प्रेरक वार्ता में कला को निखारने और विकसित करने की दी गई जानकारी

प्रेरक वार्ता में कला को निखारने और विकसित करने की दी गई जानकारी

भिलाई। कला-साहित्य अकादमी द्वारा कोविड के बाद के समय में व्यक्तियों और समुदायों में बेहतर मानसिक स्वास्थ्य की मांग तथा कलाकारों-साहित्यकारों के लिए स्वास्थ्य और कल्याण की महत्वपूर्ण आवश्यकता को दृष्टिगत रखते हुये कलाकारों-साहित्यकारों और कला-साहित्य प्रेमी समुदाय को लाभ पहुंचाने के लिए स्वास्थ्य, प्रसन्नता और ध्यान तथा इसके माध्यम से एक कलाकार-साहित्यकार के रूप में गहरी रचनात्मकता, लचीलापन और ऊर्जा विकसित करने और अपनी कला-साहित्य विधा को आगे बढ़ाने विषय पर भावना उपाध्याय के नेतृत्व तथा संचालन में प्रेरक वार्ता का आयोजन रविवार को 77 ,ओबेरॉय कॉम्प्लेक्स, नेहरू नगर(इस्ट) के सभागार में आयोजित किया गया।
यह उल्लेखनीय है कि भावना उपाध्याय आर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन में आत्म और तनाव प्रबंधन और नेतृत्व की शिक्षण संकाय हैं तथा पिछले 15 वर्षों में यू.एस., यू.के. और भारत में 3,000 से अधिक लोगों के लिए 60 से अधिक तनाव प्रबंधन कार्यक्रम संचालित किए हैं। भावना चार साल तक टी एल ई एक्स इंस्टीट्यूट यूरोप में प्रशिक्षक और सलाहकार रही हैं। व्यवसाय और सार्वजनिक सेवाओं के मध्य, स्वास्थ्य और सामाजिक देखभाल क्षेत्रों में पेशेवरों को उनके कार्यस्थल में उनकी भलाई, उत्पादकता, लचीलापन और तीव्रता बढ़ाने के लिए प्रशिक्षण उपकरण और तकनीक प्रदान की है। साक्ष्य-आधारित और समर्थित श्वास तकनीक, ध्यान और यौगिक सुदर्शन क्रिया सत्रों, कार्यशालाओं और पाठ्यक्रमों का जिसके मूल आधार रहे हैं। चूंकि,भावना का जन्म स्थली भिलाई है और विद्यालयीन शिक्षा स्थल भी भिलाई है और परिवार भी यहाँ रहता है वर्तमान में वो भिलाई में ही रह रही है।
लगभग पौने दो घंटे के प्रेरक वार्तालाप के अंतर्गत किसी भी कला को निखारने और विकसित करने के लिए अधिक गहन और बहुत आवश्यक फोकस कैसे विकसित किया जाए? गैजेट्स द्वारा आयातीत ध्यान भटकाने वाली तथ्यों से मन को वर्तमान में कैसे केंद्रित किया जाय? मन की प्रकृति क्या है, वे कौन से कारक हैं जो प्रदर्शन से ध्यान हटाते हैं और फोकस वापस लाने के लिए हमें किन कारकों पर ध्यान देने की आवश्यकता है? जैसे विषयों पर महत्वपूर्ण उपयोगी जानकारी भावना उपाध्याय ने प्रदान की। वार्ता सम्पूर्ण रूप से परस्पर संवादात्मक थी। तद्पश्चात,कुछ व्यवहारिक क्रियाओं का भी अभ्यास कराया गया। इसके अंतर्गत उपस्थित जनों ने शक्तिशाली श्वास तकनीक और निर्देशित ध्यान के लाभों का अनुभव किया तथा ऊर्जावान, तनावमुक्त और शांत महसूस करने की सूचना दी और उनके दिमाग के तेज और शांत होने के अनुभव साझा किए। उपस्थित जनों ने महत्वपूर्ण बात से संचालक को अवगत कराया कि उन्हें जीवन में पहली बार ऐसा महसूस हुआ कि उन्होंने 'वास्तव मेंÓ ध्यान किया है।
कला-साहित्य अकादमी द्वारा आयोजित सार्थक प्रेरक वार्ता पश्चात अकादमी के वरिष्ठ सलाहकार यश ओबेरॉय द्वारा अवतार सिंह संधू पाश की एक कविता तथा अन्य उपहार भावना उपाध्याय को प्रदान कर उनके प्रति आभार व्यक्त किया। सम्पूर्ण आयोजन का समन्वय नीतेश ठाकुर और बबलू विश्वास ने किया। उल्लेखनीय है कि कुछ युवा कलाकार भी वार्ता में उपस्थित थे।