हाइपरसोनिक मिसाइल के वैज्ञानिकों पर देशद्रोह का आरोप
मॉस्को (एजेंसी)। रूस में हाइपरसोनिक मिसाइल पर काम करने वाले तीन वैज्ञानिकों पर राजद्रोह के गंभीर आरोप लगे हैं। रूसी सरकार ने यह जानकारी दी है। वहीं वैज्ञानिकों पर राजद्रोह के आरोप लगने से पूरा वैज्ञानिक समुदाय चिंतित है और उन्होंने सरकार को पत्र लिखकर कहा है कि वह डर के माहौल में काम नहीं कर पा रहे हैं। वहीं सरकार ने कहा कि यह देश की सुरक्षा से जुड़ा मामला है और सुरक्षा एजेंसियां इसकी जांच कर रही हैं।
बता दें कि रूस के जिन वैज्ञानिकों पर देशद्रोह का आरोप लगा है, उनमें एनातोली मासलोव, एलेक्जेंडर शिपलियुक और वलारी ज्वेगिनत्सेव का नाम शामिल है। रूस के कळअट रिसर्च सेंटर में काम करने वाले मासलोव और शिपलियुक ने साल 2012 में फ्रांस में आयोजित एक सेमिनार में हाइपरसोनिक मिसाइल के डिजाइन को प्रदर्शित किया था। साथ ही साल 2016 में तीनों आरोपित वैज्ञानिकों ने हाइपरसोनिक मिसाइल पर एक किताब भी लिखी थी। माना जा रहा है कि इन्हीं के चलते वैज्ञानिकों पर राजद्रोह का आरोप लगा है।
अब इन वैज्ञानिकों के समर्थन में इनके सहयोगी वैज्ञानिकों ने सरकार को पत्र लिखा है, जिसमें कहा गया है कि जिन वैज्ञानिकों पर आरोप लगे हैं वह निर्दोष हैं और उनके खिलाफ देशद्रोह की कारर्वाई से रूस का वैज्ञानिक समुदाय चिंतित है। पत्र में कहा गया है कि हम उन्हें जानते हैं कि वह देशभक्त हैं और उन्होंने ऐसा कुछ नहीं किया है, जो जानकारी उन्होंने सार्वजनिक की है, वह कई बार चेक की गई थी कि कहीं उसमें कोई प्रतिबंधित जानकारी तो नहीं है, उसके बाद ही उसे सार्वजनिक किया गया था।
वैज्ञानिकों ने पत्र में कहा है कि राजद्रोह का आरोप लगने के बाद युवा छात्र हमारे साथ काम करने के लिए तैयार नहीं हैं और होनहार छात्र विज्ञान छोड़ रहे हैं। एयरोस्पेस तकनीक के लिए कई महत्वपूर्ण क्षेत्र बंद करने पड़ रहे हैं क्योंकि उनके लिए सक्षम लोग ही नहीं मिल रहे।