इस जिला अस्पताल में मोतियाबिंद ऑपरेशन के बाद 10 लोगों को दिखना बंद, डॉक्टर सहित तीन निलंबित 

इस जिला अस्पताल में मोतियाबिंद ऑपरेशन के बाद 10 लोगों को दिखना बंद, डॉक्टर सहित तीन निलंबित 


दंतेवाडा। छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा से मोतियाबिंद ऑपरेशन को लेकर एक बड़ी खबर सामने आई है। जिला अस्पताल दंतेवाड़ा में 20 लोगों के मोतियाबिंद का ऑपरेशन हुआ। ऑपरेशन के बाद 10 मरीजों के आंखों में खुजली एवं दिखाई नहीं देने की शिकायत हुई। संक्रमण इतना बढ़ा कि उन्हें जिला अस्पताल से रायपुर के भीमराव अंबेडकर अस्पताल रेफर करना पड़ा। बताया जाता है कि आई ओटी पिछले 1 साल से बंद थी। ऑपरेशन से पहले सेनेटाइज करने में प्रोटोकॉल का पालन नहीं किया गया जिसके चलते यह स्थिति बनी। घटना के बाद डाक्टर, नेत्र सहायक, नर्स को निलंबित कर दिया गया है।

जानकारी मुताबिक रायपुर में भर्ती होने के 3 घंटे के भीतर ही सभी मरीजों की आंख का दोबारा ऑपरेशन किया गया। अंबेडकर अस्पताल प्रबंधन ने सभी मरीजों को अलग वार्ड में रखा है। साथ ही उनकी निगरानी के लिए डॉक्टरों की एक टीम लगाई है। अब स्वास्थ्य विभाग ने जिला अस्पताल दन्तेवाड़ा के ऑपरेशन थिएटर को सील कर दिया है। मितानिनों के माध्यम से सोमवार को दंतेवाड़ा जिला अस्पताल में मोतियाबिंद के ऑपरेशन के लिए लोग पहुंचे थे। उन्हें बताया गया था कि ऑपरेशन के 2 दिन बाद ही सभी को घर वापस भेज दिया जाएगा। मंगलवार को अस्पताल में सभी के आंख का ऑपरेशन किया गया। गुरुवार को 10 लोगों ने आंख में संक्रमण की शिकायत की तब गुरुवार को ही रात को 9 मरीजों को रायपुर के भीमराव अंबेडकर अस्पताल में ले जाकर भर्ती करवाया गया। एक मरीज को जगदलपुर मेडिकल कॉलेज भेजा गया था उसे भी रायपुर में भर्ती करवा दिया गया है।

मामले की खबर लगते ही रायपुर के तीन नेत्र की विशेषज्ञों की टीम को दंतेवाड़ा भेजा गया है। यह मरीज को देख रहे हैं। मरीज को देखने के बाद ऑपरेशन थिएटर की बारीकी से पड़ताल की जाएगी। जिला अस्पताल में दो दिन मोतियाबिंद के मरीजों के ऑपरेशन किए गए थे। 18 अक्टूबर को 19 मरीजों का ऑपरेशन हुआ और 22 को 20 मरीजों का ऑपरेशन हुआ। कुल 39 मरीजों का ऑपरेशन किया गया। इन दोनों ही ऑपरेशन में मरीजों की आंखों में इंफेक्शन की बात सामने आ रही है। इस मामले की जैसें ही जानकरी जिला कलेक्टर मयंक चतुर्वेदी को हुई उन्होंने तत्काल रायपुर बेहतर इलाज के लिए रेफर करवाया। इधर लापरवाही के इस मामले की जांच करने के लिए टीम का गठन किया। बताया जा रहा है कि जिला अस्पताल में 4 माइक्रोबायोलॉजिस्ट है। पर उनसे मूल काम ना लेकर दूसरे काम करवाए जा रहे हैं।

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