यापारियों पर अब तक शुरू नहीं हो पाई कार्रवाई

दुर्ग जिले में खपाया जा रहा देश में प्रतिबंधित नायलॉन का चाइनीज मांजा

दुर्ग। पंचांग के अनुसार इस साल मकर संक्रांति 15 जनवरी को मनाया जायेगा। 14 जनवरी को रात में 2: 45 मिनट सूर्य धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करेगा। इसलिए इसका पुण्य काल व मकर संक्रांति का स्नान दान 15 जनवरी रविवार को मनाया जाएगा। और इसके साथ ही आसमान में पतंग भी उड़ते नजर आ रहे हैं। सुती धागों से बने मांजा की जगह नायलॉन मांजा का उपयोग किया जा रहा है। जिसे चाइनीज मांजा भी कहा जाता है। देश के कई हिस्सों में चाइनीज मांझा से जान जाने व घायल होने की खबरें लगातार सुर्खियों में रहती हैं। पूरे देश में प्रतिबंध के बाद अब नायलॉन चाइनीज मांजा को बड़े पैमाने पर छत्तीसगढ़ में खपाया जा रहा है। इससे दुर्ग जिला भी अछुता नहीं है। पर सवाल यह है कि पशु-पक्षी सहित इंसानों को गंभीर रूप से घायल करने वाले इस चाइनीज व नायलॉन मांजा के कारोबार पर  छत्तीसगढ़ सहित दुर्ग जिले में प्रतिबंध क्यों नहीं लग पाया है? वहीं इस विषय में दुर्ग कलेक्टर पुष्पेंद्र मीणा से चर्चा करने पर उन्होंने क्राइम डॉन बताया कि अगर चाइनीस मांजा प्रतिबंध है तो शीघ्र ही निर्णय लेते हुए इस पर ठोस कार्यवाही की जाएगी।


कुछ दिन बाद ही मकर संक्रांति पर्व है। दुर्ग-भिलाई के कई क्षेत्र में पतंगबाजी शुरू हो गई है। नायलॉन के मांजा से नन्हे पतंगबाजों को ज्यादा खतरा है। क्योंकि कई बच्चों के परिजनों को पता नहीं कि मांजा क्या होता है और यह किससे बनता है। बच्चों की जीद पर पालक अनजाने में नायलॉन व चाइनीज मांजा खरीद कर दे रहे हैं। ऐसे कम ही माता-पिता है जो अपने बच्चों को पतंगबाजी के दौरान सुती धागों से बनी मांजों के उपयोग की सलाह देते हैं। दुर्ग जिले के सभी पतंग दुकानों में व्यापारियों द्वारा सिर्फ नायलॉन मांजा ही बेरोकटोक बेचा जा रहा है। पहले सुती धागों पर बने मांजा का उपयोग किया जाता था। समय बदलने के  साथ-साथ मांजा का देशी स्वरूप भी बदल गया है। अब सुती धागों की जगह चाइनीज व नायलॉन मांजा ने ले रखा है। यह चाइनीज मांजा देश में कई लोगों की जान ले चुका है। कई लोग गंभीर रूप से घायल भी हुए है। पशु-पक्षी भी नायलॉन मांजा के संपर्क में आकर अपनी जान गंवा चुके है। पूरे देश में प्रतिबंध लगाए जाने के बाद अब इस प्राणघातक मांजा को कई वर्षों से छत्तीसगढ़ में खपाया जा रहा है। लेकिन दुर्ग जिला प्रशासन द्वारा नायलॉन व चाइनीज मांजा के विके्रताओं पर अब तक कोई भी कार्रवाई नहीं की गई है।

5 साल की सजा व 1 लाख रु. जुर्माने का प्रावधान
जानकारी के अनुसार पर्यावरण प्रोटेक्शन एक्ट 1985 के कानून के अंतर्गत उसमें संशोधन करने के बाद 5 साल की सजा और 1 लाख रुपए जुर्माने का प्रावधान है। पूरे देश में ग्रीन ट्रिब्यूनल ने नायलॉन मांजे पर पाबंदी लगाई है। नायलॉन मांजे को लेकर हाईकोर्ट में केस जीत चुके हैं। देश की पहली एफआईआर नागपुर में दर्ज की गई थी।


युवती का कटा गला, अंगुलियों में भी गंभीर जख्म
ज्ञात हो कि विगत 5 दिसंबर को रायपुर निवासी एक युवती नायलॉन मांजे के कारण गंभीर रूप से घायल हो गई थी। उन्होंने पुलिस में शिकायत करते हुए चाइनीज मांजा बेचने वालों पर कार्रवाई की मांग भी की थी। रायपुर निवासी अंकिता निगम सरकार पंडरी से होते हुए राजातालाब के पास शाम करीब 4.30 बजे अपनी एक्टिवा से जा रही थी। उसी समय वह चाइनीज मांजे की चपेट में आ गई। खुद का बचाव करते करते युवती का जहां गला कट गया तो वहीं चार अंगुलियां भी जख्मी हो गई। जब वे उपचार के लिए शंकर नगर स्थित आरोग्य अस्पताल पहुंची तो स्टाफ ने बताया कि और भी लोग इलाज के लिए आ चुके हैं।