जज ने कहा, बगैर मीडिया के हमारे फैसले और आदेश का कोई मतलब नहीं

कोई भी तीन पैर वाला स्टूल टिका नहीं रह पाएगा, हमें चौथा पैर मीडिया चाहिए-रामचन्द्रन

जज ने कहा, बगैर मीडिया के हमारे फैसले और आदेश का कोई मतलब नहीं

जस्टिस ने प्रेस को अपने आप में लोकतंत्र बताया 
तिरुवनंतपुरम (एजेंसी)। केरल हाईकोर्ट के जस्टिस देवन रामचंद्रन ने भारतीय मीडिया की जमकर तारीफ की है। उनका कहना है कि बगैर मीडिया के हमारे फैसले और आदेश का कोई मतलब नहीं है। साथ ही उन्होंने 'प्रेस को अपने आप में लोकतंत्र' बताया है। एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने मीडिया की आजादी पर रोक लगाने पर भी चेताया है।
कोझिकोड प्रेस क्लब के गोल्डन जुबली कार्यक्रम में शिरकत कर रहे जस्टिस रामचंद्रन ने 'लोकतांत्रिक भारत में प्रेस की अहमियत' विषय पर बात की। उन्होंने कहा, 'मैं लोगों की नब्ज जानने के लिए प्रेस पर भरोसा करता हूं और मैं हमेशा कहता हूं कि जब तक लोगों को इसके बारे में पता नहीं होगा, हमारे आदेश और फैसले बेकार हैं। अगर प्रेस न्यायपालिका को बॉयकॉट कर दे या रिपोर्ट न करें, तो हमारे फैसले केवल रिपोर्टिंग जर्नल में रह जाएंगे।'
मीडिया पर प्रतिबंध को लेकर भी उन्होंने चेताया। जस्टिस ने कहा कल्पना कीजिए कि प्रेस पर प्रतिबंध लग गया या क्वारंटाइन कर दिया गया है। ऐसे में हमें बिल्कुल मालूम नहीं होगा कि हम क्या चाहते हैं और एग्जीक्यूटिव को भी नहीं पता होगा कि जनता क्या चाहती है। इससे बगावत और विद्रोह होंगे। अगर आप ट्यूनीशिया में जैसमीन रिवॉल्युशन देखेंगे, तो पाएंगे कि कैसे लोग अपनी बात नहीं रख पा रहे थे, जिसकी वजह से वह बढ़ गया।'
उन्होंने आगे कहा, 'जिन फैसलों की बात होती है, तो उसकी वजह प्रेस है। यह प्रेस की अहमियत है।' उन्होंने कहा कि मीडिया के जरिए ही हमें पता चलता है कि हम अच्छा काम कर रहे हैं या नहीं। जस्टिस ने कहा, 'हम प्रेस को चौथा स्तंभ बताते हैं, क्योंकि संप्रभुता की ताकत को समझते हैं।' उन्होंने कहा कि कोई भी तीन पैर वाला स्टूल टिका नहीं रह पाएगा, हमें चौथा पैर मीडिया चाहिए, जो पूरे सिस्टम को स्थिरता देता है।
जस्टिस रामचंद्रन ने प्रेस फ्रीडम इंडेक्स का भी जिक्र किया और भारतीय प्रेस की तारीफ की है। उन्होंने कहा कि भारतीय मीडिया ने शानदार काम किया है। उन्होंने कहा कि भले ही इंडेक्स में भले ही हमारी प्रेस किसी भी स्थान पर हो, लेकिन कई रुकावटों के बाद भी भारतीय प्रेस सबसे जीवंत रही है। खास बात है कि प्रेस फ्रीडम इंडेक्स में 180 देशों में भारत 150 पायदान पर था।