आज भारत मना रहा विजय दिवस, आज ही के दिन 1971 को पाकिस्तान के प्रमुख जनरल आमिर अब्दुल्ला नियाज़ी ने 93,000 सैनिकों के साथ किया था आत्मसमर्पण, देखें VIDEO
नई दिल्ली। आज पूरा देश विजय दिवस मना रहा है। 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में भारतीय सशस्त्र बलों की जीत की याद में हर साल 16 दिसंबर को पूरे देश में विजय दिवस मनाया जाता है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ट्वीट किया, "आज विजय दिवस पर हम उन बहादुर सैनिकों के साहस और बलिदान का सम्मान करते हैं जिन्होंने 1971 में भारत की ऐतिहासिक जीत में योगदान दिया। बांग्लादेश के ढाका में भी विजय दिवस मनाया गया। विजयदिवस का जश्न सूर्योदय के समय 31 गोलों की गड़गड़ाहट के साथ शुरू हुआ। बांग्लादेश सेना की एक तोपखाना रेजिमेंट की छह तोपों ने 31 राउंड तोप दागकर बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में अपने प्राणों की आहुति देने वाले वीरों को सलामी दी। बता दें कि 16 दिसंबर, 1971 को पाकिस्तान के सशस्त्र बलों के प्रमुख जनरल आमिर अब्दुल्ला नियाज़ी ने 93,000 सैनिकों के साथ भारतीय सेना और बांग्लादेश की मुक्ति वाहिनी के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था।
पश्चिम बंगाल के कोलताता में भारतीय सेना, भारतीय नौसेना और भारतीय वायु सेना के अधिकारियों ने बांग्लादेश सेना के अधिकारियों के साथ मिलकर विजय दिवस समारोह में भाग लेते हुए सेना मुख्यालय पूर्वी कमान के फोर्ट विलियम स्थित विजय स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित की। कोलकाता में सेना मुख्यालय पूर्वी कमान के फोर्ट विलियम स्थित विजय स्मारक पर हेलीकॉप्टरों से पुष्प वर्षा की गई। 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में भारतीय सशस्त्र बलों की जीत के उपलक्ष्य में 16 दिसंबर को पूरे देश में हर साल विजय दिवस मनाया जाता है। भारतीय वायुसेना ने ट्वीट किया, "विजय दिवस: 1971 का भारत-पाक युद्ध 16 दिसंबर 1971 को लेफ्टिनेंट जनरल एएके नियाज़ी द्वारा बिना शर्त आत्मसमर्पण के साथ समाप्त हुआ, जिसने एक स्वतंत्र बांग्लादेश के जन्म को चिह्नित किया।
यह ऐतिहासिक क्षण एक समन्वित सैन्य प्रयास के माध्यम से हासिल किया गया था, जिसमें भारतीय वायु सेना (IAF) ने 13-दिवसीय संघर्ष में त्वरित और निर्णायक परिणाम सुनिश्चित करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, जिसे उपयुक्त रूप से "लाइटनिंग वॉर" कहा जाता है। IAF ने एक गहन और घातक हवाई अभियान चलाया, पश्चिमी क्षेत्र में 2400 से अधिक आक्रामक मिशन और पूर्वी थिएटर में 2000 से अधिक उड़ानें भरीं। इन अभियानों ने दोनों क्षेत्रों में हवा पर नियंत्रण सुनिश्चित किया, जिससे विरोधी की प्रभावी ढंग से जवाबी हमला करने की क्षमता कम हो गई... 1971 का युद्ध भारतीय सैन्य इतिहास में एक मील का पत्थर था, जिसने युद्ध के मैदान पर परिणामों को आकार देने के लिए IAF की सटीकता, शक्ति और क्षमता को प्रदर्शित किया। इस अद्वितीय जीत को हासिल करने में इसकी भूमिका आधुनिक समय में हवाई श्रेष्ठता के महत्व का प्रमाण है।