मजदूरों के हितों की रक्षा के लिए आवाज उठाती रहेगी छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा
छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा का शहीदी दिवस 1 जून को भिलाई में
भिलाई। छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा के सभी संगठनों के श्रमिक व समर्थकगण भिलाई पावर हाऊस के 1 जुलाई को लाल मैदान छावनी में सुबह 10 बजे से एकत्रित होंगे। दोपहर 12 बजे पावर हाऊस रेल्वे स्टेशन के प्लेट फार्म नंबर 1 में शहीदो को श्रद्धांजलि अर्पित कर वापस लाल मैदान पहुंचकर 1 बजे रैली प्रारंभ करेंगे जो नन्दिनी मार्ग से एसीसी शहीद शंकर गुहा नियोगी चौक पहुंचकर प्रतिमा में माल्यार्पण के पश्चात सभा करेंगे।
उक्त बातें पत्रकारवार्ता में छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा के पदाधिकारियों ने कही। पूर्व विधायक डौंडीलोहारा जनकलाल ठाकुर, भीमराव बागड़े, सुकलाल साहू, बंशीलाल साहू ने कहा कि छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा के संस्थापक शंकर गुहा नियोगी के नेतृत्व में श्रमिकगण आंदोलन कर रहे थे। उन्हें 28 सिंतबर 1991 की रात गोली मारकर हत्या कर दी गई। 1 जुलाई 1992 को भाजपा की पटवा सरकार द्वारा पुलिस गोली चालन कर 17 मजदूरो की हत्या की गई। उनका 31वां शहीद दिवस 1 जुलाई शनिवार को भिलाई में छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा के सभी संगठनों द्वारा आयोजित है।
जनकलाल ठाकुर ने बताया कि कामरेड शंकर नियोगी की हत्या के बाद तुरंत शराब कंपनी के मालिक कैलाश पति केडिया भारत देश छोड़कर लंदन में जा बसा है। उनकी कंपनी केडिया डिस्टलरी भिलाई के लिए इंदौर हाई कोर्ट द्वारा परिसमापक नियुक्त किया गया इसकी खबर मिलते ही कंपनी के अधिकारियो ने भिलाई डिस्टलरी से बायलर बड़ी-बड़ी टंकी आदि मशीने चोरी छिपे उनकी दूसरी कंपनी छत्तीसगढ़ डिस्टलरी कुम्हारी में ले जायी गयी। परिसमापक महोदय द्वारा भिलाई डिस्टलरी की प्रापर्टी विक्रय (निलाम) की गई उक्त राशि में से बिंदल पेपर मिल, बैंक, पी.एफ. आदि की देनदारी भुगतान की गई किंतु मजदूरों की दावा राशि स्वीकृति के बावजूद पूरी भुगतान नहीं की गई। इसलिए कुम्हारी डिस्टलरी में ले जायी गई मशीनो को जब्त कर विक्रय करके श्रमिकों की दावा राशि भुगतान कराया जायें। रसमड़ा औद्योगिक क्षेत्र के मजदूर अवैध रूप से कंपनी बंद रखे जाने के समय का बकाया वेतन आदि मांगों के लिए संघर्षरत है।
कई वर्षो तक संघर्ष के जरिए बनाए गए 44 श्रम कानूनों को केन्द्र सरकार द्वारा उद्योगपति, कार्पोरेट हितों के लिये समाप्त कर 4 श्रमकोड बिल लाया गया। जो देश के मेहनतकशों को गुलामी की ओर धकेला जा रहा है। 8 घंटे ड्यूटी का कानून था उसे 12 घंटे कर श्रमिकों की छटनी, बेराजगारी को बढ़ावा तथा ओव्हर टाईम के कानून को समाप्त किया गया जो संविधान में दिये गये जीने का अधिकार धारा 21 का स्पष्ट उल्लंघन है। श्रमिकों को यूनियन गठित करने का अधिकार था उसमें भी परिवर्तन किया गया।
न्याय के लिये संघर्ष करने वाली महिला पहलवानों के साथ पुलिस ज्यादती से स्पष्ट है कि केन्द्र में बैठी अहंकारी सरकार पतन की ओर बढ़ रही है। उड़ीसा में हुई रेल दुर्घटना तीनों ट्रेनों का एक साथ टकराव होना, निजीकरण तथा ठेकाकरण का परिणाम है, इसके लिये सरकार जिम्मेदार है। इस निजीकरण के कारण 300 से अधिक यात्रियों को अपनी जान गवानी पड़ी। देश की जनता देख रही है यात्रियो की ट्रेन कई घंटे कहीं पर भी रोकी जा रही है। किन्तु अडानी की मालगाड़ी रफ्तार से दौड़ रही है। जो सरकार रेल्वे, बैंक, बीमा, कोयला, रक्षा आदि सरकारी संस्थाओ को नहीं चला पा रही है। वो बड़े- बड़े लुभावने सपने दिखा रही है। किसानों के लिये समर्थन मूल्य गारंटी कानून पास करने के बजाए गैर भाजपा सरकारों को काम करने से रोकना व तोडऩा भाजपा सरकार की नीति बन गयी है। जो सीबीआई, ईडी और ए.सी.बी. को जनहित में उपयोग करने के बजाए भाजपा का समर्थन बढ़ाने में उपयोग कर रही है। बल्कि धार्मिक उन्माद फैलाया जा रहा है। जो अति का अंत होना स्वाभाविक है।
छत्तीसगढ़ सरकार श्रम कानूनों को लागू नहीं करा रही है। अधिकतर श्रमिकों को न्यूनतम वेतन नहीं मिल रहा है। भविष्य निधि की राशि गबन की जा रही है। राज्य कर्मचारी बीमा का लाभ नहीं मिल रहा है सुरक्षा के उपकरण नहीं मिलने से श्रमिक आये दिन दुर्घटना के शिकार हो रहे है। रिटायर होने पर ग्रेच्यूटी का लाभ नहीं मिल रहा है। अपने हक की मांग करने वाले श्रमिकों को नौकरी से निकालने की छूट उद्योगपति व ठेकेदारों को मिल गयी है। जो काम स्थायी है उसमें भी ठेकेदारी चलायी जा रही है। शिकायत के बावजूद श्रम विभाग के अधिकारी उद्योगपतियों की तरफदारी करने में लगे है। 180 दिन में निराकरण करने का कानून औद्योगिक विवाद अधिनियम के बावजूद श्रम न्यायालयों में बरसों से प्रकरण लंबित है। इसलिये श्रमिकों को समय पर न्याय दिलाने नियुक्ति के अलावा सरकार को कारगर कार्यवाही करनी होगी।
खनिज संपदा की लूट के लिये छत्तीसगढ़ सरकार आदिवासियों का नरसंहार कर रही है। फर्जी प्रकरण बनाकर निर्दोष लोगों को जेल में डाला जा रहा है। वन संरक्षण अधिनियम का खुला उल्लंघन किया जा रहा है। ग्रामसभा के विरोध के बावजूद कार्पोरेट हितों के लिये खनन परियोजनाओं को स्वीकृति दी जा रही है। स्वास्थ्यकर्मी, डॉक्टरो को भी संविदा में नियुक्ति की जा रही है। चंदूलाल चंद्राकर मेडिकल कालेज में वर्षों से कार्यरत कर्मचारियों को 22 महिनों से संघर्ष के बावजूद सरकार बहाली नहीं कर रही है। नगरीय निकाय, अस्पतालों, शैक्षणिक संस्थानों में कार्यरत् सफाई व सुरक्षाकर्मियों को न्यूनतम वेतन नही दिया जा रहा है ना ही नियमित किया जा रहा है। महंगाई का ढिंढोरा पीटने वाली कांग्रेस की सरकार नगरीय निकायों में कार्यरत् लाखो स्वच्छता दीदी व स्वच्छता मित्रों को पिछले चार वर्षो से मानदेय / वेतन 6000 में वृद्धि नहीं कर रही है ना ही बीमा व भविष्य निधि का लाभ दे रही है। मजदूरों की हितों की रक्षा के लिए छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा हमेशा आवाज उठाते रहेगी।