दुर्ग जिले में किसके अनुमति पर हो रहा अवैध ईंट भट्ठों का संचालन, बंजर हो रही जमीन, हवा में उड़ते राख से स्वास की बीमारी का खतरा, खनिज विभाग के नाक के नीचे चल रहा अवैध कारोबार

साल भर पहले खनिज विभाग ने की थी खाना पूर्ति की कार्रवाई

दुर्ग (सुवांकर रॉय)। विकासखंड दुर्ग ग्राम पंचायत कचांदुर थाना जेवरा सिरसा और ढ़ौर में खनिज विभाग के नाक के नीचे बड़े पैमाने पर अवैध ईंट भट्ठों का संचालन किया जा रहा है। ईंट भट्ठों के कारण जमीन बंजर  हो रही जमीन। हवा में उड़ते राख से स्वास की बीमारी का खतरा बन गया है। वहीं बड़े पैमाने पर पेड़ों की भी कराई की जा रही है। इससे पर्यावरण को भी नुकसान पहुंच रहा है। मजे की बात है की इन ईंट भट्ठों का संचालन ग्राम पंचायत से महज कुछ ही दूरी पर हो रहा है। बीते साल मई महीने में दुर्ग कलेक्टर और खनिज अधिकारी से शिकायत पर कार्रवाई की गई थी। 2-4 दिन दिन काम बंद रहने के बाद फिर से दुकानदारी शुरू हो गई थी। सचिव शिव प्रसाद साहू से संपर्क करने पर उनका मोबाइल बंद बताया। वहीं ग्राम पंचायत कचांदुर की सरपंच श्रीमती झामीन साहू से इस विषय में जानकारी के लिए फोन किया गया तो मोबाइल उनके पति ने बिसंभर साहू ने रिसीव किया। सरपंच झामीन साहू के पति ने कहा कि खनिज विभाग द्वारा ठीक से कार्रवाई नहीं की गई। इस कारण अवैध ईंट भट्ठों का संचालन बदस्तूर जारी है। उन्होंने आजाद हिन्द टाइम्स को शीघ्र ही कलेक्टर और खनिज अधिकारी से शिकायत की जानकारी दी। वहीं ग्रामीणों ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि ग्राम पंचायत और खनिज विभाग के अनुमति से ही सारा खेल चल रहा है। कार्रवाई के नाम पर सिर्फ खाना पूर्ति की जाती है।

इन ठेकेदरों द्वारा संचालिन किया जा रहा है ईंट भट्ठा

ग्राम पंचायत कचांदुर थाना जेवरा सिरसा में मुन्नालाल पाढ़े प्रजापति,  बुधारू, भैय्यालाल द्वारा ईंट भट्ठों का संचालन किया जा रहा है। सभी ठेकेदार आपस में रिश्तेदार है। वहीं ढ़ौर में रामलाल प्रजापति और अनिल चक्रधारी द्वारा ईंट भट्ठों संचालन किया जा रहा है। अनिल चक्रधारी ने बताया कि वे विगत 15 साल से ईंट भट्ठों संचालन कर रहे है। वहीं मुन्नालाल ने फोन पर बताया कि उन्हें ग्राम पंचायत से अनुमति मिली है।

मिट्टी का अवैध खनन कर किया जा रहा उपयोग

बताया जाता है कि इन ईंट भट्ठों में से एक को संचालन की अनुमति सिर्फ इसलिए दी गई थी कि वहां दीया और खपरेल का निर्माण किया जाएगा। वहीं ठेकेदार के रिश्तेदारों ने भी इसके आसपास और अवैध ईंट भट्ठे खोल लिए जिसका संचालन वर्षों से किया जा रहा है। अवैध रूप से मिट्टी खनन कर उसका उपयोग ईंट बनाने के लिए किया जा रहा है। ईंट भट्ठे का संचालन आबादी से दूर होना चाहिए। मिट्टी खनन के लिए खनन विभाग की अनुमति जरुरी है। चिमनी रहना चाहिए जो लोहे के बजाय सीमेंट की होनी चाहिए। पर्यावरण लाइसेंस व प्रदूषण विभाग से अनुमति होना चाहिए। बताया जाता है कि इनमें से एक भी अनुमति ठेकेदरों द्वारा नहीं ली गई है।

खेती किसानी को हो रहा है नुकसान

कचांदुर में अवैध ईंट भट्ठों के कारण ग्रामीण सहित किसानों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। स्थानीय किसानों ने बताया कि अवैध ईंट भट्ठों से निकलने वाली राखड़ खेती किसानी को बर्बाद कर रहा है। फसलों और घरों में राखड़ की काली पड़त जम जाती है। फसल बर्बाद होने के कारण खेती नहीं करने से सोना उगलने वाली जमीन बंजर हो गई है। इन परेशानियों को देखते हुए किसानों ने खेती करना भी बंद कर दिया है।

क्षेत्र में फैल जाता है राखड़

ईंट निर्माण के बाद निकलने वाली राखड़ एक स्थान से जब दूसरे स्थान में ट्रैक्टरों के माध्यम से फेंकने के लिए ले जाया जाता है तो पूरे क्षेत्र में राखड़ की गुबार उड़ने लगता है। इससे लोगों के स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ रहा है। वहीं ईंट निर्माण के लिए गिली मिट्टी को लाया व ले जाया जाता है तो गिली मिट्टी पूरे सड़क में फैल जाता है। सड़क पर चलना दुभर हो जाता है। गिली मिट्टी से फिसलन के कारण लोग सड़क पर गिरकर घायल हो रहे हैं।