बीएसपी के अधिकारियों ने षडय़ंत्र पूर्वक टीए एवं टीएटी के चयनितों को किया अवैध

पीडि़त पक्ष ने अदालत का दरवाजा खटखटाया तो पता चला कि अधिकारी ने न्यायायलय में दिए ब्यान में किए अलग-अलग हस्ताक्षर

बीएसपी के अधिकारियों ने षडय़ंत्र पूर्वक टीए एवं टीएटी के चयनितों को किया अवैध
लाल घेरे में बीएसपी अधिकारी पीएस रविशंकर द्वारा किए गए भिन्न-भिन्न हस्ताक्षर

पत्रकारवार्ता में टीए संगठन के अध्यक्ष संतोष सिंह ने लगाए कई गंभीर आरोप

 भिलाई। छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में भिलाई इस्पात संयंत्र के अधिकारियों द्वारा सन् 2003 में उच्च न्यायालय से ही छल कुटरचना तथा झूठा शपथ पत्र देकर तथा न्यायालय में अधूरी जानकारी के आधार पर (रीट पिटीशन) 258/03 के माध्यम से एक आदेश प्राप्त कर स्थानिय टीए की वैध सूचि को एवं टीओटी के चयनितों को अवैध करने, उन्हें नियमितीकरण से वंचित करने तथा क्षति पहुँचाने के उद्देश्य से एक षडयंत्र को अंजाम दिया गया तथा उसी आदेश का वास्ता देकर स्थानीय समस्त भर्तियों पर रोक लगा दी गई। भ्रष्टाचार पूर्वक कई अवैध मनमानी भर्ती किये जाने लगे, जिसके कारण स्थानीय आईटीआई किये हुए युवाओं तथा पॉलिटेक्निक किए हुए तकनीकी रूप से दक्ष युवाओं की भर्ती को लेना बंद कर दिया गया।हालांकि यह मामला अभी उच्च न्यायालय में विचाराधीन है।
टीए संगठन के अध्यक्ष संतोष सिंह ने पत्रकार वार्त  में बताया कि छत्तीसगढ़ राज्य का पहला मामला होगा जिसमें सेल जैसे नौरत्न कंपनी के अधिकारियों ने उच्च न्यायालय से इतना बड़ा साजिश किया। उस साजिश को न्यायिक हथियार बनाकर अपने ही द्वारा चयनित तथा ट्रेनिंग दिये गये प्रशिक्षुओं के खिलाफ उपयोग किया, जिस वजह से सात टीए ट्रेनियों ने आत्महत्या कर लिया तथा कितने मानसिक रुप से विकलांग हो गये। कितनों की शादीशुदा जिंदगी तबाह हो गई। 28 अक्टूबर को आयोजित पत्रकारवार्ता में टीए संगठन के अध्यक्ष  संतोष सिंह ने बताया कि उक्त विषय को लेकर पिड़ित पक्ष टी.ए.संगठन के अध्यक्ष संतोष सिंह, कुलदीप सिंह दिनांक 08.04.2011 को थाना भिलाई भट्टी में लिखित में शिकायत दर्ज कराई गई थी। जाँच में पुलिस के समक्ष उचित तथ्य भी साक्ष्य के रूप में आया लेकिन कथित राजनैतिक एक व्यक्ति के दबाव से आरोपीगणों पर एफआईआर दर्ज नहीं हुआ। उसके बाद संतोष सिंह ने लगातार विषय वस्तु की शिकायत उच्च न्यायालय (छ.ग.) के साथ-साथ सर्वोच्च न्यायालय में दर्ज करवाई। दिनांक 20 जुलाई 2016 के उच्च न्यायालय से प्राप्त पत्र के आधार पर पुन: जिला न्यायालय, दुर्ग में धारा 156/03 के तहत् परिवाद दर्ज कि गई जिसमें जिला एवं सत्र न्यायधीश द्वारा उच्च न्यायालय से संबंधित छल का प्रयोजन है के आधार पर सी.आर.पी.सी. की धारा 195 के तहत् उच्च न्यायालय का क्षेत्राधिकार वाली बात बोलकर अपने आप को बचा लिया।
ज्ञात हो कि समस्त साक्ष्य दस्तावेजों तथा डब्ल्यू. पी. 258/03 के याचिकाकर्ता की न्यायालयीन बयान के आधार पर संतोष सिंह ने सी.आर.पी.सी. की धारा 195, 340 के अन्तर्गत उच्च न्यायालय छ.ग. में याचिका दायर कि जिस पर मात्र आठ दिनों में उच्च न्यायालय में मामले को रजीस्टर्ड कर संज्ञान में लेकर भिलाई इस्पात संयंत्र के अधिकारी, कर्मचारी, गणतन्त्र ओझा, संतोष कुमार, सीजा पी. मैथ्यु, पी. एस. रविशंकर, नारायण सिंह लोहवंशी, कौशल किशोर झा सहित छ.ग. शासन को नोटीस जारी कर दिया। इसमें विशेष बात यह है कि इसके अलावा भिलाई इस्पात संयंत्र तथा सेल के अन्य बड़े-बड़े अधिकारियों का नाम इस आपराधिक प्रकरण में जुड़ सकता है। ज्ञात हो उक्त नोटिस भा.दं.वि. कि धारा 420, 467, 468, 471, 120 बी, 109, 193, 201 के समर्थय में उच्च न्यायालय से आपराधिक कृत्य के आधार पर जारी कि हैं ।

कुछ इस तरह समझे मामले को
1. याचिकाकर्ता लाल परते ( जो एक सीधा सादा आदिवासी युवक था का न्यायालयीन ब्यान, जिसमें उसने स्पष्ट कहा है कि भिलाई इस्पात संयंत्र के अधिकारी कुन्दन सिंह गौर भिलाई भट्टी थाना के बगल में जिसका घर है के निवास में मुझसे सादे पन्नों पर हस्ताक्षर लेकर झूठा झांसा दिया गया था कि तुम्हारी नौकरी भिलाई इस्पात संयंत्र में लग जायेगी तथा मैं आरोपी भिलाई इस्पात संयंत्र कर्मी नारायण सिंह लोहवंशी के साथ आई.टी.आई. किया हूँ... इत्यादि इत्यादि याचिकाकर्ता का पता भी उच्च न्यायालय में भिलाई रामनगर डाला गया है वह सरासर गलत है। 2. पी. एस. रविशंकर जो कि डब्ल्यू.पी. 258/03 में मैनेजिंग डायरेक्टर का पॉवर ऑफ अटार्नी होल्डर बनकर जवाब दावा, रिर्पोट एवं आवेदन प्रस्तुत किया है का समय समय पर स्वहस्ताक्षरित अलग-अलग जवाब देना जिसमें पॉवर ऑफ अटार्नी का दस्तावेज उच्च न्यायालय सहित अभी तक के जाँच में प्रस्तुत ही नहीं कि गई तथा भिलाई इस्पात संयंत्र ने शपथ पत्र देकर संतोष सिंह को स्पष्ट कर दिया कि उक्त पॉवर ऑफ अटर्नी है ही नहीं। स्पष्ट है कि डब्ल्यू. पी. 258/03 में अधिकारिता विहीन जबाव द्वावा तथा अधिकारिता विहीन शपथ पत्र प्रस्तुत कर एक डायरेक्शन प्राप्त किया गया था जो कि दस्तावेजों के साक्ष्य से याचिकाकर्ता साबित करने में सफल हो चुकें है ।

3. डब्ल्यू. पी. 258/03 के जवाब दावा के समर्थन में संतोष कुमार तथा सीजा पी. मैथ्यु. का शपथ पत्र ही क्यों लगा, जबकि पी. एस. रविशंकर का शपथ पत्र लगना था, जो कि अधिकारिता विहीन शपथ पत्र साबित है स्पष्ट हैं

4. हेन्ड राइटिंग एक्सपर्ट डॉ. सुनंदा ढेंगें का रिर्पोट से स्पष्ट हैं कि डब्ल्यू. पी. 258/03 में की गई हस्ताक्षर पी. एस. रविशंकर तथा सीजा पी. मैथ्यु के मुल हस्ताक्षर से अलग-अलग है और अलग-अलग व्यक्तियों द्वारा की गई हस्ताक्षर है। इस प्रकार अन्य प्रमाणित दस्तावेजी साक्ष्यों के आधार पर छ. ग. न्यायालय ने मामले कि गंभीरता को देखते हुए मात्र आठ दिनों में मामले को संज्ञान में लेकर नोटीस जारी कर दी। अनेको बार भिलाई इस्पात संयंत्र / सेल में उक्त छ.ग. उच्च न्यायालय से

फर्जी तरीके से प्राप्त इसी आदेश का वास्ता देकर कि डब्ल्यू. पी. 258/03 के आदेश से हम बाध्य है। टी.ए. भर्ती को रोकने का कार्य किया है जो कि लिखित रुप से भिलाई इस्पात संयंत्र / सेल द्वारा दिया जाता रहा है। लिखित में देने वालों में सुशील वातल, संतोख सिंह, पी. पी. वर्मा, अनुराधा सिंह के अलावा अन्य अधिकारी भी शामिल है। माननीय उच्च न्यायालय के संज्ञान लेने से टी. ए. के युवाओं में जोश और हर्ष व्याप्त है ।

टी.ए. संगठन के अध्यक्ष संतोष सिंह ने बताया कि इसी प्रकार से छल- धोखा भिलाई इस्पात संयंत्र के अधिकारियों के साथ-साथ हमारे बीच में भी 8-10 प्रशिक्षुओं में हमसे किया है। उसके खिलाफ भी कानूनी लड़ाई लड़कर हम पर्दाफास करने वाले है बहुत जल्द क्योंकि सन् 2004-2005 के दरम्यान इसी अपराध को छिपाने के साथ-साथ वे लोग अपने आप को भिलाई इस्पात संयंत्र के इन्हीं अधिकारियों से सांठगांठ कर करोड़ों का टर्न ओवर कुछ ही वर्षो में कर लिये है और हमारे से छलपूर्वक रकम भी प्राप्त किये है ।

इस प्रकार बिना राजनैतिक संरक्षण के तथा सह के भिलाई इस्पात संयंत्र के अधिकारी उच्च न्यायालय से इतना बड़ा अपराध कर हीं नहीं सकते थे इस फर्जी वाडे के आड़ में 2003 के बाद 2013 तक अनेकों अवैध भर्तियाँ भिलाई इस्पात संयंत्र में भ्रष्टाचार पूर्वक की गई, उसका भी पर्दाफास होना तय है तथा इसके बाद कुछ और भी साजिशों का पर्दाफांस टी.ए. संगठन के द्वारा किया जाना तथा माना जा रहा है ।
स्व. मोतीलाल वोरा जी सहित सभी उन नेताओं को टी. ए. संगठन ने आभार जताया है जो उनके इस मुद्दे को लेकर चल रहें संघर्ष में उनका साथ दिये तथा जेल में रहें ज्ञात हो कि छ.ग. के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, अरुण वोरा सहित युवक कांग्रेस के युवा सन 2004 में इस मुद्दे पर गिरफ्तारी दिये थे तथा इस मुद्दे को लेकर रेल रोको आंदोलन सहित, पानी टंकी जैसे बड़े-बड़े आन्दोलन टी.ए. के युवाओं द्वारा की गई है।
पत्रकारवार्ता में टीए संगठन अध्यक्ष संतोष सिंह, कुलदीप सिंह, अरूण सिंह सिसोदिया प्रदेश महासचिव एवं श्रमिक नेता, माधो प्रसाद देशमुख पूर्व जिला पंचायत सदस्य व सभापति कृषि समिति जिला दुर्ग ग्राम निकुम, पंचराम देशमुख पूर्व शाला विकास समिति शासकीय उच्चतर माध्यमिक शाला ग्राम निकुम, चिमनलाल देशमुख पूर्व उपसरपंच ग्राम पंचायत ग्राम निकुम, कल्याण देशमुख सदस्य सेवा सहकारी समिति ग्राम निकुम, पीताम्बर यादव पूर्व सरपंच यादव समाज ग्राम निकुम, भागवत राम पटेल अध्यक्ष दुर्ग ब्लाक भारतीय किसान संघ सहित बड़ी संख्या में टीए व टीएटी युवा उपस्थित थे।