ऋषिप्रधान और कृषिप्रधान भारत को जगद्गुरु बनाया आचार्यों ने - डॉ.महेशचन्द्र शर्मा

अधिवक्ता धनीराम गुप्ता की पुस्तक देवताओं के देवता, ब्राह्मण देवता पर संगोष्ठी में विद्वानों की परिचर्चा सम्पन्न

ऋषिप्रधान और कृषिप्रधान भारत को जगद्गुरु बनाया आचार्यों ने - डॉ.महेशचन्द्र शर्मा

भिलाई। अधिवक्ता एवं समाजसेवी लेखक धनीराम गुप्ता की वैदिक संस्कृति परक उक्त प्रामाणिक पुस्तक पर अनेक प्रसिद्ध विद्वानों ने भिलाई-3 में सम्पन्न परिचर्चा संगोष्ठी में अपने विचार व्यक्त किये। अनेक पुस्तकों के पुरस्कृत लेखक एवं देश - विदेश के अनेक सफल सांस्कृतिक भ्रमण कर चुके आचार्य डॉ.महेशचन्द्र शर्मा ने मुख्य अतिथि की आसन्दी‌ से कहा कि भारतेन्दु बाबू हरिश्चन्द्र और राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त के अनुगामी कवि/लेखक श्री धनीराम गुप्ता ने इस पुस्तक में ऋषिप्रधान और कृषि प्रधान भारतीय संस्कृति की पृष्ठभूमि पर ब्राह्मण परम्परा का महत्त्व रेखांकित किया है। सभी वेदों, पुराणों और शास्त्रों के आधार पर उन्होंने अपनी बातें लिखीं हैं। इस पठनीय पुस्तक के लेखक  धनीराम गुप्ता साधुवाद के सुपात्र हैं ।

ज्ञातव्य हो कि मुख्य अतिथि श्री शर्मा जी तीन विषयों में स्नातकोत्तर हैं,  वे सर्वोच्च शोध उपाधि डी लिट हैं। उन्होंने अब तक 11 पुस्तकें  एवं 500 से अधिक लेख ,आलेख  , समीक्षा आदि लिखे हैं  उन्होंने 13 देशों में सांस्कृतिक भ्रमण कर भाषण आदि दिया है । छत्तीसगढ़ शासन द्वारा उन्हें सर्वोच्च शिखर सम्मान दिया गया है, तथा भारत सरकार के द्वारा राष्ट्रीय पुरोधा सम्मान भी प्रदत्त किया गया है । कार्यक्रम के अध्यक्ष आचार्यश्री पं० पवन द्विवेदी जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि धनीराम गुप्ता की सद्भावना है कि उन्होंने इतना साहस किया कि ब्राह्मणों को देवता लिख दिया । पुस्तक का नाम देवताओं के देवता ब्राह्मण देवता बिल्कुल सही शीर्षक दिया गया है । प्रारंभ से ही वैश्यों की भावना ऐसी ही रही है। परंतु आज क्या ब्राह्मण में इतना साहस है कि वह अपने को देवता कह सके? ब्राह्मणों को यह सोचना चाहिए कि समाज  ब्राह्मण को किस रूप में देखना चाहते हैं  । सामान्य ब्राह्मणों को देखकर तो क्षोभ उत्पन्न होता है।

विशिष्ट अतिथि आचार्य पं. मनोज पांडे ने अपने वक्तव्य में कहा कि धनीराम गुप्ता ने बहुत ही परिश्रम करके यह प्रामाणिक पुस्तक लिखी है , वे धन्यवाद के पात्र हैं , उन्हें मैं बहुत-बहुत बधाई देता हूं। सृष्टि के प्रारंभ से ही ब्राह्मण का महत्व तो है ही परंतु आज कुछ ब्राह्मण पढ़ने से विमुख हो गये है। धनीराम गुप्ता के द्वारा इस पुस्तक में 249 प्रकरण लिखी गई है और सभी प्रमाणिक  हैं। कई ब्राह्मण तो अपने घर में महाभारत की पुस्तक रखने से डरते हैं , विभिन्न प्रकार की भ्रांतियां हैं , और यदि कोई रखता भी है तो सिर्फ सजा कर रखता हैं । उसे पढ़ते नहीं है। ब्राह्मणों को धर्म ग्रंथो का स्वाध्याय करना चाहिए। यह पुस्तक देवताओं के देवता ब्राह्मण देवता भी प्रत्येक ब्राह्मण को अपने घर पर रखना चाहिए । कार्यक्रम का संचालन भागवताचार्य पं. संतोष अवस्थी ने बहुत ही मीठे स्वर में किया और श्रोताओं को बांधे रखा। संचालन के मध्य  वे बार-बार धनीराम गुप्ता द्वारा लिखित पुस्तक "देवताओं के देवता ब्राह्मण देवता" का तथा धनीराम गुप्ता की प्रशंसा करते रहे तथा बार-बार धनीराम गुप्ता को बधाई और शुभकामनाएं देते रहें । उन्होंने ब्राह्मण समाज से अपील की कि वे अवश्य इस पुस्तक का अध्ययन करें।

कार्यक्रम के आयोजक आचार्य पं. उत्तम कुमार पाठक ने कहा धनीराम गुप्ता ने ब्राह्मणों की गौरव गाथा को लिखा है। इसके लिए श्री गुप्ता के माता-पिता तथा पूरा गुप्ता समाज गौरवान्वित हुआ है । इसके लिए हम उनके माता-पिता तथा पूरे गुप्ता समाज का आभार मानते हैं। सभा को अजय शरण देवाचार्य, आचार्य पं.अयोध्या प्रसाद द्विवेदी एवं श्री महेश पांडे ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर विप्र समाज के द्वारा धनीराम गुप्ता का शाल एवं श्रीफल प्रदान कर उन्हें सम्मान प्रदान किया गया । उनके साथ ही गुप्ता समाज के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शारदा प्रसाद गुप्ता एवं राष्ट्रीय संचालक  योगेश गुप्ता  एवं अधिवक्ता संघ भिलाई के संरक्षक गणेश शुक्ला का भी शाल एवं श्रीफल से सम्मानित किया गया ।

आभार प्रदर्शन छत्तीसगढ़ी सरजूपारीण ब्राह्मण समाज भिलाई के अध्यक्ष एवं पार्षद संतोष तिवारी ने किया। इस कार्यक्रम की  विशेषता थी कि इस कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ के बहुत सारे भागवत आचार्य एवं कथावाचक अजय शरण देवाचार्य, आचार्य पं. सोमनाथ तिवारी, आचार्य नारायण वैष्णव, आचार्य पं. अयोध्या प्रसाद द्विवेदी, आचार्य पं. मनोज कुमार पांडेय आदि उपस्थित थे। इनके अतिरिक्त अजय पाठक, संतोष पांडेय, अशोक पांडेय, संजय शर्मा, आशीष पाठक, अरविंद पाठक, महेश पांडेय, सनत शर्मा , प्रेम तिवारी, शालिक राम मिश्र, लंबोदर मिश्रा, राकेश पांडे, संतोष तिवारी, सुधीर त्रिपाठी, गणेश शुक्ला, ओम प्रकाश शुक्ला, संतोष पांडे , रामकृष्ण पांडे, शंभू नाथ झा, निजानंद पांडे, विप्र  समाज की महिलाएं श्रीमती गुंजा तिवारी, श्रीमती लक्ष्मी पांडे, श्रीमती सरिता पाठक, श्रीमती निधि पाठक, श्रीमती चित्रा पांडे, झा मैडम, श्रीमती प्रिया पाठक के अतिरिक्त भिलाई के गणमान्य नागरिक श्री ज्ञानचंद पारख, रजक आदि सैकड़ो लोग उपस्थित थे ।