गरीबों के साथ खिलवाड़, दुर्ग जिले की उचित मूल्य दुकानों में बांटा जा रहा घटिया चावल
दुर्ग। जिले की अधिकांश उचित मूल्य की दुकानों में हितग्राहियों को घटिया चावल बांटा जा रहा है। राशन की दुकानों में उपभोक्ताओं को घटिया गुणवत्ता वाला खाद्यान्न मिलने के मामले बढ़ते जा रहे हैं। चावल में कचरा, कंकड़ की मात्रा अधिक है। इससे लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। कुछ उचित मूल्य की दुकानों में लोगों को दिखाने के लिए साफ सुथरा चावल, नमक और शक्कर के सैम्पल रखे हुए है, लेकिन जो चावल हितग्राहियों को बांटा जा रहा है वह घटिया किस्म का है। डीलर भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) से प्राप्त अच्छी आपूर्ति को घटिया स्टॉक के साथ स्वैप करते हुए अच्छी गुणवत्ता वाले एफसीआई स्टॉक को निजी दुकानदारों को बेचा जा रहा है। हितग्राहियों ने इस प्रकार के घटिया चावल पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है।
दुर्ग जिले में सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अंतर्गत राशन दुकानों में गरीब परिवारों को घटिया चावल बांटा जा रहा है। उचित मूल्य की राशन दुकानों में बीपीएल हितग्राहियों को मिलने वाले चावल की गुणवत्ता सार्वजनिक वितरण प्रणाली पर सवाल खड़े कर रही है। इन दिनों राशन दुकानों में जो चावल बांटा जा रहा है, वह गुणवत्ताहीन है। चावल के नाम पर राशन दुकानों में हितग्राहियों को टूटा चावल मिल रहा है। साथ ही गंदगी इतनी की साफ करते-करते महिलाओं की पसीना निकलने लगती है। 30 प्रतिशत से अधिक टूटा चावल का वितरण किया जा रहा है।
चावल में कचरा, कंकड़ की मात्रा अधिक
हितग्राहियों का कहना है कि राशन दुकानों से मिल रहा अनाज इतना घटिया है कि उसे मवेशी भी यह ना खाए। चावल में कचरा, कंकड़ की मात्रा अधिक है। समर्थन मूल्य पर किसानों से खरीदे जाने वाले बेहतर क्वालिटी और गुणवत्ता के अनाज का राशन दुकानों में वितरण करने का दावा किया जाता है लेकिन इन दिनों राशन दुकानों में बंट रहे अनाज की गुणवत्ता देख दावे खोखले नजर आते है। यदि ऐसा अनाज किसान खरीदी केन्द्रों पर बेचने लाएं तो खरीदीकर्ता अधिकारी सैंपल देखकर ही किसानों को लौटा दें। किसानों से खरीदे जाने वाले धान को बांटे जाने के नाम पर ही राशन दुकानों में हितग्राहियों को सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अंतर्गत अनाज दिया जा रहा है, जो व्यवस्था पर सवाल खड़े कर रहा है।