हिन्दू राष्ट्र गोलबंदी है, यहां सिर्फ हिन्दुओं की सुनी जाएगी लेकिन राम राज्य में सबकी सुनी जाएगी और दंड भी सभी को मिलेगा
अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती ने कहा राजनीतिक पार्टी धर्म को फुटबाल की तरह बना दिया है, कोई इधर से किक मारे तो कोई उधर से
भिलाई। परमाराध्य परमधर्माधीश उत्तराम्नाय ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगदगुरु शंकराचार्य जी स्वामी श्री अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती 1008 का शनिवार को भिलाई आगमन हुआ। भिलाई प्रवास के दौरान भिलाई के नेहरूनगर स्थित शंकराचार्य कॉलेज के चेयरमैन आईपी मिश्रा के निवास पर उन्होंने पत्रकारों से मुलाकात की। अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती ने प्रेस के माध्यम से आम जनता के मन में उठने वाले प्रश्नों के उत्तर को बड़े ही सरल शब्दों में बया किये।
उन्होंने कहा कि धर्म फुटबाल की तरह हो गया है। कोई इधर से किक मारता है तो कोई उधर से। और से खेल राजनीतिक पार्टी के लोग खेल रहे हैं। अपने स्वास्थ्य के धर्म को भी नहीं छोड़ा। हम राम राज्य के पूजारी है। हिन्दू राज आएगा तभी राम राज्य आएगा के सवाल पर उन्होंने रामराज्य और हिन्दू राष्ट्र के अंतर को आसान शब्दों में बताया। उन्होंने कहा कि हिन्दू राज्य का मतलब हिन्दूओं का राज्य, यह जो हिन्दू राज्य है। हिंदू राज्य गोलबंदी है। हिंदू होगा तो उसकी सुनवाई होगी। हिन्दू गलत भी करेगा तो सही है। यहां सिर्फ हिन्दूओं की राज होगी। किसी दूसरे की नहीं सुनी जाएगी। गोलबंदी की राजनीति चल रही है। ध्रुवीकरण कारो, एक गोला बना लो और सबको उसमें बुला लो और दूसरे गोले को विरोधी मान लो। राम राज्य ऐसा नहीं होगा। राम राज्य न्याय का राज्य होगा। सगा भाई भी अगर गलती करेगा तो उसे भी वहीं दंड मिलेगा जो दूसरों को मिलेगी है। रावण भी आएगा तो उसकी भी सुनी जाएगी। इसलिए हम राम राज्य के पक्ष में है। लोकतंत्र में लोक नहीं है। यह सिर्फ कुछ विशिष्ट लोगों के हाथ का हथियार बन चुका है। एक समय ऐसा आएगा जब लोग लोकतंत्र से विरक्त हो जाएंगे और फिर से राज राज्य की स्थापना करेंगे।
बजरंग दल को जो बैन कर रहा है वह राजनीति कर रहा है और जो बचाने का बात कर रहे हैं वह भी राजनीति कर रहे हैं। धर्म फुटबाल बन गया है। कोई इधर से किक मार रहा है और कोई उधर से किक मार रहा है। बजरंग दल एक संस्था का नाम है। किसी संस्था का नाम होने से वह बजरंगबली नहीं हो जाता। संस्था जैसा आचरण करेगा उसकी छवि भी वैसी बनेगी। बजरंग दल जैसा कार्य किया होगा वैसी समाज में उसकी छवि है। बजरंग दल एक संस्था है और वह नैतिक मूल्य की कार्य करने की बात करते है लेकिन व्यापक रूप से उसका ऐसा कोई काम देखने नहीं मिला। राम जन्मभूमि का आंदोलन हुआ तो विनय कटियार बजरंग दल का गांव-गांव में गठन किया गया था। आज जब राम मंदिर बन रहा है तो उसमें विनय कटियार नहीं है, ऐसा क्यों? अगर बजरंगदल ने बड़ा काम किया था, प्राणों की आहूति दी थी तो राम मंदिर बनने लगा तो विनय कटियार की उपेक्षा क्यों की गई। इसका मतलब जो मंदिर बनवा रहे हैं उन्होंने ही उपेक्षा कर दिया।
1835 में 7.5 गुरुकुलों को बंद करा दिया गया
कथावाचकों के चमत्कार को लेकर उन्होंने कहा कि लोग बहुत दुखी है। डूबते को तिनके का सहारा। लोगों की बुद्धि समाप्त हो गई है। कथावाचक जो कहते है लोग वही करने लग जाते हैं। लोगों का दुख महत्वपूर्ण है। उनके दुखों को दूर करना चाहिए। लोग राजनीति से खुश नहीं है। इसलिए एक दिन रामराज्य अवश्य आएगा। पादरियों के बच्चों को इसाई धर्म सिखाने के लिए कांवेन्ट स्कूल की शुरूआत की गई है। कांवेन्ट स्कूल हमरे बच्चों को क्या सिखाएगा। गुरुकुल के माध्यम से बच्चों को हिन्दू संस्कृति, हमार धर्म आदि से अवगत कराया जा सकता है और वह गुरुकुल के माध्यम से हो सकता है। लेकिन 1835 में जब इंडियन एजुकेशन एक्ट आया तो गुरुकुलों को अवैध घोषित कर दिया गया। 7.5 लाख गुरुकुल थे भारत देश में। एक्ट हाने के बाद सभी को अवैध घोषित कर दिया गया।
राजनेता को धर्म की बात नहीं करनी चाहिए
राजनीति और धर्म को अलग कर लेना चाहिए। धर्म की बात धर्मआचार्यों से सुनना चाहिए और राजनीति की बात राजनेताओं से। धर्म आचार्य अगर राजनीति की बात करें या राजनेता धर्म की बात तो लोगों हाथ जोड़ लेना चाहिए। धर्म आचार्यों को धर्म की बात और राजनेताओं को राजनीति की बात करनी चाहिए। लोग इतना कर ले तो राम राज्य आने में देर नहीं लगेगी।
डर है इसलिए एकजुट हो रहे हैं
लोग डरे हुए है। एकजुटता शुक्रवार या रविवार को एकजुट होने से नहीं होता है। डर के कारण लोग एकजुट हो रहे हैं। डर के कारण उन लोगों में एकता है। क्योंकि ये अल्प संख्यक है। जिस दिन हिन्दूओं के मन में डर बैठेगा तो उस दिन वह भी एकजुट होने लगेंगे।