बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है दुर्गा पूजा का त्योहार

बंगाली कल्चर के लोग षष्टी को करेंगे माँ दुर्गा का स्वागत

बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है दुर्गा पूजा का त्योहार
मैत्री नगर रिसाली

वैशाली नगर कालीबाड़ी

हाउसिंग बोर्ड कालीबाड़ी

भिलाई। भिलाई शहर मिनी इंडिया के रूप में जाना जाता है। कई समाज व धर्म के लोग यहां निवासरत हैं। सभी त्योहारों का एक विशेष महत्व है। 15 अक्टूबर से नवरात्रि पर्व शुरू हो चुकी है लेकिन बंगाली कल्चर के लोगों द्वारा षष्टी के दिन से इस त्योहार को मनाया जाएगा। शहर के पंडालों को भी अंतिम रूप दिया जा रहा है। 
हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार, यह त्योहार आकार बदलने वाले असुर, महिषासुर के खिलाफ अपनी लड़ाई में देवी दुर्गा की जीत का प्रतीक है। इस प्रकार, त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। बंगाली कल्चर के लोगों द्वारा शारदीय नवरात्रि का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। भिलाई के कई क्षेत्रों में दुर्गा पूजा की तैयारी धूमधाम से की जा रही है। दुर्गा पूजा को दुर्गोत्सव या शारोदोत्सव के रूप में भी जाना जाता है। दुर्गा पूजा दस दिवसीय आयोजन है, जिसमें अंतिम पांच दिनों में कुछ अनुष्ठान और प्रथाएं शामिल होती हैं। 
त्योहार की शुरुआत महालय से होती है, जिस दिन हिंदू अपने मृत पूर्वजों को पानी और भोजन देकर तर्पण करते हैं। त्योहार का अगला महत्वपूर्ण दिन छठा दिन षष्ठी है, जिस दिन भक्त देवी का स्वागत करते हैं और उत्सव समारोह का उद्घाटन किया जाता है। सातवें दिन सप्तमी, आठवें दिन अष्टमी और नौवें दिन नवमी में  लक्ष्मी धन और समृद्धि की देवी, सरस्वती ज्ञान और संगीत की देवी, गणेश अच्छी शुरुआत के देवता  और कार्तिकेय युद्ध के देवता की पूजा की जाती है। दुर्गा पूजा पंडालों में दुर्गा की प्रतिमा महिसासुर का वध करते हुए बनाई जाती है।  परंपराओं के अनुसार इन देवताओं को माँ दुर्गा की संतान माना जाता है। मां दुर्गा के महिषासुर मर्दिनी स्वरुप को पूजा जाता है। 
पति की दीर्घायु के लिए सिंदूर खेला का आयोजन
दुर्गा पूजा दस दिनों का त्योहार है, हालांकि बाद के पांच दिनों को मान्यता दी जाती है और मनाया जाता है। मंत्रों की निरंतर गुंजन, धूप की सुगंध और शंख व ढाक के गुंज के साथ त्योहार के आगमन की घोषणा करती है। पंडालों को अक्सर एक निश्चित थीम को ध्यान में रखते हुए खूबसूरती से सजाया जा रहा है। इन पंडालों और उनमें मौजूद अलौकिक मूर्तियों को देखने के लिए लोगों की भीड़ लगी रहती है। तिथि के अनुसार पंचमी 19 अक्टूबर गुरुवार, षष्ठी 20 अक्टूबर शुक्रवार, सप्तमी 21 अक्टूबर शनिवार, अष्टमी 22 अक्टूबर रविवार, नवमीं 23 अक्टूबर सोमवार तथा विजय दशमी का पर्व 24 अक्टूबर मंगलवार को मनाई जाएगी। अंतिम दिन दशमी को दुर्गा मां की मूर्ति का विसर्जन के साथ ही पति के दीर्घायु के लिए सिंदूर खेला का आयोजन किया जाता है। 
इन जगहों पर रहेगी रौनक, भंडारे का भी होगा आयोजन
भिलाई में हाउसिंग बोर्ड कालीबाड़ी, वैशाली नगर कालीबाड़ी, हुडको कालीबाड़ी, स्मृतिनगर कालीबाड़ी, सेक्टर-6 कालीबाड़ी सहित सेक्टर-1, सेक्टर-4, सेक्टर-5, सेक्टर-7, रूआबांधा, मैत्री नगर रिसाली में समितियों द्वारा तैयारी जोर शोर से की जा रही है। समितियों द्वारा आकर्षक थिम पर पंडाल का निर्माण किया जा रहा है। सेक्टर-6 कालीबाड़ी में इस वर्ष माँ कामाख्या मंदिर का पंडाल बनाया जा रहा है जो शरिवासियों के लिए मुख्य आकर्षण का केन्द्र रहेगा। शहर के कालीबाड़ियों में ज्योति कलश की भी स्थापना की गई है। इन आयोजन स्थलों पर बंगाली कल्चर के लोगों की अच्छी खासी भीड़ रहती है। सभी कालीबाड़ी व पूजा समितियों द्वारा तीन दिन महा भंडारे का भी आयोजन किया जाता है। जहां प्रसाद प्राप्त करने दूर-दूर से लोग पहुंचते हैं। कालीबाड़ी सेक्टर 6 का ये 63 वाँ वर्ष है। वैशाली नगर कालीबाड़ी के जनरल महासचिव विमान दास (गोरा दा) तथा दुर्गा पूजा समिति के अध्यक्ष सोवेन रॉय ने बताया कि दुर्गा पूजा का ये 47 वां वर्ष है। ज्ञात हो कि बंगाली कल्चर के लोगों द्वारा षष्ठी यानि छठवें दिन से दुर्गा पूजा मनाई जाती है। 21, 22 व 23 अक्टूबर तक तीन दिन भक्तो के लिए भंडारे का आयोजन भी किया गया है।