होटलों में हो रहा घरेलू एलपीजी का उपयोग

गैस एजेंसियों की मिलीभगत से कॉमर्शियल की जगह खपाया जा रहा घरेलू सिलेंडर

होटलों में हो रहा घरेलू एलपीजी का उपयोग

भिलाई (सुभांकर रॉय)। भिलाई सहित आस पास क्षेत्र के बड़े होटलों ओर ढाबों में खुलेआम घरेलू गैस का उपयोग किया जा रहा है। घरेलू गैस का दुरुपयोग रोकने विभाग असफल साबित हो रहा है।  विभागीय कार्रवाई के अभाव में अब धड़ल्ले से कॉमर्शियल की जगह घरेलू एलपीजी का इस्तेमाल जारी है। वहीं कई गैस एजेंसियां भी इसके लिए जिम्मेदार बताए जा रहे हैं।
भिलाई के कई बड़े होटलों, ढाबों, चौपाटियों में खुलेआम कॉमर्शियल की जगह घरेलू एलपीजी गैस का इस्तेमाल किया जा रहा है। घरेलू गैस का दुरुपयोग रोकने के लिए खाद्य विभाग की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। 
ऐसे में गैस एंजेंसियों के कॉमर्शियल सिलिंडर बिकने कम हो गए हैं। कई होटलों और ढाबों में घरेलू गैस सिलिंडर को कॉमर्शियल गैस सिलेंडर में भी पलटने का काम चल रहा है। भले ही खाद्य आपूर्ति विभाग की ओर से कार्रवाई के नाम पर अपनी पीठ थपथपाई जा रही हो, लेकिन स्थिति यह है कि होटल और ढाबा संचालक खुलेआम घरेलू गैस का इस्तेमाल कर रहे हैं। दुर्ग से लेकर रायपुर तक जीई रोड से लगे ढाबो, होटलों, कई गुमटियों में कॉमर्शियल की जगह घरेलू सिलेंडर का इस्तेमाल किए देखे जा सकते है। अंदर की ओर कीचन होने से कई लोग कार्रवाई से बच निकलते हैं।


होटलों में आखिर कैसे पहुंच रहा घरेलू एलपीजी 
सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर कैसे होटलों और ढाबों में कॉमर्शियल की जगह घरेलू सिलेंडर पहुंच रहा है। वर्तमान में सारी प्रक्रिया ऑनलाइन होने के बावजूद कॉमर्शियल की जगह घरेलू एलपीसी सिलेंडर का उपयोग कई सवालों को जन्म देता है। इसमें गैस एजेंसियों की मिलीभगत से इंकार नहीं किया जा सकता। गैस एजेंसियों के मदद  के बिना ऐसा संभव नहीं है। यही कारण है कि सिलेंडर की बुकिंग कराने पर घर पहुंचते-पहुंचते  करीब एक सप्ताह का समय लग जाता है। साथ ही जानकारी के बाद भी खाद्य विभाग द्वारा कोई कार्रवाई नहीं किए जाने से उन पर भी कई सवाल खड़े किए जा रहे है। प्रशासन द्वारा बड़ी कार्रवाई के बाद ही यह तत्थ सामने आने की उम्मीद है कि इन होटलों व ढाबों को कहां से घरेलू एलपीजी सिलेंडर प्राप्त हो रहा है।


एजेंसियों की मिलीभगत से ब्लैक मार्केटिंग का धंधा
प्रशासन के नाक के नीचे उपभोक्ता को मिलने वाले गैस सिलेंडरों का इस्तेमाल एजेंसियों की मिलीभगत से बे-धड़क ब्लैक मार्केट में खपाया जा रहा है। किचन में आने वाली रसोई गैस मार्केट में खुलेआम ब्लैक हो रही है। शहर के कई क्षेत्र में  घरेलू गैस सिलेंडर से गैस निकालकर छोटे-छोटे सिलेंडरों में भरकर बेचा जा रहा है। छोटे सिलेंडरों में गैस पहुंचते ही इसका रेट 150 रुपए किलो हो जाता है। दुर्ग जिले के लगभग एक दर्जन से ज्यादा एरिया में अवैध गैस भरने का काम धड़ल्ले से चल रहा है। भिलाई के सुपेला, कोहका आदि क्षेत्र के दुकानों पर खुलेआम छोटे सिलेंडर बिक रहे हैं। एक सिलेंडर से दूसरे सिलेंडर में गैस भरने का काम शहर की घनी आबादी के बीच होता है।  इससे कभी भी बड़ी दुर्घटना की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। सूत्रों ने बताया कि जानकारी होने के बाद भी विभाग द्वारा  ऐसे संस्थानों पर कार्रवाई नहीं की जा रही है।