बीमा कंपनी को देगा 2.53 लाख रुपए का क्लेम, जिला उपभोक्ता फोरम का फैसला
रायपुर। सडक़ दुर्घटना के बाद भी आईसीआईसीआई लोंबार्ड जनरल इंश्योरेंस कंपनी ने दुर्घटनाग्रस्त वाहन के क्लेम का भुगतान नहीं किया। बीमा और वाहन चालक का लाइसेंस होने के बाद भी फर्जी दस्तावेज पेश करने का आरोप लगाकर बीमा कंपनी ने आवेदन को खारिज कर दिया। कई दिनों तक चक्कर लगाने के बाद भी क्लेम की राशि नहीं मिलने पर वाहन मालिक ने जिला उपभोक्ता प्रतितोष आयोग में परिवाद दायर किया। परिवाद में बताया कि दुर्घटना में एक व्यक्ति की मौत और चार लोग घायल हो गए थे। इसका दस्तावेजी साक्ष्य के साथ आवेदन पत्र जमा किया गया। जहां इसकी जांच करने के बाद 22 दिसंबर 2014 को आवेदन सुनवाई के लिए स्वीकार किया। जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग के अध्यक्ष डाकेश्वर प्रसाद शर्मा, सदस्य निरूपमा प्रधान ने मामले की सुनवाई करते हुए वाहन मालिक और बीमा कंपनी का पक्ष सुनने के बाद परिवादी के पक्ष में फैसला सुनाते हुए क्लेम की राशि एक लाख 11846 रुपए छह प्रतिशत ब्याज के साथ पिछले 12 साल का 8050 रुपए, मानसिक कष्ट के लिए दस हजार और वाद व्यय का तीन हजार रुपए भुगतान करना का आदेश पारित किया। यह राशि 45 दिन में देने के निर्देश दिए गए है। इंश्योरेंस कंपनी ने वाहन मालिक पर आरोप लगाया कि बीमा शर्तो के अनुसार वाहन की क्षमता आठ थी, लेकिन घटना के समय इसमें नौ लोग बैठे हुए थे। वाहन चालक के पास लाइसेंस नहीं था, सर्वेयर जांच के दौरान वाहन चालक और क्लेम में वाहन चालक के नाम अलग-अलग बताए गए थे, वहीं पुलिस द्वारा दर्ज की गई प्राथमिकी रिपोर्ट की कापी भी पेश नहीं की गई। वहीं साक्ष्य को छिपाने के लिए दुर्घटना के 42 दिन के बाद क्लेम किया गया। शिकायतकर्ता की ओर से अधिवक्ता राजेश भावनानी ने उपभोक्ता आयोग को बताया कि 18 मार्च 2010 को बलौदाबाजार जिले के कसडोल इलाके के ग्राम लवन निवासी बिहारीलाल बारवे की मारूति वैन क्रमांक सीजी 04 एचबी-7138 सिरपुर रोड पर ग्राम टेमरी के पास मवेशी के सडक़ पर आने के कारण अनियंत्रित होकर दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी। इस हादसे में चालक विजय कुमार बारवे समेत अन्य घायल हो गए थे, जबकि एक की मौत हो गई थी। घटना के बाद बीमा कंपनी को इसकी सूचना दी गई। उसके सर्वेयर ने घटनास्थल का मुआयना करने के बाद अपनी रिपोर्ट बीमा कंपनी के दफ्तर में जमा की। इसके जमा होने के बाद वाहन मालिक बिहारीलाल ने क्लेम के लिए आवेदन किया, लेकिन बीमा कंपनी ने उसका क्लेम 30 जुलाई 2010 को खारिज कर दिया।