दत्तक पुत्री बनकर महिला ने हड़प लिए करोड़ों की सम्पत्ति व रुपए, भिलाई के प्रतिष्ठित परिवार के साथ करोड़ों रुपए की जालसाजी
भिलाई। एच एस सी एल के पूर्व मुख्य अभियंता और वरिष्ठ समाजसेवी, आरएसएस के ओटीसी प्रशिक्षित श्री देव नारायण नायक के साथ कई करोड़ रुपए की जालसाजी और अपराधिक तरीके से संपत्ति हथियाने का मामला उजागर करते हुए स्वाभिमान पार्टी के नेताओं सहित भिलाई के प्रतिष्ठित समाजसेवियों ने पत्रकार वार्ता कर जानकारी दी। नेहरू नगर निवासी देवनारायण नायक के मकान में गीतांजलि सिंह नाम की एक महिला वर्ष 2013 में किराए पर यह कहकर रहने आई कि वह पढ़ाई कर रही है, और जल्द ही अपना खुद का व्यवसाय शुरू करने वाली है। नायक परिवार के 2 पुत्र विदेशों में नौकरी कर रहे हैं और दो पुत्रियों की भी शादी हो जाने के कारण देव नारायण नायक केवल अपनी पत्नी के साथ निवास कर रहे हैं। श्रीमती नायक सामान्य गृहणी और काम पढ़ी लिखी है। इसी बात का लाभ उठाते हुए गीतांजलि सिंह ने देव नारायण नायक को बेटी की तरह सेवा करते हुए उनका दिल जीत कर उनकी करोड़ों की संपत्ति हथिया ली और करोड़ों रुपए अपने रिश्तेदारों और जान पहचान वालों को श्रीमती नायक के ही चेक से उनके हस्ताक्षर कराकर अंतरित करवा दिए। गीतांजलि सिंह एक राजनीतिक कार्यकर्ता है जो जोगी कांग्रेस से जुड़ी हुई हैं। पूर्व में वह कांग्रेस के युवा नेताओं के साथ भी जुड़ी रह चुकी हैं। गीतांजलि सिंह विधानसभा 2018 का चुनाव भी लड़ चुकी हैं। अत्यंत कम पढ़ी लिखी गीतांजलि सिंह करोड़ों अरबों की मालकिन है। गीतांजलि सिंह के पिता एक ड्राइवर के रूप में कोखा के एसईसीएल के अधिकारी संजय सिंह के मातहत नौकरी करते थे। गीतांजलि सिंह ने बेहद शातिराना तरीके से बोरसी दुर्ग निवासी योगेश यादव सहित अजीत प्रसाद और अन्य कई शातिर लोगों के साथ मिलकर नायक परिवार को फंसा कर उनकी सारी संपत्ति को हासिल करने का षड्यंत्र किया। गीतांजली सिंह ने करीब वर्तमान दर से पचास करोड़ रुपये की जालसाजी को अंजाम दिया और अंत में बुजुर्ग नायक दंपत्ति को जान से मार देने की योजना भी बना रखी थी। गीतांजली सिंह ने श्रीमती उमा नायक से दर्जनों चेक ले लिए। वर्तमान में नायक परिवार के स्मृति नगर स्थित आवास पर गीतांजलि सिंह के गुंडों ने ताला तोड़कर अपना कब्जा कर लिया है। गीतांजलि सिंह ने रायपुर स्थित नायक परिवार के नाम से पंजीकृत व्यावसायिक भूमि को बेचने के नाम पर लगभग 8 करोड़ रुपए से अधिक की रकम हथिया ली। इसी प्रकार 45 एकड़ कृषि भूमि भी अपने नाम से हथियाने के लिए गीतांजलि सिंह ने अपने दोस्त यारों के साथ मिलकर साजिश करते हुए नामांतरण करवाया। स्मृति नगर स्थित नायक परिवार के नाम से निर्मित आवास की दो बार अलग-अलग रजिस्ट्री करवा कर और स्थानीय वकीलों के
माध्यम से दबाव बनाकर रजिस्ट्रार से जमीन का नामांतरण करवा लिया। स्मृति नगर के प्लॉट नंबर 1 26 ए सड़क 28 की संपत्ति को एनजीओ के ऑफिस खोलने के नाम पर गीतांजलि सिंह ने पहले किसी समसुद्दीन के नाम पर रजिस्ट्री करवाई और फिर कुछ ही दिनों बाद कोरवा के संजय सिंह के नाम से रजिस्ट्री करवा दी। नायक परिवार ने रायपुर की संपत्ति का एडवांस 3 करोड़ 75 लाख रुपए खाते में आने पर लगभग 1 करोड़ रुपए इनकम टैक्स का जमा कर दिया। गीतांजलि सिंह से नायक परिवार ने यह कहा कि उन्हें किसी प्रकार की ऐसी रकम नहीं चाहिए जो अवैध रूप से मिलती हो। सारी रकम अगर टैक्सेबल है तो वो उसका टैक्स जमा करेंगे। इसके लिए गीतांजलि सिंह ने एक ख्वाइश नाम की स्वयं की एनजीओ के नाम से सारा पैसा लेकर उसे चेक के माध्यम से नायक परिवार को देने का निर्णय बताया था। गीतांजलि सिंह ने फर्जी तरीके से एक पावर ऑफ अटॉर्नी पर हस्ताक्षर करवा लिए थे। जिसकी प्रति नायक परिवार के पास मौजूद है। बेहद शातिर तरीके से गीतांजलि सिंह खरीदी बिक्री के मामलों में केवल गवाह के रूप में मौजूद हैं। फर्जीवाड़े के सारे दस्तावेज बोरसी के योगेश यादव के द्वारा तैयार किए जाते थे। सारी अपराध की गतिविधियां तब सामने आई जब छोटे बेटे संजीव नायक वापस 2018 को भिलाई पहुंचे। तब तक गीतांजलि सिंह ने दत्तक पुत्री का एक दस्तावेज तैयार करवा कर देवनरायण नायक और उनकी पत्नी के हस्ताक्षर का प्रस्ताव रख दिया था। नायक परिवार के छोटे बेटे संजीव नायक ने जब संपूर्ण मामले को समझा तब परिवार के सभी सदस्यों को बता कर 18 अगस्त 2020 को प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराने हेतु एक आवेदन सुपेला थाने में दिया। प्रशासन के समक्ष मामले का खुलासा होने पर स्वयं तत्कालीन पुलिस अधिकारियों ने गीतांजलि सिंह को नायक परिवार के नेहरू नगर स्थित मकान से धक्के मारते हुए घर से बाहर निकाल दिया। पुलिस के सामने ही पूछे जाने पर यह जानकारी प्राप्त हुई थी कि गीतांजलि सिंह ने दत्तक पुत्री बनाए जाने के दस्तावेज सोमनी थाने में दे दिए हैं और उसमें यह लिखा कि दोनों बेटे अपने मां बाप को प्यार नहीं करते हैं इसलिए नायक परिवार उन्हें दत्तक पुत्री बनाना चाहता है। गीतांजलि सिंह 2018 में विधानसभा का चुनाव लड़ चुकी हैं। अधिवक्ता सतीश कुमार त्रिपाठी ने इस मामले में आरोप लगाते हुए कहा कि थानों में सालों से एफआईआर दर्ज किए जाने के लिए हजारों पन्नों के दस्तावेज सहित आवेदन मौजूद होने के बावजूद एफआईआर नहीं लिखी जा रही है। आयकर विभाग की ऐसी स्थिति है कि सामान्य कर्मचारियों से अगर हजार लाख रुपए की इनकम टैक्स में भूल चूक हो जाए तो उसके कई गुना रकम वसूल करने के लिए परेशान करने वाला इनकम टैक्स डिपार्टमेंट गीतांजलि सिंह जैसी महिला के पास बेहद महंगी लग्जरी गाडिय़ों की खरीदी और खातों में अनाप-शनाप पैसे के ट्रांजैक्शन के विषय में कभी कोई जानकारी प्राप्त नहीं कर पाता। इस प्रकार के सफेदपोश अपराधी और अपराधों से बचने के लिए सामान्य आदमी भी असमर्थ है। पत्र वार्ता में उपस्थित भाटापारा के पूर्व विधायक नरेंद्र कुमार शर्मा ने इस मामले में तत्काल गीतांजलि सिंह के ऊपर एफ आई आर दर्ज नहीं करने को प्रशासन पर कलंक बताया। मांग की कि गीतांजलि सिंह को उनके साथियों सहित तत्काल गिरफ्तार करना चाहिए और नायक परिवार को उनकी कब्जा कर ली गई संपत्ति वापस दिलवाई जानी चाहिए। श्रमिक यूनियन के नेता प्रभुनाथ मिश्र ने कहा कि लगभग 3 साल से ज्यादा समय बीत जाने पर भी एफआईआरका दर्ज न किया जाना सरकार के माथे पर कलंक है। प्रशाशन को तत्काल प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कर अपराधियों के विरुद्ध कार्यवाही करना चाहिए।