निकाले गए स्वास्थ्य कर्मचारी अब लड़ेंगे आर पार की लड़ाई
भिलाई। चंदूलाल चन्द्राकर मेमोरियल मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल कचांदुर से काम से निकाले गए स्वास्थ्य कर्मचारी विगत 20 माह से धरना दे रहे हैं। इसे लेकर छत्तीसगढ़ के 90 विधायकों को पत्र प्रेषित की गई है। वहीं कर्मचारियों को काम पर पुन: रखने जाने कई बार मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से भी मिलने की कोशिश की गई हमें मिलने नहीं दिया। इसे देखते हुए धरनारण स्वास्थ्य कर्मचारी अब आर पार की लड़ाई लड़ेगी। इस तरह कंडिका 12 राजपत्र में लाकर मजदूरों के ऊपर बड़ा हमला किया गया है। आज भी जहां पर धरना पंडाल में बैठे है वहा से पानी, बिजली की भी कटौती कर दी गई है। उक्त बातें 12 मई शुक्रवार को आयोजित पत्रकारवार्ता में जन स्वास्थ्य कर्मचारी यूनियन के पदाधिकारियों ने कही।
यूनियन के देवराज साहू, धनुष साहू, कलादास डेहरिया, सुमित परगनिहा, अतुल शुक्ला, अनिता, लीला, ममता ने बताया कि चंदूलाल चंद्राकर मेमोरियल मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल कचान्दुर दुर्ग के कर्मचारी विगत 8-9 वर्षों से कार्यरत रहे थे। वर्तमान में उक्त कर्मचारियों को कार्य से वंचित कर दिया गया है। विगत सितंबर माह 2021 को काम से वंचित किया गया तब से लगातार 20 महिनों से अस्पताल कॉलेज परिसर के सामने अनवरत धरना जारी है। पूर्व में कार्यरत स्वास्थ्य कर्मचारियों के परिवार एवं जीविकोपार्जन पर प्राण घातक हमला है। वर्तमान में कर्मचारीगण शिक्षा-स्वास्थ्य से वंचित हो गये है। शासन-प्रशासन को लगातार लिखित एवं मौखिक रूप से आवेदन देकर अवगत कराया जा चुका है परंतु शासन-प्रशासन के कान में जुं तक नही चल रही है। स्वास्थ्य मंत्री टी. एस. सिंहदेव से मिलने पर कहते है मुख्यमंत्री से मिलिए वही सब कुछ करेंगे। मुख्यमंत्री से मिलने के लिए सैकड़ों बार प्रयास कर रहे है परंतु मुख्यमंत्री के पास मिलने का समय नहीं है।
दिनांक 27-12-2021 को छत्तीसगढ़ के प्रमुख स्वास्थ्य सचिव डॉ. आलोक शुक्ला मेडिकल कॉलेज अस्पताल कचान्दुर पहुंचे वह निजी अस्पताल से सरकारी होने के बाद अवलोकन करने के लिए आये थे। उस समय प्रमुख सचिव बातचीत करने के लिए आग्रह किया गया लेकिन प्रमुख सचिव ने बातचीत नहीं किया बल्कि स्वास्थ्य कर्मचारियों को सर नीचे रखकर बात करो यह नसीहत दिया। कुल मिलाकर वहा भी निराशा हाथ लगी।
दिनांक 31-12-2021 को समस्त कर्मचारियों द्वारा यह तय किया गया कि जब हमारी आवाज आवेदन निवेदन पर नहीं सुन रहे है तब हमें लोकतांत्रिक तरीके से संघर्ष की ओर जाना पड़ेगा जिसमें आमरण अनशन, मशाल रैली, पदयात्रा, मानव श्रृंखला जैसे सैकड़ों कार्यक्रम किया गया और आज भी जारी है। जब अस्पताल अधिग्रहण हुआ तब हम समस्त कर्मचारियों को यह कहा गया था कि कार्यरत सभी कर्मचारियों को संविलियन किया जाएगा परंतु ऐसा हुआ नहीं हुआ बल्कि उल्टा कार्य से वंचित कर दिया गया। हम कर्मचारियों को कार्य से वंचित करने के लिए विधानसभा में राजपत्र के द्वारा यह कानून बना दिया गया कि शासकीय चंदूलाल चंद्राकर मेडिकल कालेज और अस्पताल में पूर्व के कार्यरत कर्मचारी नौकरी के लिए दावा नहीं कर सकते है।
11 स्वास्थ्य कर्मचारी बिलासपुर हाईकोर्ट में पीटिशन किये है टोटल कर्मचारी 101 है। उसमें भी 20 महिनों के दौरान कुछ कर्मचारी इधर-उधर हो गये, पर अभी भी 70-80 मजदूर उपस्थित है। छत्तीसगढ़ सरकार चाहे संविदा कर सकती है। हम समस्त कर्मचारी अनुभवी और डिग्रीधारी होने के बाद भी हमें कार्य से वंचित किया गया, यह समझ से परे है।