कुछ नेता संविधान की प्रति अपने जेब में लेकर घूमते हैं-राजनाथ सिंह
नई दिल्ली। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने संविधान को अपनाने की 75वीं वर्षगांठ पर चर्चा के दौरान कहा कि आज विपक्ष के कई नेता जेब में संविधान की प्रति लेकर घूमते हैं। दरअसल, उन्होंने बचपन से ही यह सीखा है। उन्होंने अपने परिवारों में पीढ़ियों से संविधान को जेब में रखा हुआ देखा है, लेकिन भाजपा संविधान को माथे से लगाती है। संविधान के प्रति हमारी प्रतिबद्धता पूरी तरह से स्पष्ट है। मैं सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश एचआर खन्ना की आत्मकथा 'न तो गुलाब और न ही कांटे' से एक पंक्ति उद्धृत करना चाहूंगा, जिसमें उन्होंने स्पष्ट रूप से लिखा है 'मैंने अपनी छोटी बहन संतोष से कहा, मैंने एक निर्णय तैयार किया है, जिसकी कीमत मुझे भारत के मुख्य न्यायाधीश के पद से चुकानी पड़ेगी'।
वर्ष 1976 में, न्यायमूर्ति एचआर खन्ना ने एडीएम जबलपुर बनाम शिवकांत शुक्ला मामले में तत्कालीन कांग्रेस सरकार के खिलाफ असहमतिपूर्ण निर्णय दिया था... 1973 में, सभी संवैधानिक मूल्यों की अनदेखी करते हुए, तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने न्यायमूर्ति जेएम शेलत, केएस हेगड़े और एएन ग्रोवर को दरकिनार कर चौथे सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश को भारत का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया। इन तीनों न्यायाधीशों का एक ही अपराध था, कि उन्होंने सरकार के सामने झुकना नहीं चाहा, उन तीनों न्यायाधीशों ने एक तानाशाही सरकार की शक्तियों को संवैधानिक सीमाओं के भीतर सीमित करने का प्रयास किया था।