Exclusive: पीओपी से बनी मूर्तियों में मिट्टी का लेप लगाकर बाजारों में बेचने की तैयारी

Exclusive: पीओपी से बनी मूर्तियों में मिट्टी का लेप लगाकर बाजारों में बेचने की तैयारी

भार और खनक से करें पीओपी और मिट्टी की मूर्तियों की पहचान

सुभांकर रॉय
भिलाई। हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखते हुए प्लास्टर आॅफ पेरिस (पीओपी) से बने मूर्तियों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। फिर भी कुछ लोग पीओपी से बने मूर्तियों पर मिट्टी का लेप लगाकर बेचने के फिराक में है।
इस वर्ष गणेश चतुर्थी 31 अगस्त से प्रारंभ होगी। दुर्ग जिले के कई कलाकारों द्वारा मिट्टी से मूर्तियों का निर्माण किया जा रहा है। इसके लिए वे दिन रात मेहनत कर रहे हैं, लेकिन इसके विपरित कुछ ऐसे कलाकार भी है जो पीओपी से बने मूर्तियों पर मिट्टी का लेप लगाकर बाजार में बेचने की तैयारी में है। पीओपी एक प्रकार की सीमेंट हैं, जिससे मूर्तियां कम समय और कम लागत में तैयार हो जाती हैं, इन्हें केमिकल कलर्स से सजाया जा सकता है क्योंकि पीओपी पानी नहीं सोखता है।
सूत्रों ने बताया कि मिट्टी से बने मूर्तियों का मूल्य काफी अधिक होता है। वहीं पीओपी से बने मूर्ति मिट्टी के मूर्ति की तूलना में काफी सस्ता होता है। इसलिए कुछ व्यापारियों द्वारा पीओपी से मूर्तियों का निर्माण कर उसमें ऊपर और भीतर सतह को मिट्टी से रंग दिया जाता है, ताकि जांच में यह पता न चले की मूर्ति मिट्टी से बनी है या पीओपी से। आम जनता भी पर्यावरण संरक्षण के प्रति काफी जागरूकता आई है। लोग मूर्ति खरीदने से पहले जांचते है कि यह पीओपी से बनी है या मिट्टी से। कुछ व्यापारी व मूर्तिकार द्वारा आम जनता को बेवकुफ बनाने अंदर से लगे मिट्टी के रंग को दिखाकर कहा जाता है कि देखिया मूर्ति के अंदर मिट्टी लगी हुई है। जबकि असल में पीओपी के ऊपर मिट्टी का लेप लगा दिया जाता है जिसे हर कोई पकड़ नहीं पाता। वहीं प्रशासन द्वारा भी अब पीओपी की मूर्तियों की जांच की जाती है तो अधिकारियों को भी पीओपी पर मिट्टी के लेप लगे मूर्तियों को दिखाकर गुमराह किया जाता है। इससे पीओपी की मूर्तियां बनाने व बेचने वाले कार्रवाई से बच जाते हैं।

मिट्टी और प्लास्टर आॅफ पेरिस से बनी मूर्ति में ऐसे करें पहचान
मिट्टी की मूर्ति अंदर से ठोस होती है जबकि पीओपी की मूर्ति अंदर से खोखली होती है। प्लास्टर आॅफ पेरिस से बनी प्रतिमा को उंगली से हल्का ठोकने पर खनक की आवाज आती है। इसके विपरीत मिट्टी की मूर्ति में ऐसा नहीं होता। वहीं मिट्टी से बनी मूर्तियां पीओपी से निर्मित मूर्तियों से काफी भाड़ी होता है। मिट्टी और क्ले मिट्टी से बनी प्रतिमा भारी होती है क्योंकि उसमें अंदर चारा और मिट्टी भरी होती है। जबकि प्लास्टर आॅफ पेरिस की प्रतिमा हल्की होती है। मिट्टी की मूर्ति अंदर से ठोस होती है जबकि पीओपी की प्रतिमा अंदर से खोखली होती है। पीओपी की प्रतिमा को उंगली से हल्का ठोकने पर खनक की आवाज आती है जबकि भारी प्रतिमा में ऐसा नहीं होता। मिट्टी की मूर्ति विसर्जन पर आसानी से गल जाती है जबकि पीओपी की प्रतिमा पानी में उतराती है डूबती नहीं न ही गलती है। मार्केट में मिलने वाली छोटी-छोटी गणेश प्रतिमाएं पीओपी की होती है क्योंकि शहर के मूर्तिकार बहुत छोटी प्रतिमाएं नहीं बनाते। ये सभी बाहर से आती हैं। पीओपी की मूर्तियों पर गहरे चमकदार रंग से सजावट होती है। इन मूर्तियों में काफी फिनिशिंग होती है।