छत्तीसगढ़ी स्वाभिमान और एकता के प्रतीक है डॉ. खूबचंद बघेल        

छत्तीसगढ़ी स्वाभिमान और एकता के प्रतीक है डॉ. खूबचंद बघेल        

भिलाईनगर। पदुमलाल पुन्नालाल बख्षी सृजनपीठ, छत्तीसगढ संस्कृति परिषद  संस्कृति विभाग छत्तीसगढ़ शासन द्वारा 19 जुलाई को छत्तीसगढ़ के स्वप्नदृष्टा डॉ. खूबचंद बघेल की जन्मतिथि के अवसर पर बख्शी सृजनपीठ परिसर सेक्टर-9 में डॉ.खूबचंद बघेल जयंती समारोह आयोजित किया गया। आयोजन की अध्यक्षता बख्शी सृजनपीठ के अध्यक्ष ललित कुमार वर्मा ने की।  आयोजन में  विशिष्ट अतिथि के रूप में वरिष्ठ साहित्यकार  रवि श्रीवास्तव, डीपी देशमुख, डॉ. नलिनी श्रीवास्तव, नारायण चंद्राकर उपस्थित थे।  
ललित कुमार वर्मा ने कहा कि डॉ. खूबचंद बघेल सांस्कृतिक पुनर्जागरण के अग्रदूत थे।  उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में खुलकर हिस्सा लिया और सरकारी नौकरी त्याग कर ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ रणभेरी बजायी। डॉ. बघेल न केवल राजनीतिक व समाज सुधारक रहे बल्कि साहित्य के क्षेत्र में अपने नाम का डंका बजाया। वे एक कुशल निर्देशक और मार्गदर्शक थे।  
डॉ. नलिनी श्रीवास्तव ने कहा कि डॉ. खूबचंद बघेल छत्तीसगढ़ राज्य के कुशल शिल्पी थे। डॉ. बघेल जी बचपन से ही मेघावी छात्र थे। बचपन में अच्चे लोगों के सम्पर्क में आकर देशभक्ति की भावना जागृत हुई और महात्मा गांधी, लाला लाजपत राय के विचारों से प्रभावित होकर डाक्टरी की पढ़ाई बीच में ही छोड़कर स्वतंत्रता संग्राम अंादोलन में शामिल हो गये।  वरिष्ठ साहित्यकार श्री रवि श्रीवास्तव ने कहा कि डॉ. बघेल आत्म विश्वासी थे।  सन 1956 में छत्तीसगढ़ भारतीय संघ की स्थापना कर पृथक छत्तीसगढ़ राज्य बनाने की दिषा में महत्वपूर्ण प्रयास किये थे जिसकें परिणाम स्वरूप छत्तीसगढ़ राज्य की स्थापना हुई।  श्री श्रीवास्तव ने आगे कहा कि हमें अपनी भाशा का सम्मान करना चाहिए, भाशा, बोली एक बहुत बड़ी पूंजी है हमें अपनी भाशा की पूंजी बनाना चाहिए। वरिष्ठ साहित्यकार डीपी देशमुख ने छत्तीसगढ़ महतारी को प्रणाम करते हुये कहा कि माटी पुत्र डॉ. बघेल जी डाक्टर होने के बावजूद वे पूरा जीवन समाज सुधार  के कार्य में समर्पित कर दिया। छत्तीसगढ़ की अस्मिता, साहित्य, संस्कृति, भाशा को बचारे रखने की दिशा में  महत्वपूर्ण किया गया है।  
प्रदीप वर्मा ने कहा कि आज छत्तीसगढ़ का पूरा कूर्मी समाज डॉ. खूबचंद बघेल को एक देवता के समान मानता है। डॉ. बघेल जी ने समाज में फैले सामाजिक बुराई  को खत्म करने की दिषा में महत्वपूर्ण किया  है।  श्रीमती अनुराधा बख्षी ने डॉ. बघेल को सादर नमन करते हुए कहा कि उनका सपना छत्तीसगढ़ राज्य बनने का पूरा हो गया है। श्रीमती संध्या श्रीवास्तव ने कहा कि 17 वर्श की आयु में स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़े गये थे और जेल भी गये थे। आयोजन का संचालक करते हुये कथाकार एवं पत्रकार शिवनाथ शुक्ल ने कहा कि डॉ. खूबचंद बघेल  छत्तीसगढ़ी स्वाभिमान और एकता के प्रतीक थे, उनकी आवाज दिल्ली तक गूंजती थी। आयोजन का शुभारंभ बख्शी, मां सरस्तवी एवं डॉ. बघेल के तेलचित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्जवलन के साथ हुआ।  आयोजन में दुर्ग-भिलाई के साहित्यकार पत्रकार उपस्थित थे।  
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