निगम के लिए सिरदर्द बना मोर मकान-मोर चिन्हारी योजना का आवास

भारी राशि की अदायगी पर लोग पीछे हटा रहे कदम

निगम के लिए सिरदर्द बना मोर मकान-मोर चिन्हारी योजना का आवास


आवास लेने लोगों में नहीं दिख रहा उत्साह
भिलाई। प्रदेश में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मोर मकान-मोर चिन्हारी योजना चलाई जा रही है, जो नगर निगम के लिए अब सिरदर्द बनता जा रहा है। इन आवासों को लेने में लोगों में उत्साह नहीं दिख रहा है। इसकी मुख्य वजह आवास आवंटन के दौरान नगर निगम  को मोटी रकम भुगतान को माना जा रहा है, जिसे देने में हर कोई असमर्थता जाहिर करते हुए अपना कदम पीछे हटा रहे हैं।
 केनाल रोड, तोड़फोड़ व विकास कार्यों से प्रभावित परिवारों को राशि भुगतान के लिए 31 मई तक अंतिम तिथि बढ़ाई गई है। इसके बाद   शहरी किरायेदारों को मकान उपलब्ध कराया जाना है। आवास के लिए प्रशासन द्वारा जो गाईड लाईन तैयार की गई है उससे ऐसा प्रतित हो रहा है कि ऐसे लोग जो वर्षों से किराये के घर में में रह रहे हैं, योजना से वंचित रह जाएंगे। साथ ही किरायेदारों का कहना है कि शुरू में अगर लगभग एक लाख रुपए देना ही है तो वे  किसी अच्छे कॉलोनी में घर न ले लेंगे। लोगों का कहना है कि प्रधानमंत्री आवास के नाम पर  प्रशासन द्वारा गुमराह किया जा रहा है।

2 वर्ष पूर्व सूची जारी कर निगम ने दिया था नोटिस
प्रधानमंत्री आवास योजना मोर मकान-मोर चिन्हारी के तहत शहर में कई एएचपी मकान बनकर तैयार है। तोड़फोड़ व निर्माण कार्य से प्रभावित लोगों को आवास उपलब्ध कराया जाना है। इसके लिए प्रशासन द्वारा लगभग 2 वर्ष पूर्व नोटिस जारी कर प्रभावितों से आवेदन मंगवाए गए थे। अंशदान राशि और दस्तावेज जमा करने 31 मई तक अंतिम दिन की घोषणा भी निगम द्वारा कर दी गई है। कई हितग्राहियों ने  अब तक अंशदान की राशि व दस्तावेज नगर निगम में जमा नहीं कराए हैं। हितग्राहियों द्वारा आवास न लेने की स्थिति में इन खाली आवासों को शहर में वर्षों से किराये के घर में रह रहे लोगों को आवंटन कर दिया जाएगा।

योजना के असफल होने की मुख्य वजह
मोर मकान-मोर चिन्हारी के तहत बनाए गए एएचपी आवास की कीमत 4 लाख 75 हजार रुपए हैं। केन्द्र सरकर से 1 लाख 50 हजार  रुपए सब्सिडी के बाद मकान की कुल कीमत 3  लाख 25 हजार होगा। पात्र शहरी किरायेदारों को आवास प्राप्त करने के पूर्व लगभग 1 लाख रुपए का भुगतान नगर निगम को करना पड़ेगा।  शेष बचे लगभग 2 लाख 25 हजार रुपए का भुगतान छह माह के अंदर पात्र किरायेदार को करना है। जो इस योजना के असफल होने का मुख्य वजह माना जा रहा है।

शुरू में जमा करना होगा लगभग एक लाख रुपए
 किरायेदारों को 3 लाख 25 हजार में आवास उपलब्ध कराया जाएगा। बताया जाता है कि शहरी पात्र किरायेदारों को एएचपी आवास के लिए  लगभग 1 लाख रुपए प्रारंभ में जमा करना होगा। उसके बाद ही आवंटन संबंधी दस्तावेज निगम से मुहय्या कराया जाएगा। इस कारण आर्थिक रूप से कमजोर व पात्र किरायेदार योजना से वंचित हो जाएंगे। किरायेदारों का कहना है कि शुरू में एक लाख रुपए निगम में जमा करने की बात कही जा रही है जो एक बड़ा रकम है। एक साथ उतना बड़ा रकम जुटाने में वे असमर्थ है। इस कारण लोग इस योजना में उत्साह नहीं दिखा रहे हैं।