चिट्ठी युग से मोबाइलाईजेशन के दौर में 30 साल बाद श्रम निकेतन के सहपाठियों का हुआ "पुनर्मिलन"
भिलाई। सोशल नेटवर्किंग साइट्स के इस युग में पुराने सहपाठियों और दोस्तों के संपर्क में रहना कोई बड़ी बात नहीं है लेकिन चिट्ठियों के युग वर्ष 1992 में श्रम निकेतन उच्चतर माध्यमिक शाला जामुल के बारहवीं पासआउट अधिकांश सहपाठी इस कदर बिछडे़ कि कुछ वर्षों बाद जन्मे मोबाईलाइजेशन को भी इन्हें जोड़ने में तकरीबन ढाई दशक का लम्बा वक्त लग गया। कोई भिलाई से वेल्लुर के सीएमसी तो कोई भोपाल, जबलपुर, नागपुर, मुम्बई यहां तक कि दुबई तक अपना भविष्य संवारने निकल गया और जो छत्तीसगढ़ के दीगर क्षेत्रों में परिवार सहित चले गए उनको भी ढूंढ निकालना आसान नहीं था। पहले कुछ साथियों को किस्मत ने मिलाया तो उनके प्रयास धीरे धीरे जंजीर की कड़ियाँ जोड़ने में जुटे और चंद महीने के भीतर ही लगभग 50 साथियों का एक ग्रुप आखिर बन ही गया।
30 साल बाद रिटायर्ड टीचर्स को ढूंढना धागा पिरोने से कम नहीं
उस समय के अपने शिक्षकों को भी खोज निकालना 45 से 50 की उम्र में सुई में धागा पिरोने जैसा ही था। लेकिन यह प्रयास भी रंग लाया नतीजतन भौतिक के गुरु अजय शर्मा, रसायन के चौधरी सर, हिन्दी श्रीमती कमला तिवारी मैम, श्रीमती सुधा बघेल मैम, श्रीवास्तव सर, पूरन सर से सम्पर्क होने पर 1992 बैच का रीयूनियन 12 नवंबर को स्कूल परिसर और फिर चिखली के एक रेसार्ट में सम्पन्न हुआ जिसमें लगभग 30 सहपाठी और उनके रिटायर्ड टीचर्स शामिल हुए और उस समय की अपनी यादों और भविष्य को लेकर स्कूल बाद किए परिश्रम और समाज में खुद को स्थापित करने के संघर्ष को साझा किया गया। सभी विद्यार्थियों ने उस समय गुरूजनों द्वारा दिए गए संस्कार और शिक्षा से भविष्य को गढ़ने जो मजबूत आधार दिया, इसके लिए सभी गुरूजनों का चरण स्पर्श कर आशीष का संबल भी इस कार्यक्रम में हासिल कर सभी अभिभूत हुए।
बेहतर प्रदर्शन कर देश को विश्व गुरु बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं
इस एल्युमिनाई मीट में वर्षों पुराने दोस्तों से मिलने का मौका मिला तो एक-दूसरे के साथ बिताए पलों को याद करके सभी भावुक हो गए। एक-दूसरे से उसी गर्मजोशी से मिले जैसे पढ़ाई के दौरान मिलते थे। इस दौरान पूर्व छात्रों ने सभी अपने और वर्तमान में पदस्थ प्राचार्य श्री चौबे सर सहित सभी शिक्षक शिक्षिकाओं से अनुभव को श्रम निकेतन उच्चतर माध्यमिक शाला में साझा किया। मीट में सभी पूर्व छात्र बारी-बारी मंच पर आए और विद्यालय छोड़ने के बाद के अपने संघर्ष और उपलब्धियां बताईंं। कोई सेना में अधिकारी बन चुका है तो कोई बड़ा बिजनेसमैन, कोई चिकित्सा क्षेत्र में अपनी सेवाएं दे रहा तो कोई पत्रकारिता में अपनी लेखनी से समाज को दिशा दे रहा है। स्कूल से पासआउट हर छात्र ने यही कहा कि वह अपने फील्ड में बेहतर से बेहतर प्रदर्शन कर देश को विश्व गुरु बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं। इस दौरान कुछ ने गाना गाकर दोस्ताें को झूमने पर मजबूर किया तो कुछ ग्रुप बनाकर सेल्फी लेकर यादों को संजोते रहे। इस दौरान संस्कार और संयुक्त परिवार विषय पर परिचर्चा सहित अनेक सांस्कृतिक आयोजनों में सभी ने शिरकत की।
आज श्रम निकेतन 1992 बैच का मैत्री बाग में फेमिली गेट टू गेदर
बातचीत में इन लोगों ने बताया कि जब वे यहां पढ़ते थे तब विद्यालय में आज के जैसे संसाधन नहीं थे। बावजूद इसके फैकल्टी के मार्गदर्शन ने उन्हें सफल बनाया और आज वे देश-प्रदेश में विभिन्न क्षेत्रों में अपनी सेवाएं दे रहें हैं। शिक्षक अपने छात्रों की उपलब्धियां सुनकर गदगद दिखे। कार्यक्रम का संचालन पत्रकार संतोष मिश्रा और प्रोफेसर पुष्पा शर्मा ने किया। नवीन टांक, अनिल शेंडे, संजय सोनाये, मोतीलता, मनोज नायर, अनीता, ग्लोरिया ने बताया कि यह सब अगस्त माह में शुरू हुआ जब हमारे एक सहपाठी शीबा जो वेल्लूर में है, को उनकी पहली कक्षा की तस्वीर मिली उन्होंने रायपुर की सुनीता यदु से आग्रह किया कि हम अपने अन्य सहपाठियों का पता लगाएं और एक साथ मिलें। आज लगभग सभी सहपाठी अपने-अपने करियर में आगे बढ़ चुके हैं। सभी अपने पुराने साथी सलीम साबरी, कौशल तिवारी, पूरन वर्मा, रजनीश, श्रीनिवास राजू, भारती, अशोक देशलहरा, दीपक, गणेश, गोपीनाथ वर्मा, हेमलता, इम्तियाज, आर मल्लेश्वर राव, एसके दस्तगीर बी, सुब्रतो मोदक, विजयश्री, शकुन चौरसिया से मिल कुछ पल के लिए वर्षों बाद स्कूल के गलियारों में चले गए। सभी कुछ देर अपनी पुरानी कक्षा में बैठे और अपने पसंदीदा पाठ और पात्रों सहित की गई शरारतों को भी साझा करते दिखे। फिर पुराने छात्रों ने अपने शिक्षकों को शाल श्रीफल और स्मृति चिन्ह से सम्मानित किया। रीयूनियन में पहुंचे सभी छात्रों को शिक्षक अजय शर्मा ने विज्ञान और अध्यात्म को जोड़ती दार्शनिक किताब भेंट की। 13 नवंबर को सभी सहपाठी परिवार सहित भिलाई के मैत्री बाग में गेट टू गेदर प्रोग्राम में भी शामिल होंगे।