भैया झिल्ली में नहीं देना ... बोलना जरूरी
सिंगल यूज पालिथीन प्रतिबंध अभियान को सफल बनाने
झिल्ली की उपयोगिता पर बड़ी कार्रवाई के लिए रहे तैयार, तैयारी में जुटा प्रशासन
भिलाई (सुभांक रॉय)। देश में 1 जुलाई से 19 तरह के सिंगल यूज प्लास्टिक पूरी तरह से प्रतिबंध होने वाला है। पर्यावरण प्रदूषण को रोकने यह एक सार्थक पहल होगा। पर क्या प्रतिबंध के बाद भी सिंगल यूज प्लास्टिक निर्माण व इसकी उपयोगिता रूक पायेगी, यह चिंता का विषय है। वहीं जिस दिन ग्राहक दुकानदारों से बोलने लगे कि, भैया झिल्ली में सामान नहीं देना, तो यह अभियान सार्थक होने की उम्मीद है।
दुर्ग जिले के सभी नगर निगम, नगर पंचायत व नगर पालिका द्वारा सिंगल यूज प्लास्टिक पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगाने इसके उपयोग करने वाले व्यापारियों पर कई कार्रवाई की गई। इस तरह के कई कार्रवाई के बाद भी आज भी व्यापारियों द्वारा धड़ल्ले से सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग किया जा रहा है। वहीं लोगों में भी जागरूकता की कमी है। जानकारों का कहना है कि छोटे व्यापारियों पर कार्रवाई करने की वजाए इसके निर्माणकर्ताओं पर अगर कार्रवाई की जाए तो सिंगल यूज प्लास्टिक के प्रतिबंध पर सफलता मिलने की उम्मीद है। बताया जाता है कि झिल्ली की उपयोगिता पर प्रशासन द्वारा 1 जुलाई से बड़ी कार्रवाई की तैयारी की जा रही है।
जिले के सभी दुकानों में हो रहा सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग
लगातार कार्रवाई के बाद ही जिले के लगभग सभी दुकानों में व्यापारियों द्वारा सिंगल यूज प्लास्टिक को उपयोग में लाया जा रहा है। किसी संस्था में अगर कार्रवाई करते हुए सिंगल यूज प्लास्टिक की जब्ती प्रशासन द्वारा बनाई गई हो तो अगले दिन उसी दुकान में फिर से इसका उपयोग होना शुरू हो जाता है। लोगों का कहना है कि ऐसे व्यापारियों पर कार्रवाई से अच्छा है कि इसके निर्माण कर्ताओं पर कार्रवाई की जाए।
झिल्लियों से लगातार जाम हो रही नालियां
प्रतिबंध के बावजूद शहर में झिल्लियों का प्रचलन बदस्तूर जारी है। झिल्ली के कारण शहर की नालियां जाम हो रही है। नालियों की स्थिति देख ऐसा प्रतित हो रहा है कि झिल्ली के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने प्रशासन नाकाम साबित हो रहे हैं। झिल्ली के उपयोग के कारण शहर की गई नालियां बंद पड़ी हुई है। नाली सफाई के दौरान निकलने वाले कचरों 90 प्रतिशत तो सिर्फ झिल्ली ही होता है। प्रशासन द्वारा कई बार कार्रवाई के बाद भी शहर में झिल्ली, प्लास्टिक का उपयोग बदस्तूर जारी है। प्रशासन का खौफ व्यापारियों में नहीं रहा, शायद इसलिए ये हाल है। सवाल यही उठता है कि प्रतिबंध और कार्रवाई के बाद भी शहर में पालिथिन पहुंच कहां से रहा है। शहर की नालियों से निकलने वाले गंदगी में कुछ रहे या न रहे, झिल्ली जरूर देखने मिलेगी।
लोगों में जागरूकता की कमी
सिंगल यूज प्लास्टिक को लेकर भी लोगों में जागरुकता की कमी है। लोग जब खरीदारी करने निकलते हैं तो साथ में थैले नहीं रखते। कुछ सामान खरीदने के बाद ही ग्राहक द्वारा दुकानदार से कहा जाता है कि भैया झिल्ली में देना। यह भी एक मुख्य वजह है कि लाखों प्रयास के बाद ही सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाने प्रशासन बैक फूट पर नजर आ रही है। वहीं लोगों को खरीदारी करने जाते समय साथ में थैला रखने जागरूक करने की आवश्यकता है।
ये आइटम होंगे बैन
प्लास्टिक की डंडियों वाले ईयर बड, बलून स्टिक, प्लास्टिक के झंडे, लॉलीपॉप की डंडी, आइसक्रीम की डंडी, थर्माकोल की सजावटी सामान, प्लेट्स, कम, गिलास, चम्मच, कांटे, चाकू, स्ट्रा, ट्रे, मिठाई के डिब्बे पर लगाने वाली पन्नी, निमंत्रण पत्र, सिगरेट पैकेट, 100 माइके्रन से कम मोटाई वाली झिल्ली, पीवीसी बैनर आदि।
क्या है सिंगल यूज प्लास्टिक
जानकारों का कहना है कि प्रदूषण का सबसे बड़ा स्रोत सिंगल यूज प्लास्टिक को माना जाता है। सिंगल यूज प्लास्टिक का मतलब है,एक प्लास्टिक की वस्तु जिसको डिस्पोज या रिसाइकिल से पहले एक काम के लिए एक ही बार उपयोग किया जाता है। पर्यावरण विभाग द्वारा जारी अधिसूचना में कहा गया है कि अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली की स्थापना, समन्वय और प्लास्टिक के कचरे को अलग करना, करेक्शन, स्टोरेज, ट्रांसपोर्टेशन, प्रोसेसिंग आदि शामिल हैं।