शव जलाने को रिसाली मुक्तिधाम में नहीं थी लकड़ी, एमआईसी सदस्यों ने स्थिति संभाला

शव जलाने को रिसाली मुक्तिधाम में नहीं थी लकड़ी, एमआईसी सदस्यों ने स्थिति संभाला

रिसाली। रिसाली मुक्तिधाम में गुरुवार को स्थिति उस समय बिगड़ गई जब शव का अंतिम संस्कार करने लकड़ी के खत्म होने की सूचना निगम अधिकारियों को मिली। निगम के मुक्तिधाम में गुरुवार को एक के बाद एक, चार शव अंतिम संस्कार के लिए लाया गया था। सुबह 11 बजे निगम के अधिकारी लकड़ी की व्यवस्था नेवई लकड़ी टाल से किए। वहीं लकड़ी खत्म होने पर जनप्रतिनिधियों ने लकड़ी व्यवस्था करने प्रयास शुरू किए। रिसाली मुक्तिधाम का संचालन नगर पालिक निगम करता है। यहां अंतिम संस्कार करने वाले पीडि़त परिवार को नि:शुल्क लकड़ी उपलब्ध कराया जाता है। इसकी मॉनिटरिंग एमआईसी सदस्य द्वारा किया जाता है। गुरूवार को स्थिति उस समय बिगड़ गई जब शव का अंतिम संस्कार करने लकड़ी के खत्म होने की सूचना निगम अधिकारियों को मिली।

एमआईसी ने बढ़ाए हाथ
रिसाली मुक्तिधाम में अंतिम संस्कार के लिए लकड़ी की व्यवस्था करने महापौर परिषद के सद्स्य चन्द्रभान ठाकुर, गोविन्द चतुर्वेदी, अनुप डे व पार्षद चन्द्रप्रकाश सिंह निगम ने सराहनीय कदम उठाया। चारों जनप्रतिनिधियों ने न केवल आनन फानन राशि एकत्रीत की और लकड़ी की व्यवस्था की। निगम प्रशासन के साथ बैठ जनप्रतिनिधियों ने इस तरह की अव्यवस्था को दूर करने चर्चा भी की। मुक्तिधाम में अंतिम संस्कार करने लकड़ी खत्म होने की सूचना मिलते ही महापौर परिषद के सद्स्य व पार्षद अपने-अपने स्तर पर पहल करना शुरू कर दिया। एमआईसी अनुप डे ने स्वयं के व्यव से 4000 की लकड़ी खरीदकर उमरपोटी से मुक्तिधाम पहुंचाया। वहीं गोविन्द चतुर्वेदी, चन्द्रभान ठाकुर व चन्द्रप्रकाश सिंह निगम ने रामनगर पहुंचकर न केवल लकड़ी खरीदा, बल्कि लकड़ी को मुक्तिधाम पहुंचाया। वहीं नगर निगम रिसाली के आयुक्त आशीष देवांगन ने कहा कि मुक्तिधाम में लकड़ी खत्म होने की सूचना अचानक सुबह मिली। चुंकि मामला बेहद संवेदनशील था इसलिए सम्यक प्रयास कर लकड़ी की व्यवस्था की गई। यही वजह है कि किसी तरह की अव्यवस्था मुक्तिधाम में नहीं हुई। शुक्रवार सुबह तक 15 टन लकड़ी की व्यवस्था कर ली गई है।