मरीज को बीएम शाह में मिला नया जीवन, 50 दिन बाद सकुशल हुआ डिस्चार्ज

मरीज को बीएम शाह में मिला नया जीवन, 50 दिन बाद सकुशल हुआ डिस्चार्ज

भिलाई। गंभीर सिर की चोट के बाद बीएम शाह हॉस्पिटल लाए गए मरीज को यहां के डॉक्टर्स ने नया जीवन दिया है। डेढ़ माह से भी ज्यादा भर्ती रहे मरीज को सकुशल डिस्चार्ज किया गया। मरीज 40 दिनों तक आईसीयू टीम की देखरेख में वेंटिलेटर में रहा। इस दौरान परिजनों से काउंसलिंग होती रही और टीम लगातार देखरेख करती रही। इसके बाद मरीज पूरी तरह से ठीक होकर अपने घर चला गया है।

बीएम शाह हॉस्पिटल से मिली जानकारी के अनुसार खुर्सीपार निवासी नित्यानंद तिवारी (48 वर्ष)  सिर की गंभीर चोट व बेहोशी की अवस्था में बीएम शाह अस्पताल लाया गया। 4 जुलाई को मरीज भर्ती हुआ। मरीज को वेंटिलेटर में रखा गया। सीटी स्कैन से यह पता चला के मरीज के सिर में गंभीर चोट है और उसे बचाना मुश्किल है। इसके बाद सभी आपातकालीन दवाइयां चालू की गई। मरीज के परिजन  का धैर्य और  विश्वास  इलाज में  लगी ट्रॉमा टीम के  लिए काफी मददगार  रहा। धीरे-धीरे मरीज की स्थिति में सुधार होने लगा। 50 दिन अस्पताल में रहने के बाद 23 अगस्त को मरीज को डिस्चार्ज कर दिया गया।


क्रिटिकल कंडीशन में आया था मरीज
बीएम शाह हॉस्पिटल के न्यूरो सर्जन डॉ. अनिंदो राय ने बताया कि मरीज काफी क्रिटिकल कंडीशन में हमारे पास आया था, सिर में गहरी चोट थी।  जिसे मेडिकल भाषा में डिफ्यूज एक्सोनल  इंजुरी कहा जाता है।  ऐसे मरीज के  बचने की संभावना बहुत कम रहती है।  इसके लिए स्पेशल आई.सी.यू. की ट्रामा टीम के  केयर और प्रशिक्षित नर्सिंग स्टाफ की जरूरत पड़ती है। जो हमारे हॉस्पिटल में उपलब्ध है।  हमारी टीम ने पूरी कोशिश की और परिवार जनों का भरोसा रहा,  जिससे मरीज को हम बचा पाए।

इमरजेंसी स्टाफ बधाई के पात्र : डॉ जय तिवारी
हॉस्पिटल के मेडिकल डायरेक्टर डॉ. जय तिवारी ने बताया कि मरीज काफी क्रिटिकल अवस्था में हमारे हॉस्पिटल में एडमिट हुआ हमारी ट्रॉमा टीम आईसीयू की टीम ने मिलकर मरीज की इलाज किया स्थिति काफी गंभीर परिवार जनों ने धैर्य का परिचय दिया जिससे हमें इलाज करने में दिक्कत नहीं हुई और स्वस्थ्य होने के बाद मरीज को हमने डिस्चार्ज किया इसके लिए सर्जन और सभी इमरजेंसी स्टाफ बधाई के पात्र हैं।

मरीज को बचाने डॉक्टर अपना 100 फीसदी देते हैं : डॉ अरुण मिश्रा
हास्पिटल के डायरेक्टर ऑपरेशन डॉ अरुण मिश्रा का कहना है कि डॉक्टर कोई भगवान नहीं होते वे मेडिकल की पढ़ाई करते हैं, और मरीज को बचाने के लिए अपना 100% लगाता है। सिर की चोट अलग-अलग होती है।  सभी मरीज क्रिटिकल कंडीशन पर आते हैं। किसी- किसी मरीज को हम नहीं बचा पाते, हमारे पास आईसीयूकी  कुशल टीम के साथ फुल टाइम न्यूरो सर्जन इंटेंसिविस्ट की सुविधा उपलब्ध है। हमारी टीम और बेहतर से बेहतर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के लिए प्रयासरत है। नित्यानंद तिवारी जैसे मरीज जब ठीक हो कर घर जाते हैं तो  परिवार जनों के साथ हम सब को भी बहुत खुशी होती है।

बीएम शाह हॉस्पिटल में पिताजी को नया जीवन मिला

मरीज के पुत्र पीयूष तिवारी का कहना है कि मैं पिताजी को बेहोशी की अवस्था में बीएम शाह अस्पताल में भर्ती कराया मेरे पिताजी को आते ही वेंटीलेटर में रखा,  सीटी स्कैन की गई और हमें बताया गया,  कि सिर में इतनी गहरी चोट आई है बचना मुश्किल है। हमें तो ऐसा लगा था के अब  हम क्या करें । लेकिन यहां के डॉक्टर स्टाफ  मैनेजमेंट टीम ने विश्वास दिलाया कि धैर्य रखिए जो होगा अच्छा होगा प्रतिदिन हमारी काउंसलिंग होती रही।  मैं धरती के भगवान कहे जाने वाले डॉक्टर  और ईश्वर के ऊपर सब कुछ छोड़  कर दिन प्रतिदिन इंतजार करता रहा और तब जाकर 50 दिन बाद मेरे पिताजी को हम रिचार्ज करा कर ले घर ले जा रहे ।  बी.एम.शाह हॉस्पिटल के न्यूरो सर्जन डॉ अनिंदो रॉय  और उनकी टीम का तहे दिल से शुक्रिया जिन्होंने मेरे पिताजी को नया जीवन दिया।