मौद्रिक नीति का ऐलान, रेपो रेट 0.50 फीसद की बढ़ोतरी, लोन होंगे महंगे
आरबीआई ने लगातार तीसरी बार ब्याज दरें बढ़ाई
नई दिल्ली(एजेंसी)। रिजर्व बैंक ने आज अपनी मौद्रिक नीति के ऐलान से पहले आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने ग्लोबल महंगाई पर चिंता व्यक्त की। इसके बाद उन्होंने रेपो रेट को 0.50 फीसद बढ़ाने का ऐलान किया। रेपो रेट अब 4.90 से बढ़कर 5.40 फीसद पर पहुंच गया है। दास ने यह भी कहा कि समिति ने सर्व सम्मति से यह फैसला लिया है।
रेपो रेट में बढ़ोतरी से आपकी लोन की किस्त बढ़ जाएगी। इससे होम लोन , आॅटो लोन और पर्सनल लोन की किस्त में भी इजाफा होगा। अगर आपका होम लोन 30 लाख रुपये का है और अवधि 20 साल की है तो आपकी किस्त 24,168 रुपये से बढ़कर 25,093 रुपये पर पहुंच जाएगी।
मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की तीन दिन की बैठक में किए गए निर्णय की जानकारी देते हुए आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा, ''एमपीसी ने आम सहमति से रेपो दर 0.5 प्रतिशत बढ़ाकर 5.4 प्रतिशत करने का निर्णय किया है।'' उन्होंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था ऊंची मुद्रास्फीति से जूझ रही है और इसे नियंत्रण में लाना जरूरी है। दास ने कहा, '' मौद्रिक नीति समिति ने मुद्रास्फीति को काबू में लाने के लिए नरम नीतिगत रुख को वापस लेने पर ध्यान देने का भी फैसला किया है।'' आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष के लिये आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को 7.2 प्रतिशत पर बरकरार रखा है।साथ ही केंद्रीय बैंक ने खुदरा महंगाई दर चालू वित्त वर्ष में 6.7 प्रतिशत रहने का अनुमान बरकरार रखा है।
दास ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था ऊंची मुद्रास्फीति से जूझ रही है। हालांकि अप्रैल के मुकाबले महंगाई में कमी आई है। ग्रामीण मांग में सुधार दिख रही है। ऋ2023 के पहले क्वार्टर में जीडीपी ग्रोथ 16.2 फीसद रहने की उम्मीद है। चुनौतियों के बावजूद जीडीपी ग्रोथ 7.2 पर बरकरार है। मौद्रिक नीति समिति ने स्थायी जमा सुविधा (एसडीएफ) दर 4.65 प्रतिशत से बढ़ाकर 5.15 प्रतिशत की। वित्तीय क्षेत्र में पर्याप्त पूंजी। वैश्विक घटनाक्रमों के प्रभाव से विदेशी मुद्रा भंडार बचाव कर रहा है।
आरबीआई ने खुदरा मुद्रास्फीति को काबू में करने के लिए चालू वित्त वर्ष में अब तक रेपो दर को दो बार बढ़ाया गया था-मई में 0.40 प्रतिशत और जून में 0.50 प्रतिशत। यह तीसरी बार है, जब रेपो रेट बढ़ाया गया है। इससे पहले रेपो रेट 4.9 प्रतिशत था, जो कोविड-पूर्व के स्तर 5.15 प्रतिशत से नीचे था।
भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा आर्थिक नीतियों की समीक्षा के दौरान हर बार रेपो रेट, रिवर्स रेपो रेट और सीआरआर जैसे शब्द आते हैं, जिन्हें आम आदमी के लिए समझना थोड़ा मुश्किल होता है। आइए आसान भाषा में जानें रेपो रेट, रिवर्स रेपो रेट और सीआरआर का मतलब और इससे आपके जीवन में क्या प्रभाव पड़ता है..
इसे आसान भाषा में ऐसे समझा जा सकता है। बैंक हमें कर्ज देते हैं और उस कर्ज पर हमें ब्याज देना पड़ता है। ठीक वैसे ही बैंकों को भी अपने रोजमर्रा के कामकाज के लिए भारी-भरकम रकम की जरूरत पड़ जाती है और वे भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से कर्ज लेते हैं। इस ऋण पर रिजर्व बैंक जिस दर से उनसे ब्याज वसूल करता है, उसे रेपो रेट कहते हैं।
जब बैंकों को कम ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध होगा यानी रेपो रेट कम होगा तो वो भी अपने ग्राहकों को सस्ता कर्ज दे सकते हैं। और यदि रिजर्व बैंक रेपो रेट बढ़ाएगा तो बैंकों के लिए कर्ज लेना महंगा हो जाएगा और वे अपने ग्राहकों के लिए कर्ज महंगा कर देंगे।