कोयले की कमी नहीं, राज्यों के आंकलन में चूक बनी संकट की मुख्य वजह

7 राज्यों को रोशन कर रहा छत्तीसगढ़

कोयले की कमी नहीं, राज्यों के आंकलन में चूक बनी संकट की मुख्य वजह

रायपुर। छत्तीसगढ़ की खदानों से सामान्य दिनों में देशभर के कोयले में हिस्सेदारी 23 प्रतिशत, लेकिन इस संकट में बढ़कर 30 प्रतिशत तक पहुंच गई है। छत्तीसगढ़ के बाद ओडिशा स्थित महानदी कोलफील्ड्स लिमिटेड से भी सप्लाई हो रही है। साल 2022-23 में छत्तीसगढ़ की खदानों से देश में सर्वाधिक 182 मिलियन टन कोयला आपूर्ति होगी। कुल मिलाकर, छत्तीसगढ़ वर्तमान में सात राज्यों को रौशन कर रहा है। इसके लिए रेलवे अपनी पूरी क्षमता का इस्तेमाल कोयला परिवहन में कर रहा है। सामान्य दिनों में 110 मालगाड़ियां रोज कोयला लेकर राज्यों के लिए रवाना होती थीं लेकिन इसकी संख्या अब 160 तक पहुंच गई है।
देश के कई राज्यों में बिजली संकट गहराता जा रहा है। स्थिति यह है कि राजस्थान, महाराष्ट्र, उत्तरप्रदेश और बिहार समेत 16 राज्यों की सरकारों ने 2 से 10 घंटे तक बिजली कटौती शुरू कर दी है। इसकी सबसे बड़ी वजह यही है कि मांग के अनुरूप कोयला आपूर्ति नहीं हो रही है।  बताया जाता है कि राज्यों ने कोल इंडिया को समय पर मांग नहीं भेजी। कई राज्यों ने निर्धारित समय पर कोयले का उठाव भी नहीं किया। तापमान अचानक बढ़ने से राज्यों में बिजली खपत इतनी तेजी से बढ़ी कि कोयला कम पड़ने लगा और अचानक संकट खड़ा हो गया। 

कई राज्यें ने कोल इंडिया को नहीं किया भुगतान, बकाया लगभग 2000 करोड़
छत्तीसगढ़ से राजस्थान, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, गुजरात, मध्यप्रदेश, पंजाब और छत्तीसगढ़ की बिजली कंपनी को कोयले की सप्लाई की जा रही है। राज्यों की बिजली कंपनियों के साथ कोल इंडिया का सालाना अनुबंध होता है। इसके अनुसार राज्यों को हर महीने निर्धारित कोयले का उठाव करना ही है, लेकिन यही नहीं किया गया। कई राज्यों पर कोल इंडिया से कोयले का उठाव न करने पर जुर्माना भी लगा है। कुछ राज्यों ने कोयले की खरीदी का कोल इंडिया को भुगतान भी नहीं किया है। आंकड़ों के अनुसार यह बकाया राशि 2000 करोड़ रुपए से अधिक है। कोयले की कोई कमी नहीं है। संकट को टालने खदानों में उत्पादन बढ़ा दिया गया है। सभी कोल फील्ड में रोजाना हाईपावर मीटिंग से लेकर केंद्रीय मंत्री, सचिव और अधिकारी दौरे कर रहे हैं। देश में कोयले के उत्पादन के अतिरिक्त सालाना 200 मिलियन टन कोयला इंडोनेशिया, चीन और आॅस्ट्रेलिया से आयात होता था। मगर, अक्टूबर 2021 से इन देशों से आयात कम होना शुरू हुआ और आज स्थिति यह है कि सप्लाई पूरी तरह से प्रभावित है। अब पूरी निर्भरता कोल इंडिया पर ही है।
4.63 लाख टन जा पहुंची कोयला उत्पादन
एसईसीएल के बिलासपुर स्थित मुख्यालय से मिली जानकारी के मुताबिक औसतन 2.50 लाख टन कोयला का उत्पादन होता है। मगर, अप्रैल के पहले हफ्ते में यह मांग 3.70 लाख टन प्रतिदिन से बढ़ते हुए, 28 अप्रैल को 4.63 लाख टन प्रतिदिन तक जा पहुंची है। जो एसईसीएल की स्थापना (1987) से लेकर अब तक सर्वाधिक है। अफसरों के अनुसार कोल इंडिया द्वारा 5 लाख टन प्रतिदिन आपूर्ति करने की बात कही गई है। हालांकि यह अभी संभव नजर नहीं आ रहा है।