जीवन जीने की कला सिखाती हैं सतगुरु कबीर की वाणी-विधायक ललित चंद्राकर

जीवन जीने की कला सिखाती हैं सतगुरु कबीर की वाणी-विधायक ललित चंद्राकर

दुर्ग। दुर्ग ग्रामीण विधान सभा क्षेत्र अंतर्गत ग्राम कुथरेल व ग्राम रूवाबांधा बस्ती मे माणिकपुरी पनिका समाज द्वारा आयोजित सतगुरु कबीर प्रगटोत्सव कार्यक्रम में शामिल होकर विधायक ललित चंद्राकर ने प्रदेश वासियों को कबीर जन्म महोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं प्रेषित किया और सतगुरु कबीर साहेब जी का आशीर्वाद प्राप्त किया।

दुर्ग ग्रामीण विधायक ललित चंद्राकर ने कबीर दास जी के जीवन चरित्र पर प्रकाश डालते हुए कहा कि एक किंवदंती के अनुसार संत कबीर दास ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा के दिन काशी में लहरतारा तलाब के कमल पुष्प पर माता-पिता नीरू और नीमा को मिले थे. कहा जाता है कि इसी दिन ये नीमा और नीरू नामक जुलाहे दंपत्ति को प्राप्त हुए थे. इन्होंने ही कबीर दास जी का पालन-पोषण किया था. इसी कारण से इस दिन को कबीर जयंती के रूप में मनाया जाता है.

कबीर दास जी ने मध्यकालीन भारत के सामाजिक, धार्मिक और आध्यात्मिक जीवन में अमूल्य योगदान दिया. इन्होंने अपने दोहों, विचारों और जीवनवृत्त से तत्कालीन सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक और आध्यात्मिक क्षेत्र में क्रांति का सूत्रपात किया था. इन्होंने मध्यकालीन भारत के तत्कालीन समाज में व्याप्त अंधविश्वास, रूढ़िवाद, पाखण्ड का घोर विरोध किया।कबीर दास जी ने उस काल में भारतीय समाज में विभिन्न धर्मों और सामाजिक लोगों के बीच आपसी मेल-जोल और भाईचारे का प्रशस्त किया. हिंदू, इस्लाम सभी धर्मों में व्याप्त कुरीतियों और पाखण्ड़ो पर कड़ा प्रहार किए। 

इस अवसर पर प्रमुख रूप से  गुलाब दास रंगदास, संतोष दास, दिनेश दास, भोला दास, अमर दास, दिलीप दास, हुकुम दास, मोहन दास मनिकापुरी, दशरथ साहू, प्रवीन सिंग चेतनदास, सागर दास, नरेन्द्र दास, लोकेश दास माणिकपुरी, कुंदन चंद्राकर, ब्रम्हानंद चंद्राकर सहित  बड़ी संख्या में समाज के लोग उपस्थित थे।