हुडको कलीबाड़ी मामले में राजनेताओं के दोहरी चरित्र उजागर
भिलाई। भिलाई के हुडको रबिन्द्र निकेतन में 35 साल पुरानी काली मंदिर के कालीबाड़ी मंदिर , संस्कृतिक भवन , सांस्कृतिक मंच को अतिक्रमण बताकर तोड़े जाने पर बवाल मचा हुआ है । उसके ध्वस्तीकरण की कार्रवाई के विषय को लेकर भिलाई नगर निगम के जोन 5 के जोन आयुक्त द्वारा 4 नवंबर को दुर्ग नजूल तहसीलदार को पत्र भेजकर 9 नवंबर को तोड़ने के लिए न्यायालय आदेश के संबंध में अपने से उच्च अधिकारी को आदेश के संबंध में पत्र भेजे जाने को लेकर छत्तीसगढ़ बंगाली मित्र समाज के प्रदेशाध्यक्ष सुमन शील ने इस कार्रवाई के पीछे कही न कही भिलाई के स्थानीय विधायक एवं नगर निगम के महापौर का सहमति देकर हरी झंडी दिए जाने का आरोप लगाया है। इसका अंदाजा नगर पालिक निगम भिलाई के जोन 5 के जोन आयुक्त द्वारा नजूल तहसीलदार को आपके न्यायालय के आदेश को लेकर तोड़ने के संबंध में याद कराते हुए आदेश पत्र भेजकर किए गए कार्रवाई से लगाया जा सकता है। कांग्रेस की बहुमत नगर निगम की सरकार ने इसे मंजूर करते हुए कालीबाड़ी मंदिर को छोड़कर सांस्कृतिक भवन एवं सांस्कृतिक मंच को तोड़े जाने को कहा गया है। वैसे तो यह कार्रवाई 13 सितंबर को होनी थी लेकिन बवाल के चलते टाल दिया गया था पर वर्तमान में इस मुद्दे पर नगर पालिक निगम भिलाई द्वारा लिए गए रुचि से फिर से माहौल गरमाने लगा है । इस मुद्दे पर छत्तीसगढ़ बंगाली मित्र समाज के प्रदेशाध्यक्ष सुमन शील ने जहां सरकार पर तुष्टिकरण का आरोप लगाया है। वहीं भिलाई निगम के पास यह मुद्दा आने पर इसे हटाने को लेकर महापौर एवं स्थानीय पार्षद से लेकर विधायक चाहते तो इस प्रस्ताव को खारिज कर सकते थे और रुचि लेते हुए इस आदेश को हटाने के लिए पर्याप्त प्रयास करना चाहिए था परंतु जोन आयुक्त के आदेश पत्र से दोहरी चरित्र उजागर हुआ है जबकि भिलाई नगर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का जिला क्षेत्र है और 35 साल पुरानी हुडको कालीबाड़ी के सांस्कृतिक भवन व सांस्कृतिक मंच के पीछे विधायक निधि से लेकर सांसद निधि तक का शासकीय खर्च पूर्व जिला कलेक्टर के सहमति से लगा हुआ है , जिसे तोड़ना शासकीय अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर भी प्रश्नचिन्ह बनेगा कहां है ।