क्यों जोशीमठ में पड़ रहीं दरारें? अब तक क्या सो रही थी सारकार
47 वर्ष पहले ही एक रिपोर्ट में जोशीमठ के धीरे-धीरे डूबने की दी गई थी जानकारी
जोशीमठ (एजेंसी)। उत्तराखंड में पवित्र बद्रीनाथ धाम और हेमकुंड साहिब पहुंचने के अंतिम पड़ाव जोशीमठ में रहने वाले लोग दहशत में हैं। इसके चलते यहां के घरों में दरारें आ रही हैं। गेटवे आॅफ हिमालय कहे जाने वाले इस शहर में अब धरती फाड़कर जगह-जगह से पानी निकलने लगा है। ऐसे में लोग अपना घर छोड़कर इधर-उधर शिफ्ट हो रहे हैं। वहीं, आपदा प्रबंधन विभाग ने यहां होटल में यात्रियों के रुकने पर रोक लगा दी है और जल निकासी का प्लान और सीवर सिस्टम का काम पूरा करने की तैयारी की है। हालांकि जोशीमठ के लोग इस आपदा की वजह सरकार की लापरवाही को ही मानते हैं वह कहते हैं कि जब 1976 में मिश्रा समिति ने अपनी रिपोर्ट में ये साफ कर दिया था कि जोशीमठ धीरे-धीरे डूब रहा है तो सरकार अब तक सो क्यों रही थी।
लगभग 50 साल से धंस रहा जोशीमठ
गौरतलब है कि उत्तराखंड का जोशीमठ तब से धंस रहा है जब ये यूपी का हिस्सा हुआ करता था। उस समय गढ़वाल के आयुक्त रहे एमसी मिश्रा की अध्यक्षता में एक 18 सदस्यीय समिति गठित की गई थी। इसे मिश्रा समिति नाम दिया गया था, जिसने यह इस बात की पुष्टि की थी कि जोशीमठ धीरे-धीरे धंस रहा है। समिति ने भूस्खलन और भू धसाव वाले क्षेत्रों को ठीक कराकर वहां पौधे लगाने की सलाह दी थी। इस समिति में सेना, आईटीपी समेत बीकेटीसी और स्थानीय जनप्रतिनिध शामिल थे। 1976 में तीन मई को इस संबंध में बैठक भी हुई थी, जिसमें दीघर्कालिक उपाय करने की बात कही गई थी।
यूं तो जोशमठ का धंसना कई साल पहले ही शुरू हो चुका है, लेकिन 2020 के बाद से समस्या ज्यादा बढ़ गई है। फरवरी 2021 में बारिश के बाद आई बाढ़ से सैकड़ों मकानों में दरार आ गई। 2022 सितंबर में उत्तराखंड के राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की ओर से विशेषज्ञों की टीम ने सर्वे किया। खराब सीवरेज, वर्षा जल और घरेलू अपशिष्ट जल के जमीन में रिसने से मिट्टी में उच्च छिद्र-दबाव की स्थिति पैदाहोने की बात कही गई इसके अलावा अलकनंदा के बाएं किनारे में कटाव को जोशीमठ शहर पर हुए प्रतिकूल प्रभाव का कारण माना जा रहा है। वैज्ञानिकों ने कहा कि जोशीमठ शहर में ड्रेनेज सिस्टम नहीं है. यह शहर ग्लेशियर के रोमैटेरियल पर है। ग्लेशियर या सीवेज के पानी का जमीन में जाकर मिट्टी को हटाना, जिससे चट्टानों का हिलना, ड्रेनेज सिस्टम नहीं होने से जोशीमठ का धंसाव बढ़ा है।
दो दिन में 90 से अधिक भवनों में लगे लाल निशान
जोशीमठ में भवनों में दरार आने का सिलसिला जारी है। रविवार तक जहां 610 भवनों में दरार आई थी तो यह आंकड़ा आज 678 हो गया है। वहीं विस्थापित होने वाले परिवारों की संख्या भी 68 से बढ़कर 81 हो गई है। दूसरी ओर प्रशासन ने अब ऐसे भवन जिनमें रहना जोखिमपूर्ण है, रविवार दोपहर बाद से जाज निशान लगाने शुरू कर दिए हैं, जिसका अर्थ है कि इनमें रहने वाले परिवारों को आवश्कय रूप से राहत शिविरों में भेजा जाएगा। एडीएम चमोली द्वारा नगर में नौ सेक्टर टीमों का गठन कर दिया गया है जो नगर के हर भवन का बारीकी से निरीक्षण कर रही है व उसकी स्थित को लिखित कर रही है। दो दिन में इन टीमों ने नगर के विविध क्षेत्रा में 90 से अधिक भवनों में लाल निशान लगा दिए हैं जिसका मतलब है कि ये भवन अब खतरे में है व इनमें रहने वाले लोगों को विस्थापन केन्द्रों में या अन्यत्र किराये पर रहना होगा।