नोएडा प्राधिकरण ने यमुना में डाला दूषित पानी, एनजीटी ने लगाया 100 करोड़ का जुर्माना
नोएडा/नई दिल्ली। नहरों और यमुना में दूषित पानी के प्रवाह को रोकने के लिए दायर याचिका पर राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने नोएडा विकास प्राधिकरण पर 100 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। दिल्ली जल बोर्ड पर भी 50 करोड़ का जुर्माना लगाया गया है। यह जुर्माना पर्यावरण क्षतिपूर्ति के लिए है। एनजीटी ने दिल्ली और उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिवों को संबंधित एजेंसियों की भूमिका की जांच कर कार्रवाई रिपोर्ट भी तलब की है।
याचिकाकर्ता अभिष्ट कुसुम गुप्ता की 2018 में दायर याचिका में सिंचाई नहर, यमुना व गंगा में औद्योगिक क्षेत्रों और घनी आबादी वाले इलाकों से प्रदूषित पानी डालने से रोकने में नाकामी के लिए नोएडा, दिल्ली जल बोर्ड व अन्य एजेंसियों को जिम्मेदार ठहराया गया था। गुप्ता ने बताया, अलग-अलग स्रोतों से 215 एमएलडी दूषित पानी नोएडा सेक्टर-11, 137, 51, 52, 49, 168 से होकर यमुना और बाद में गंगा में पहुंचता है।
गंभीर प्रदूषण की जद में पांच लाख की आबादी
याचिकाकर्ता ने एनजीटी को बताया कि अपशिष्ट जल नहर और यमुना में प्रवाहित करने से आसपास के 21 किलोमीटर क्षेत्र के 5 लाख की आबादी को वायु और जल प्रदूषण के कारण गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। स्वच्छ पानी के लिए बायो- ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी) भी तय मानकों से कई गुना अधिक है। नोएडा प्राधिकरण के 30 नाले, दिल्ली जल बोर्ड के तीन नाले व खोड़ा विकास परिषद के एक नाले से प्रवाहित होने वाला दूषित पानी पिछले कई वर्षों से गंभीर समस्या बना हुआ है। इस पर अगली सुनवाई 12 दिसंबर को होगी।