क्या आस्था का केन्द्र हुडको कालीबाड़ी में चलेगा बुलडोजर! कालीबाड़ी के समर्थन में सभी समाज हुए एकजुट
हाईकोर्ट के फैसले पर टिकी है सैकड़ों भक्तों की निगाहे
माँ काली के उपासक भक्तों ने न्यायालय व प्रशासन से लगाई नि:ष्पक्ष जांच की गुहार
भिलाई। कुछ लोगों द्वारा आमदी नगर हुडको स्थित रबीन्द्र निकेतन कालीबाड़ी के निर्माण को अवैध बताते हुए हाईकोर्ट में पिटिशन दायर किया गया है। हाईकोर्ट ने दुर्ग जिला प्रशासन को जांच करते हुए कार्यवाही के निर्देश दिए। न्यायालय अतिरिक्त तहसीलदार दुर्ग द्वारा विगत 13 सितंबर 2022 को आदेश जारी कर रविन्द्र निकेतन कालीबाड़ी हुडको भिलाई को कालीबाड़ी मंदिर, सांस्कृतिक भवन व मंच को कब्जा मुक्त कर सूचित करने के निर्देश दिए गए हैं। जिला कलेक्टर दुर्ग द्वारा 19 सितंबर को जांच व कार्यवाही प्रतिवेदन न्यायालय में प्रस्तुत किया जाना है। वहीं मां काली के उपासक भक्तों सहित समाज के लोगों ने न्यायालय सहित जिला प्रशासन से निष्पक्ष जांच कर न्याय की गुहार लगाई है क्योंकि माननीय न्यायालय का आदेश सर्वोपरी होता है। अगर तोडफ़ोड़ की कार्यवाही होती है तो यह लोगों के आस्था में एक बड़ा चोट साबित हो सकता है। वहीं जिला प्रशासन के आदेश के बाद बंगाली समाज के लोगों में निराशा के साथ साथ आक्रोश भी व्याप्त है। ज्ञात हो कि हुडको में कालीबाड़ी विगत 35 वर्षों से स्थापित है जो आस्था का बहुत बड़ा केन्द्र है। अब लोगों का सवाल यह है कि शासन-प्रशासन के अनुमति व एनओसी पर मंदिर समति द्वारा किए गए निर्माण व विकास कार्य अवैध कैसे हो सकता है। कुछ ही दिनों में दुर्गा पूजा है जो बंगाली समाज का सबसे बड़ा त्योहार है। ऐसे में अब सबकी निगाहे जिला प्रशासन की निष्पक्ष जांच व हाईकोर्ट के फैसले पर टिकी हुई है।
कालीबाड़ी के समर्थन में सभी समाज हुए एकजुट
हुडको स्थित रबिन्द्र निकेतन कालीबाड़ी पर जिला प्रशासन द्वारा की जाने वाली कार्यवाही की सूचना मिलते ही सभी समाज के लोग समर्थन जताते हुए एकजुट होने लगे है। एक दूसरे समाज की महिलाएं आज मंदिर पहुंच जिला प्रशासन से गुहार लगाई है। महिलाओं ने यह भी कहा कि मंदिर और आस्था पर किसी तरह का चोट नहीं आने नहीं दिया जाएगा। वे बंगाली समाज की न होते हुए भी कई वर्षों से इसी मंदिर में माँ काली की पूजा पाठ करती आ रही है। साथ ही महिलाओं ने प्रशासन को भ्रामक जानकारी देकर दिग्भ्रमित करने वाले लोगों पर कार्यवाही की मांग की है। महिलओं ने यह भी कहा कि हुडको में टॉवर से लेकर कई अवैध कब्जे है, इस पर प्रशासन द्वारा कार्यवाही क्यों नहीं की जाती।
1973 में हुई पंजीकृत, 1989 से प्रारंभ हुआ मंदिर बनने का कार्य-श्यामल रॉय
मिली जानकारी के अनुसार रबीन्द्र निकितेन, आमदी नगर हुडको, सोसायटी रजिस्ट्रीकरण अधिनियम 1973 के अधीन दिनांक 06/07/1988 को राज्य शासन द्वारा पंजीकृत की गई है, जिसका पंजीयन क्रमांक 22313 है। संस्था समय-समय पर सामाजिक एवं धार्मिक कार्य भी किया जाता है। वर्तमान में इस संस्था में लगभग 450 लोग सदस्य है यह संस्था 1985 से कार्य कर रही है। मंदिर समिति के श्यामल रॉय ने बताया कि मंदिर परिसर में किए गए निर्माण कार्यों को लेकर देवेन्द्र जंघेल द्वारा की गई शिकायत पर हाईकोर्ट ने जांच के आदेश जिला प्रशासन को दी है। उन्होंने बताया कि रबीन्द्र निकितेन द्वारा सन 1989 में भूमि में मंदिर बनाने का कार्य प्रारंभ किया गया। संस्था द्वारा भूमि का विधिक अधिकार प्राप्त करने के लिये भिलाई इस्पात संयंत्र से संपर्क किया गया। दिनांक 27.12.2000 को भिलाई इस्पात संयंत्र को भूमि आंबटन हेतु आवश्यक राशि अदा की गई, जिसके पश्चात भिलाई इस्पात प्रबंधन एवं छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत मंडल द्वारा मंदिर में स्थायी विद्युत कनेक्शन प्रदान किया गया।
शासन-प्रशासन के अनुमति से हुए कई विकास व निर्माण कार्य-रूपक दत्ता
मंदिर समिति के जनरल सेके्रटरी रूपक दत्ता ने बताया कि राज्य के पूर्व सांसद मोतीलाल वोरा, ताराचंद साहू एवं सुश्री सरोज पांडेय, छत्तीसगढ़ राज्य के मंत्री तरुण चटर्जी एवं विधायक बदरुद्दीन कुरेशी द्वारा समय-समय पर रबीन्द्र निकेतन संस्था को आवश्यक निधि प्रदान की गई है जिससे सामुदायिक भवन के निर्माण तथा मंदिर के विस्तार किया गया। शासन के अनुमोदन पर तरूण चटर्जी तत्कालीन छग शासन मंत्री व महापौर रायपुर द्वारा वर्ष 2003 में 3 लाख रुपए का अनुदान दिया गया। शासन द्वारा अनुदानित सांस्कृतिक भवन के निर्माण के लिए जिला योजना एवं सांखिकीय दुर्ग से तत्कालीन विधायक प्रेमप्रकाश पाण्डेय विधायक निधि द्वारा 22.09.2008 को 3 लाख रुपए स्वीकृत कर सांस्कृतिक भवन का निर्माण किया गया था। स्थानीय विकास योजना अंतर्गत सांसद निधि से रबीन्द्र निकेतन कालीबाड़ी हुडको के प्रथम तल पर हॉल निर्माण के लिए 25.07.2013 को 5 लाख रुपए की स्वीकृति दी गई थी। सन 2013 में तत्कालीन विधायक बदरूद्दीन कुरैशी द्वारा विधायक निधि से 2 लाख 4 हजार रुपए स्वीकृत कर कालीबाड़ी मंदिर में भवन निर्माण कार्य पूर्ण किया गया। सन् 2014 में सांसद निधि से सामुदायिक भवन निर्माण प्रथम तल कालीबाड़ी हुडको को 5 लाख रुपए स्वीकृति के लिए प्रस्तावित की गई थी। शासन द्वारा सम्पूर्ण दस्तावेज पूर्ण होने पर ही पूरे निर्माण कार्य को स्वीकृति दी जाती है। साथ ही दस्तावेज पूर्ण होने पर ही शासन द्वारा निधि स्वीकृत कर कार्य पूर्ण किया गया। अब लोगों का सवाल यह है कि शासन प्रशासन के अनुमति पर मंदिर समति द्वारा किए गए निर्माण व विकास कार्य अवैध अतिक्रमण कैसे हो सकता है।
जन कल्याणकारी गतिविधियों में बढ़ चढ़कर देते हैं भागीदारी
मंदिर समिति के बबलू बिश्वास ने बताया कि रवीन्द्र निकितेन संस्था द्वारा 1985 से आम जन मानस को सहयोग एवं सहायता करने समय-समय पर कई आयोजन किए जाते हैं। आमदी नगर हुडको में अधिकत्तर ऐसे लोग निवास करते है जो कि बुर्जुग है, उनके बच्चे बाहर रहते है एवं उन्हें दीगर आवश्यकताओं के लिये सहायता की आवश्यकता है। उनकी चिकित्सकीय, व्यापारिक, धर्मिक आदि प्रकार की सहायता इस संस्था के द्वारा की जाती है। इसके अतिरिक्त 33 वर्षो से दुर्गा, लक्ष्मी, सरस्वती एवं काली पूजा का आयोजन सहित रक्त दान एवं चिकित्सा शिविर का आयोजन, गरीब विद्यार्थियों को पुस्तके एवं स्टेशनरी का निशुल्क वितरण, सामुदायिक भवन का निशुल्क उपयोग संस्था द्वारा किये जाते है। स्थानीय सांसद एवं विधायक द्वारा संस्था के कार्यों से प्रभावित होकर प्रशंसनीय प्रमाण पत्र प्रदान किया गया है । इसके अतिरिक्त छत्तीसगढ़ के पूर्व राज्यपाल शेखर दत्त द्वारा संस्था के कार्यक्रम में शामिल होकर संस्था द्वारा किये जा रहे सामाजिक कार्यों की प्रशंसा करते हुए प्रशस्ति पत्र भी प्रदान की गई है। कोविड-19 के सम्पूर्ण भारत बंद के दौर में रबीन्द्र निकितेन संस्था द्वारा तत्कालीन आयुक्त नगर निगम, जोन क्रमांक 1 के निर्देशन में चंदूलाल चंद्राकर अस्पताल के मरीजो एवं लाकडाडन से प्रभावित करीब 3000 से 4000 लोगों को कच्चा एवं पके हुए भोजन की व्यवस्था की गई।
संधारण को बताया गया अतिक्रमण
मंदिर समिति के अभिजीत मुखर्जी ने बताया कि राजस्व निरीक्षक नजूल दुर्ग द्वारा प्रस्तुत प्रतिवेदन के अनुसार सास्कृतिक मंच का निर्माण हेतु शासकीय भूमि के भाग पर कब्जा करना बताया गया है जो कि असत्य है। रबीन्द्र निकितेन संस्था द्वारा इस सास्कृतिक मंच पर विगत 33 वर्षो से दुर्गा, लक्ष्मी, सरस्वती एवं काली पूजा का आयोजन किया जाता है। इस वर्ष भी इसी मंच पर पूजा का आयोजन शासन द्वारा कोविड 19 के सक्रमण के बचाव हेतु जारी दिशानिर्देशो का पालन करते हुए किया जाना है है। पूर्व में निर्मित सास्कृतिक व दुर्गा मंच की स्थिति काफी दयनीय हो गई थी जिसका संधारण कार्य मंदिर समिति द्वारा किया जा रहा है। यह कोई नई निर्माण या कब्जा नहीं है एवं पुराने सांस्कृतिक / दुर्गा मंच के संधारण का कार्य किसी भी प्रकार से अतिक्रमण की श्रेणी में नही आता है। साथ ही दुर्गा मंच के सामने में खाली जगह है जहाँ पर प्रतिवर्ष बच्चों के मनोरंजन के लिये खेलकूद, सास्कृतिक आदि कार्यक्रम आयोजित किये जाते है। उन्होंने ये भी बताया कि कोरोना संक्रमण एवं सामाजिक कार्य को ध्यान में रखते हुए मंदिर समिति द्वारा 12 वर्ष पुराने हॉल के ऊपर सर्वसुविधा युक्त 6 से 7 कमरे का निर्माण किया जा रहा है ताकि भविष्य में जरूरत पडऩे पर होम आइसोलेश की व्यवस्था कर लोगों की मदद की जा सके। कुछ लोगों द्वारा भ्रामक जानकारी प्रशासन को दी गई है।
बंगाली समाज पर ही टार्गेट क्यों?
संजय चक्रबर्ती, एके सिन्हा, प्रदीप चक्रबर्ती, सम्राट सेनगुप्ता आदि ने बताया कि हुडको में स्थित कई मंदर अवैध निर्माण के श्रेणी में आते हैं। अगर ऐसा ही है तो बंगाली समाज को भी क्यों बार-बार टार्गेट किया जा रहा है। इससे बंगाली समाज निराश होने के साथ-साथ आक्रोश भी है। इसके पूर्व भी कुछ लोगों द्वारा प्रशासन को भ्रामक जानकारी देते हुए कार्यवाही की मांग की गई थी लेकिन जांच मेंं ज्ञात हुआ कि दी गई जानकारी भ्रामक व असत्य है।