रूस-यूक्रेन जंग में एलियन की एंट्री? वैज्ञानिकों के दावे से दुनिया में मची हलचल

रूस-यूक्रेन जंग में एलियन की एंट्री? वैज्ञानिकों के दावे से दुनिया में मची हलचल

नई दिल्ली (एजेंसी)। रूस और यूक्रेन के बीच करीब छह महीने से भीषण जंग जारी है। इस युद्ध में दोनों देशों को काफी नुकसान पहुंचा है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस जंग में अभी तक दोनों देशों के हजारों सैनिकों की मौत हो चुकी है जबकि पांच हजार से अधिक आम नागरिकों की मौत हुई है। इसके अलावा लाखों लोग बेघर हो चुके हैं। अब रूस और यूक्रेन में जंग के बीच एक हैरान करने वाली खबर सामने आई है।
दरअसल रूस और यूक्रेन की जंग में एलियन की भी एंट्री हो चुकी है। बताया जा रहा है दोनों देशों में चल रहे युद्ध पर एलियन की नजर है। युक्रेन के वैज्ञानिकों ने राजधानी कीव के ऊपर यूएफओ उड़ने का दावा किया है जिसके बाद दुनिया में हलचल मच गई है। यूक्रेन के नेशनल एकेडमी आॅफ साइंसेज के मेन एस्ट्रोनॉमिकल आॅब्जर्वेटरी ने इस मामले को लेकर एक पेपर प्रकाशित किया है। आइए जानते हैं कि आखिर पूरा मामला क्या है?
वैज्ञानिकी की तरफ से इस पेपर का नाम अनआईडेंटिफाईड एरियल फेनामेना आॅब्जर्वेशन आॅफ इंवेंट रखा गया है। इस पेपर के मुताबिक, वैज्ञानिकों ने कीव में दो उल्का अवलोकन स्टेशन और पास स्थित एक गाव में यूएफओ को खोजा है। यूक्रेन के खगोलविदों के दावों के बाद अब सवाल यह है कि क्या रूस और यूक्रेन जंग पर एलियन की नजर है?
एक रिपोर्ट के मुताबिक, यूक्रेन के खगोलविदों के दावे से अमेरिका सहमत नहीं है। अमेरिकी की तरफ से कहा गया है कि जिस चीज को यूएफओ बताया जा रहा है वह यूक्रेन के अंदर जंग में इस्तेमाल हो रहे विमान और ड्रोन हो सकते हैं। यूक्रेन के वैज्ञानिकों ने कहा कि हर जगह की जांच पड़ताल की गई। इस तरह की कई बड़ी चीजों की भी चांज की गई, लेकिन इनकी प्रकृति साफ नहीं हो पाई है। जहाजों के एक ग्रुप और स्क्वाड्रन का पता लगाया है जो बहुत तेज रफ्तार से आगे बढ़ रहे थे।
वैज्ञानिकों की तरफ से यूक्रेन की राजधानी कीव और 120 किमी दूर स्थित एक गांव में दो खास कैमरे लगाए गए हैं जिनसे आसमान पर नजर रखी जाती है। इन कैमरों में यूएफओ कैद हुए हैं। इनकी स्टडी से पता चला है कि यह कोई प्राकृतिक घटना नहीं थी। हालांकि अभी तक यह साफ नहीं हो पाया है कि यूक्रेन के आसमान में यूएफओ नजर आए हैं या कुछ और था। अब जांच के बाद ही पता चल पाएगा कि यूक्रेन के खगोलविदों का दावा कितना सच है?