यूनिय बैंक के कैशियर ने किया  5.59 करोड़ का गबन

कैशियर किशन बघेल की तलाश में पुलिस की छापेमारी शुरू 

  यूनिय बैंक के कैशियर ने किया  5.59 करोड़ का गबन

रायपुर। राजेंद्रनगर स्थित यूनियन बैंक में रातों रात 5.59 करोड़ के गबन का मामला प्रकाश में आया है। यह गबन कोई और नहीं बल्कि कैशियर ने ही किया है। वहीं पुलिस ने अपराध दर्ज कर मामले की जांच में जुट गई है। पुलिस यह भी पता लगा रहा है कि इसमें कोई और स्टाफ तो शामिल नहीं है।  पुलिस ने कैशियर किशन बघेल की तलाश में छापेमारी शुरू कर दी है। देर रात उसके सिविल लाइन स्थित मकान और रिश्तेदारों के घरों में छापेमारी की गई।
जानकारी के अनुसार 2017 में कैशियर पद पर पोस्टिंग होने के बाद से ही किशन बघेल पैसों का गबन करने लगा था। वह बैग में कभी 10 के सिक्के तो कभी नोट भरकर घर ले जाता था। अपने रिश्तेदारों के खातों में लाखों रुपए आॅनलाइन ट्रांसफर किए। बेटी के खाते में तो उसने 1 करोड़ से ज्यादा जमा किए। बताया जाता है कि कोई भी आॅनलाइन ट्रांसफर चेकर और मेकर दो स्टेप में जांच के बाद ही होता है। यानी करोड़ों के बैंक घोटाले में कैशियर के अलावा और भी कोई शामिल है। उसके मोबाइल की भी तकनीकी जांच शुरू कर दी गई है। उसका कॉल डिटेल निकाला जा रहा है। ये पता लगाया जा रहा है कि 25 मार्च को बैंक से गायब होने के बाद कब और किससे कितनी बार मोबाइल पर बातें की है। उसके रिश्तेदारों को भी सर्विलांस में रखा गया है। पुलिस और बैंक की प्रारंभिक जांच में पता चला है कि उसने सारे पैसे आॅनलाइन सिस्टम से नहीं उड़ाए हैं। वह बैंक की चेस्ट से बैग में कैश और 10-10 के सिक्के भी लेकर जाता था। बैंक में जमा होने वाले 10-10 के सिक्कों की रोज गिनती करना जरूरी है। यूनियन बैंक में एक बार भी सिक्कों की गिनती नहीं की गई। कैशियर ने फ्रॉड करने के लिए सिक्कों को भी आड़ बनाया। बैंक में जब भी व्यापारियों की ओर से बड़ी संख्या में सिक्के जमा किए जाते, उसमें गोलमाल करना उसके लिए आसान हो जाता था।
यूनियन बैंक का फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद पूरे बैंक का स्टाफ बदल दिया गया है। मैनेजर से लेकर चपरासी तक बदल दिए गए हैं। किशन बघेल ने जिन लोगों के खाते में पैसे ट्रांसफर किए हैं, उनके खातों को फ्रिज कर दिया गया है। पुलिस उन लोगों से भी पूछताछ की तैयारी की जा रही है।

ऐसे फूटा फर्जीवाड़े का भांडा
राजेंद्रनगर स्थित यूनियन बैंक में 21 अप्रैल को 5.59 करोड़ का घपला फूटा। कैश का मिलान करने पर पता चला तिजोरी से इतनी बड़ी रकम गायब है, जबकि बैंक के रिकार्ड में एक पैसे कम नहीं हैं। पैसों में हेराफेरी का शक 25 मार्च को हुआ। 24 मार्च तक नगदी पैसे 4.80 करोड़ थे। एक ही दिन बाद 25 मार्च को रिकार्ड में कैश 6.23 करोड़ था। पूरे पैसे 10-10 के सिक्कों के रूप में दिखाए गए थे। जांच करने पर पता चला कि 24 मार्च को सिक्के के रूप में कैश 3 करोड़ 46 लाख थे। अगले दिन ये पैसे 5 करोड़ 61 हो गए। एक दिन में करीब 2 करोड़ के सिक्के कहां से आ गए? इसी से शक हुआ। उस दिन कैशियर बैंक में था। अगले दिन से वह गायब हो गए। एक-दो दिन इंतजार करने के बाद बैंक वालों ने उससे संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन नहीं हुआ। वह घर पर भी नहीं मिला। उसके बाद बैंक प्रबंधन ने अपने स्तर पर जांच की और 21 अप्रैल को पूरा फर्जीवाड़ा सामने आया। उसके बाद 6 जून को रिपोर्ट दर्ज कराई गई।