ये कैसी मोहब्बत, एकतरफा प्यार में नाबालिग लड़की को पेट्रोल छिड़ककर जला डाला जिंदा अंतिम यात्रा में उमड़े हजारों लोग
जीवन और मौत के बीच पांच दिनों तक संघर्ष के बाद तोड़ दिया दम
दुमका में अंकिता हत्याकांड को लेकर लोगों में आक्रोश
रांची(एजेंसी)। झारखंड के दुमका में अंकिता हत्याकांड को लेकर उबाल है। एकतरफा मोहब्बत में शाहरुख नाम के लड़के ने नाबालिग लड़की को पेट्रोल छिड़कर जिंदा जला डाला। शाहरुख द्वारा पेट्रोल छिड़क कर जला दी गई अंकिता की मौत की खबर से दुमका में लोगों के बीच गुस्सा भड़क गया। पांच दिनों तक जीवन और मौत के बीच संघर्ष करते हुए अंकिता ने शनिवार को देर रात करीब 2 बजे रिम्स में दम तोड़ दिया। सुबह होते ही यह खबर आग की तरह शहर में फैल गई। रविवार को दुमका उबल पड़ा। इस बीच कड़ी सुरक्षा इंतजामों के बीच सोमवार सुबह अंकिता का अंतिम संस्कार किया गया। शव यात्रा में हजारों लोग उमड़े और गम और गुस्से के बीच उसे अंतिम विदाई दी गई। शव यात्रा में दुमका के सांसद सुनील सोरेन भी शामिल हुए।
बंद रहा दुमका, हर तरफ आक्रोश
23 अगस्त को पेट्रोल से जला दिए जाने की घटना के दिन से ही लोग आक्रोशित थे। अब मौत की खबर सुनते ही लोगों का जमावड़ा अंकिता के जरुवाडीह स्थित आवास पर लग गया। मुहल्ले के लोगों के साथ ही जिला भाजपा महिला मोर्चा,बजरंग दल,विश्व हिन्दू परिषद और भाजयुमो के कार्यकर्ताओं का का जुटान हो गया। दुमका बंद करने की घोषणा हुई। करीब 11 बजे से आक्रोशित लोग पुलिस प्रशासन के विरोध में और अंकिता के हत्या के आरोपी शाहरुख को फांसी दिलाने की मांग को लेकर शहर में प्रदर्शन शुरू कर दिया। अंकिता के मुहल्ले जरुवाडीह से लेकर दुधानी टावर चौक तक दिन पर लोग पुलिस के खिलाफ धरना-प्रदर्शन और नारेबाजी करते रहे। आरोपी शाहरुख के खिलाफ लोगों में भारी गुस्सा है। प्रदर्शनकारियों को आम लोगों का भारी समर्थन था। दुमका बंद के दौरान दुकानें स्वत बंद हो रही थी। इक्का-दुक्का जो दुकानें खुली थी,उसे भी प्रदर्शनकारियों ने बंद करा दिया।शाहरुख को फांसी देने और दुमका में विधि व्यवस्था को ठीक करने की मांग को लेकर शहर में निकाले गए जुलूस और प्रदर्शन का नेतृत्व मुख्य रुप से भाजपा महिला मोर्चा की जिला अध्यक्ष नीतू झा,विश्व हिन्दू परिषद के जिला अध्यक्ष मिथिलेश कुमार और भाजपा युवा मोर्चा के महामंत्री अमन कुमार कर रहे थे। प्रदर्शनकारियों की मांग थी कि फास्ट ट्रैक कोर्ट में सुनवाई चला कर अंकिता के हत्यारोपी शाहरुख को फांसी की सजा दिलाई जाए।
पिता ने कहा, अंकिता के लिए आतंक बन गया था शाहरूख
यह अचानक सनक में आकर की गई कोई वारदात नहीं है, बल्कि दो साल से शाहरुख अंकिता के लिए 'आतंक' बन चुका था। शाहरुख करीब दो साल से अंकिता के पीछे पड़ा था। अपनी मौत से पांच दिन पहले फूलो झानो मेडिकल कॉलेज अस्पताल में कायर्कारी मजिस्ट्रेट को दिए बयान में अंकिता ने कहा था कि उसकी एक सहेली से शाहरुख ने मोबाइल नंबर ले लिया था और अक्सर फोन कर कर दोस्ती का दबाव बनाता था।
जबकि अंकिता उससे बात करना भी पसंद नहीं करती थी। वह न केवल बार-बार फोन कर अकिता को परेशान करता था बल्कि स्कूल जाने के रास्ते में पीछा कर छेड़खानी करने का प्रयास करता था। अंकिता को तंग आ कर स्कूल जाना बंद करना पड़ा था। ट्यूशन भी पिता के साथ जाना पड़ता था। शाहरुख ने अंकिता के घर पर पत्थरबाजी भी की थी। वह उसके घर में घुस जाता था। इस पर लोगों ने एक बार चोर कह कर पिटाई भी की थी। इसके बाद भी उसका हौसला पस्त नहीं हुआ।
एक साल पहले हो गई थी मां की मौत
अंकिता के पिता संजीव सिंह एक किराना व्यवसायी की दुकान में काम करते हैं। आर्थिक तंगी के बावजूद वे अंकिता और उसके भाई को अच्छी तालीम देना चाहते थे। अंकिता भी पढ़ने में ठीक थी। अंकिता की मां का एक साल पहले कैंसर से निधन हो चुका है। अब अंकिता की मौत से संजीव सिंह टूट गए हैं। दो बेटियों में एक बेटी की शादी हो चुकी है। दूसरे नम्बर पर अंकिता थी। बेटा 12 साल का है। घर में अंकिता के दादा-दादी भी हैं।