चौतरफा विवाद और विरोध के बाद बैकफुट पर कर्नाटक सरकार; वापस लिया विधेयक

मामला निजी उद्योगों में कन्नड़भाषी लोगों के लिए 100 फीसदी आरक्षण का

चौतरफा विवाद और विरोध के बाद बैकफुट पर कर्नाटक सरकार; वापस लिया विधेयक

बंगलूरू। चौतरफा विरोध और विवाद के बाद कर्नाटक सरकार ने बुधवार को निजी क्षेत्र में कन्नड़ लोगों के लिए 100 फीसदी आरक्षण अनिवार्य करने से जुड़े विधेयक को ठंडे बस्ते में डाल दिया है। दरअसल, कर्नाटक में सोमवार को राज्य उद्योग, कारखानों और अन्य प्रतिष्ठानों में स्थानीय यानी कन्नड़ उम्मीदवारों के लिए रोजगार विधेयक 2024 को राज्य मंत्रिमंडल की ओर से मंजूरी दी गई थी।

बुधवार को मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि निजी क्षेत्र के संगठनों, उद्योगों और उद्यमों में कन्नड़ लोगों को आरक्षण देने के लिए मंत्रिमंडल की ओर से स्वीकृत विधेयक को अस्थायी रूप से रोक दिया गया है। इस पर आगामी दिनों में फिर से विचार किया जाएगा और निर्णय लिया जाएगा।

दरअसल, कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने एक दिन पहले ही कहा था कि कर्नाटक मंत्रिमंडल ने राज्य के सभी निजी उद्योगों में ‘सी और डी’ श्रेणी के पदों के लिए 100 प्रतिशत कन्नडिगा (कन्नड़भाषी) लोगों की भर्ती अनिवार्य करने वाले विधेयक को मंजूरी दे दी है। उन्होंने कहा था कि राज्य सरकार की प्राथमिकता कन्नड़ लोगों के कल्याण की देखभाल करना है। इस विधेयक का उद्योगपतियों से लेकर विपक्ष तक ने विरोध किया। इसके बाद मुख्यमंत्री ने बुधवार को अपना ट्वीट डिलीट कर दिया।