भागवत के श्रवण से ही हो जाता है 6 प्रकार के दु:खों का नाश
गहोई वैश्य समाज दुर्ग-भिलाई की महिलाओं ने निकाली कलश यात्रा
भिलाई। गहोई वैश्य समाज दुर्ग-भिलाई के तत्वावधान में 4 से 11 अक्टूबर तक श्रीमद् भागवत ज्ञान यज्ञ सप्ताह का आयोजन एमपी हॉल मांगलिक प्रांगण जुनवानी रोड भिलाई में किया किया जा रहा है। भागवत कथा का वाचन पूज्यपाद अन्नत विभूषित ज्योतिष पीठाधीश जगदगुरु शंकराचार्य ब्रम्हलीन स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज के शिष्य आचार्य श्री श्री डॉ. इन्दूभवानन्द महाराज हैं।
प्रथम दिवस पर भगवत कथा का शुभारंभ समाज की महिलाओं के द्वारा कलश यात्रा से किया गया। तत्पश्चात आचार्य श्री द्वारा सच्चिदानंद के आवाहन स्थापना, महात्त्म जल यात्रा, पंचांग पूजन, गोकर्ण कथा, मंगलाचरण नारद व्यास प्रसंग के वर्णन से किया गया। भागवत कथा के आयोजन का उद्देश्य समाज के बच्चों तथा युवाओ को सनातन परम्परा से जोडऩे तथा सामाजिक रीति-रिवाज को आगे बढ़ाना है। आचार्य के मतानुसार इस पक्ष में पितरो को भी कथा श्रवण का लाभ मिलता है। समाज के अध्यक्ष पवन ददरया ने समाज के लोगों सहित अन्य सनातनी धर्म परायण लोगो से कथा श्रवण का लाभ उठाने की अपील की है। इस अवसर पर अत्याधिक संख्या मे लोगो ने इस ग्यान सरिता में भक्ति रस का रसास्वादन किया। भागवत के श्रवण मात्र से भगवान हृदय में विराजमान हो जाते हैं।
श्रीमद् भागवत कथा के प्रथम दिवस में जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज की कृपा पात्र शिष्य डॉक्टर ब्रह्मचारी इंदु भवानंदजी महाराज श्रीमद् भागवत का प्रकाशन करते हुए बताया कि भागवत कथा के श्रवण करने मात्र से दुखों का नाश हो जाता है। जीव को अपने मूल स्वरूप का ज्ञान हो जाता है हुआ है। कैवल्य मुक्ति का अधिकारी हो जाता है। 6 प्रकार के दुखों का नाश भागवत के ही श्रवण से होता है। भागवत के श्रवण करने मात्र से ज्ञान भक्ति और वैराग्य का प्रवाह उसके जीवन में हो जाता है। वह कर्म करते हुए भी कर्तापन से मुक्त हो जाता है। इसीलिए सदा श्रीमद् भागवत का श्रवण पठन निर्देशन करने मात्र से ही भगवान की भक्ति प्राप्त हो जाती है और भगवान भक्ति रूपी से उपलब्ध होकर भक्त के हृदय में विराजमान हो जाते हैं।